जयपुर: छात्रों और उनके अभिभावकों को केंद्र सरकार ने हाल ही में बड़ी राहत दी है. कॉपी, नोटबुक, पेंसिल, शार्पनर, इरेजर, मैप और ग्लोब जैसे स्टेशनरी आइटम्स पर लगने वाले 5% से 12% जीएसटी को पूरी तरह समाप्त कर दिया गया है, अब ये जरूरी शिक्षण सामग्री कर मुक्त हो गई है, जिससे छात्रों की पढ़ाई पर होने वाला आर्थिक बोझ कम होगा.
शिक्षण सामाग्रियों पर तो टैक्स कम हो गया, लेकिन स्कूल बैग पर यह राहत नहीं मिली है. स्कूल बैग को अभी भी 18% जीएसटी के दायरे में रखा गया है, जो एयर कंडीशनर, टेलीविजन और वाशिंग मशीन जैसे लग्जरी उत्पादों के समान है. ऐसे में बैग बनाने वाले व्यापारियों, लेबर और विक्रेताओं ने सरकार से अपील की है कि 1000 रुपए तक के स्कूल बैग को कर मुक्त किया जाए या उसे 5% के जीएसटी स्लैब में लाया जाए.
व्यापारी वर्ग ने उठाई मांग: जयपुर बैग एसोसिएशन के उपाध्यक्ष विप्लव अडवानी ने कहा, “सरकार ने स्कूल से जुड़ी सामग्री को कर मुक्त कर दिया है, लेकिन स्कूल बैग को अभी भी 18% टैक्स में रखा गया है. यह उचित नहीं है, क्योंकि बैग शिक्षा का हिस्सा है. छात्रों की पूरी पढ़ाई का बोझ वही संभालता है, जबकि एयर कंडीशनर और मोबाइल भी इसी श्रेणी में शामिल हैं.” उन्होंने बताया कि कई राज्य सरकारें स्कूल बैग मुफ्त में वितरित कर रही हैं, फिर भी उन पर कर लगाया जाना अनुचित है. इससे प्रोडक्शन प्रभावित हो रहा है और छोटे व्यापारी चीन के उत्पादों से प्रतिस्पर्धा नहीं कर पा रहे हैं.
विप्लव अडवानी ने कहा, “अधिकतर छात्र और अभिभावक 1000 रुपए से कम कीमत के बैग खरीदना पसंद करते हैं, इसलिए हमारी मांग है कि ऐसे बैग को कर मुक्त किया जाए या 5% के स्लैब में शामिल किया जाए. हमने वित्त मंत्री से विभिन्न फोरम, पत्राचार और डिजिटल मेल के जरिए इस मांग को पहुंचाया है. सांसदों के माध्यम से भी यह मुद्दा उठाया गया है.” उन्होंने यह भी कहा कि यदि सरकार यह कदम उठाती है तो इससे रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे, महिलाओं को भी काम मिलेगा और इंडस्ट्री को बढ़ावा मिलेगा. साथ ही घरेलू बैग निर्माण बढ़ेगा, आयात घटेगा और सरकार को कर का लाभ मिलेगा.
रोजगार और उद्योग को मिलेगा बड़ा लाभ: बैग मैन्युफैक्चरिंग से जुड़े व्यापारी धर्मपाल सिंह ने कहा, “इस व्यवसाय से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से करीब 40,000 परिवार जुड़े हैं. अकेले राजस्थान में 20,000 व्यापारी हैं और उतने ही कारीगर व लेबर काम कर रहे हैं. यह उद्योग छोटे कारीगरों के साथ चल रहा है, जिन्हें जीएसटी से कोई लेना-देना नहीं है.” उन्होंने बताया कि पहले इस उद्योग पर 12% से 18% जीएसटी लगता था, जो घटकर 5% हो गया, लेकिन कच्चे माल पर टैक्स तो घटा, लेकिन तैयार बैग पर अभी भी 18% जीएसटी लागू है. उन्होंने चेताया कि इससे छोटे कारखाने बंद हो सकते हैं और बड़ी इंडस्ट्री हावी हो जाएगी, जिससे हजारों लोगों का रोजगार छिन जाएगा.
कुटीर उद्योग को मिलेगा बढ़ावा: बैग व्यापारी सुरेश केसवानी ने इसे कुटीर उद्योग बताते हुए कहा, “यह घरों में चलने वाला उद्योग है. यदि इसका कर 5% तक घटा दिया जाए तो यह क्षेत्र और आगे बढ़ेगा. स्वच्छ माहौल में काम होगा और इसका लाभ व्यापारियों के साथ-साथ छात्रों और अभिभावकों को भी मिलेगा.” उन्होंने कहा कि कर राहत मिलने से छोटे व्यापारियों का उत्साह बढ़ेगा और उद्योग को प्रोत्साहन मिलेगा.
व्यापारी वर्ग अब सरकार से एकजुट होकर स्कूल बैग पर कर घटाने की मांग कर रहा है. उनका मानना है कि इससे न सिर्फ आर्थिक राहत मिलेगी, बल्कि देश में रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे और घरेलू उद्योगों को भी प्रोत्साहन मिलेगा. यदि सरकार इस दिशा में कदम उठाती है तो यह नीति शिक्षा क्षेत्र और छोटे उद्योगों के लिए महत्वपूर्ण साबित होगी.




















