उदयपुर: मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय (MLS UNIVERSITY) की कुलगुरु (वीसी) प्रो. सुनीता मिश्रा अपने एक बयान को लेकर विवाद में आ गई. उन्होंने गुरुनानक पीजी गर्ल्स कॉलेज में ए रोडमैप टू विकसित भारत-2047 विषय पर सेमिनार में मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत करते हुए औरंगजेब को कुशल प्रशासक बताया. इसका विश्वविद्यालय के छात्रों ने कड़ा विरोध किया. वीसी के बयान के सामने आने के साथ ही कैंपस में आक्रोश फैल गया. छात्र संगठनों ने कहा कि औरंगजेब ने अपने शासनकाल में धार्मिक कट्टरता और उत्पीड़न को बढ़ावा दिया था. ऐसे व्यक्ति को कुशल प्रशासक बताना ऐतिहासिक तथ्यों से खिलवाड़ है. इसे लेकर छात्र संगठन विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ नारे लगाने लगे. इधर, प्रो. मिश्रा ने कहा कि वे मूल रूप से अहिन्दीभाषी हैं और इसके चलते भाषा संबंधी असमंजस हो गया. पूरा वक्तव्य सुनिए, कहीं औरंगजेब की तारीफ नहीं की.
यह था बयान: गुरुनानक कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय और एसोसिएशन ऑफ कॉमर्स एंड मैनेजमेंट के संयुक्त तत्वावधान में सेमिनार में प्रो. सुनीता मिश्रा ने कहा कि इतिहास को केवल नकारात्मक दृष्टिकोण से नहीं देखा जाना चाहिए. औरंगजेब प्रशासनिक तौर पर सक्षम था. प्रो. मिश्रा से कहा कि हिस्टोरिकल प्रोस्पेक्टिव आ जाता है तो हम बहुत राजा-महाराजाओं के बारे में सुनते रहते हैं. महाराणा प्रताप, अकबर बहुत सारे अच्छे राजाओं के बारे में याद रखते हैं. कुछ औरंगजेब की तरह, जो सबसे कुशल एडमिनिस्ट्रेटर था.
तूल पकड़ने लगा बयान: प्रो. सुनीता मिश्रा के कथन को छात्रों ने आपत्तिजनक माना और तुरंत विरोध जताया. मामला सामने आते ही विवाद अब राजनीतिक तूल पकड़ने लगा. छात्र संगठनों का कहना है कि ऐसे बयान से युवाओं में गलत संदेश जाएगा. कुछ संगठनों ने वीसी से सार्वजनिक माफी की मांग की. छात्र संगठनों ने चेतावनी दी कि अगर कुलगुरु ने माफी नहीं मांगी तो आंदोलन तेज किया जाएगा. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने कुलगुरु के बयान की निंदा की. ABVP उदयपुर के महानगर मंत्री पुष्पेन्द्र सिंह राठौड़ ने कहा कि इस तरह का बयान ठीक नहीं है.
विश्वविद्यालय की चुप्पी: दरअसल सोशल मीडिया पर एमएलएस विश्वविद्यालय की कुलगुरु का वीडियो जमकर वायरल हो रहा है. विवाद बढ़ने के बाद भी विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से आधिकारिक बयान सामने नहीं आया. हालांकि ईटीवी भारत से हुई बातचीत के दौरान कुलगुरु ने अपने कथन को संदर्भ से तोड़-मरोड़कर पेश करने की बात कही. उन्होंने कहा कि उनका भाषण 15 मिनट से ज्यादा लंबा था. वह जल्द ही इस पर अपना बयान साझा करेंगी. दूसरी ओर मेवाड़ और मुगल शासन के बीच की खाई के कारण यह मुद्दा फिलहाल शहर में भी चर्चा का विषय बना है.
भाषा संबंधी असमंजस: कुलगुरु प्रो. सुनीता मिश्रा ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में ‘मेरे बयान को गलत तरीके से तोड़ मरोड़कर पेश किया गया. मेरे पूरे वक्तव्य को सुनेंगे तो आपको कहीं ये नहीं मिलेगा कि मैंने औरंगज़ेब की प्रशंसा में कुछ कहा है. मैंने तमाम ऐतिहासिक संदर्भ पेश किए थे. मैं मूलतः अहिन्दीभाषी हूं. इस कारण सुनने में भाषा संबंधी असमंजस हो जाता है. मेरा मंतव्य किसी की भावनाओं को आहत करने का नहीं था. अगर मेरे वक्तव्य से किसी को ठेस पहुंची हो तो क्षमा चाहती हूं’.




















