जयपुर: राजस्थान के सीमावर्ती जिलों में भारतीय सेना और स्थानीय प्रशासन के बीच तालमेल और समन्वय को मजबूत बनाने के लिए प्रदेश के तीन जिलों में मिलिट्री-सिविल फ्यूजन (एमसीएफ) का आयोजन किया गया. दक्षिणी कमान ने संगोष्ठी की मेजबानी की.
पत्र सूचना कार्यालय (रक्षा शाखा) की ओर से रविवार को जारी बयान के अनुसार, भारतीय सेना की कोणार्क कोर ने दक्षिणी कमान सीमांत जिला मिलिट्री सिविल फ्यूजन संगोष्ठी का आयोजन 1 से 12 सितंबर 2025 क्व बीच प्रदेश के तीन सीमावर्ती जिलों जोधपुर, जैसलमेर और बाड़मेर में किया. इस दौरान ऑपेरशन सिंदूर जैसे हालात में सैन्य बलों और सिविल प्रशासन के बीच तालमेल को ज्यादा मजबूत और प्रगाढ़ करने और राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया को बढ़ावा देने पर गहन विचार विमर्श किया गया.
इन आयोजनों का उद्देश्य विचार-विमर्श और सर्वश्रेष्ठ सेवाओं के आदान-प्रदान के माध्यम से राजस्थान के सीमावर्ती जिलों के लिए मजबूत ढांचे का निर्माण करना और एक समग्र एवं समावेशी राष्ट्रीय दृष्टिकोण को समाहित करना था.
सीमावर्ती इलाकों में बुनियादी विकास पर जोर : इन संगोष्ठियों में सीमा क्षेत्र विकास, प्रयासों का केंद्रीकरण और सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने जैसे विषयों पर अधिकारियों ने गहन मंथन किया. सभी स्टेकहोल्डरों ने इस बात पर सहमति जताई कि सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे का विकास व सामुदायिक कल्याण को बढ़ावा देने के साथ-साथ मिलिट्री आपरेशनों के लिए महत्वपूर्ण संसाधन प्रदान करना आवश्यक है.
संसाधनों का कुशल उपयोग जरूरी : सभी प्रतिभागियों ने संसाधनों के कुशल उपयोग, समय पर कार्रवाई और सामूहिक समस्या-समाधान के लिए समन्वय के महत्व पर बल दिया. सभी अधिकारियों ने इस बात पर सहमति जताई कि, सड़कें, उनकी उपयोगिताएं, संचार प्रणालियां और कल्याणकारी उपाय सीधे तौर पर परिचालन, रसद व सैन्य गतिशीलता को पुख्ता बनाती है.
इन संगोष्ठियों में यह निष्कर्ष निकला कि एक सुरक्षित और सुदृढ़ राष्ट्र के लिए विकासात्मक प्रयासों को राष्ट्रीय सुरक्षा की अनिवार्यताओं के साथ ढाला जाए. जिससे सैन्य और अन्य दूसरे स्टेकहोल्डरों के बीच समन्वय और सहयोग स्थापित किया जा सके.




















