जयपुर: जिले के नींदड़ क्षेत्र में किसानों के आंदोलन ने शनिवार को उग्र रूप ले लिया. 15 साल से अपनी पुश्तैनी जमीन बचाने की लड़ाई लड़ रहे किसानों ने मुख्यमंत्री आवास का घेराव करने का प्रयास किया, लेकिन पुलिस ने उन्हें नींदड़ के पास ही रोक लिया. किसानों ने न्याय की मांग करते हुए सड़क पर बैठकर धरना दिया. पुलिस की समझाइश के बावजूद जब किसान नहीं हटे, तो प्रशासन ने बल प्रयोग करते हुए लाठीचार्ज कर दिया. इस दौरान चार महिलाओं सहित 10 किसानों को हिरासत में लिया गया, जिन्हें हरमाड़ा थाना ले जाकर रखा गया. इनमें भागचंद, राम प्रसाद, रामू, सूरज, नरेंद्र, जगदीश सहित चार महिलाएं शामिल हैं.
आक्रोश और आंदोलन का विस्तार: लाठीचार्ज की घटना से मौके पर अफरा-तफरी मच गई और कई प्रदर्शनकारी घायल हुए. घटना के बाद किसानों में गहरा आक्रोश फैल गया. नींदड़ बचाओ युवा किसान संघर्ष समिति के नगेंद्र सिंह शेखावत ने आरोप लगाया कि सरकार लोकतांत्रिक विरोध की आवाज को दबाने की कोशिश कर रही है.
उन्होंने कहा कि किसानों की मुख्य मांग 1350 बीघा कृषि भूमि की जबरन अवाप्ति को रोकना है. पिछले 296 दिनों से किसान अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हैं और मुख्यमंत्री से सीधे मिलकर अपनी बात रखना चाहते हैं, लेकिन पुलिस ने उन्हें रोकने के लिए बर्बरता का सहारा लिया. नगेंद्र ने चेतावनी दी कि जब तक पुलिस बल से उन्हें दबाया जाएगा, तब तक वे संघर्ष जारी रखेंगे.
‘जमीन चाहिए, मुआवजा नहीं’ का नारा: समिति अध्यक्ष कैलाश बोहरा ने स्पष्ट कहा कि सरकार और जेडीए की जिद किसानों की सहनशक्ति से बाहर हो चुकी है. उन्होंने कहा कि नींदड़ के किसान अपनी जमीन बचाने के लिए हर कीमत चुकाने को तैयार हैं. प्रशासन का दबाव आंदोलन को कमजोर नहीं कर सकता. आंदोलन अब निर्णायक चरण में प्रवेश कर चुका है और किसानों का कहना है कि मुख्यमंत्री से मिलने का उनका लोकतांत्रिक अधिकार है, जब तक विवादित योजना पूरी तरह निरस्त नहीं हो जाती, आंदोलन जारी रहेगा.
किसानों ने बताया कि वे वर्ष 2010 से अपनी पुश्तैनी जमीन बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. उनकी मांग स्पष्ट है कि किसी भी प्रकार का मुआवजा स्वीकार नहीं है. वे सिर्फ विवादित आवासीय योजना को पूरी तरह रद्द कराना चाहते हैं. किसानों का कहना है कि केवल गलतियों को सुधारने का प्रस्ताव स्वीकार नहीं होगा. वे अपने खेत और भूमि के लिए हर संभव कदम उठाने को तैयार हैं.




















