कोटा: हर साल की तरह इस बार भी राखी से पहले चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की फूड सेफ्टी ऑफिसर्स की टीम ने कोटा में विशेष अभियान चलाया. अभियान में जिले भर से खाद्य पदार्थों के 45 नमूने लिए गए. इन नमूनों को जांच के लिए भेजा गया, जिसमें से 24 नमूने फेल हो गए, यानी कुल नमूनों में से 53 प्रतिशत नमूने गुणवत्ता की कसौटी पर खरे नहीं उतरे. इनमें से 10 नमूने तो ऐसे पाए गए जो स्वास्थ्य के लिए पूरी तरह हानिकारक थे और उन्हें खाने लायक नहीं माना गया.
अनसेफ पाए गए खाद्य पदार्थ: मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. नरेंद्र नागर ने बताया कि अनसेफ पाए गए खाद्य पदार्थों में बेसन और बूंदी के लड्डू, घी, दूध बर्फी, मिल्क केक, रसगुल्ला, काली मिर्च और रेस्टोरेंट की ग्रेवी शामिल हैं. ये सभी नमूने किराने की दुकानों, डेयरियों, मिठाई की दुकानों और दो रेस्टोरेंट से लिए गए थे. टीम ने कार्रवाई करते हुए इनमें से अधिकांश अमानक माल की बिक्री रोक दी है. इन 10 अनसेफ नमूनों के मालिकों के खिलाफ न्यायालय में चालान पेश किए जाएंगे और मुकदमा चलाकर निर्णय लिया जाएगा.
सब स्टैंडर्ड नमूनों में मिली मिलावट: राखी के अवसर पर लिए गए 14 नमूनों में भी गुणवत्ता मानकों की कमी पाई गई. खाद्य सुरक्षा अधिकारी चंद्रवीर सिंह जादौन ने बताया कि इनमें क्रीम रोल, मिल्क केक, पेठा, मूंग बर्फी, बेसन के लड्डू, मावा बर्फी, केसर बाटी, दूध और रसगुल्ला शामिल हैं. इसके अलावा मोहन खीर का एक नमूना ऐसा मिला जिसमें निर्धारित सामग्री के अलावा अन्य पदार्थों का उपयोग पाया गया. ये सभी नमूने भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) के तय मापदंडों पर खरे नहीं उतरे.
अब तक की सालाना रिपोर्ट: डॉ. नागर ने बताया कि साल 2025 में अब तक 440 नमूने लिए गए हैं, जिनमें से 127 फेल पाए गए हैं. फेल होने का प्रतिशत 28.86 रहा है. अभी 38 नमूनों की रिपोर्ट आना बाकी है. बीते पांच वर्षों में सामान्य तौर पर 25 से 30 प्रतिशत नमूने ही फेल होते थे, जबकि पिछले साल 2024 में यह प्रतिशत 38.27 तक पहुंच गया था. उस दौरान 567 नमूनों में से 217 नमूने फेल हुए थे. उन्होंने बताया कि पिछले पांच वर्षों में कुल 646 नमूने फेल हुए, जिनमें से 63 अनसेफ पाए गए थे
सबसे ज्यादा प्रभावित खाद्य पदार्थ: फूड सेफ्टी ऑफिसर संदीप अग्रवाल ने बताया कि इस साल सबसे ज्यादा घी के 28 नमूने फेल हुए हैं. इसके बाद दही के 19 और तेल के 12 नमूने गुणवत्ता परीक्षण में असफल पाए गए. तेल में मूंगफली, सरसों, पॉम, सोयाबीन और अलसी का तेल शामिल है. मिठाइयों में मिल्क केक, संगम, मूंग, मावा, बेसन और दूध बर्फी के 10 नमूने फेल हुए. पनीर के भी 9 नमूने गुणवत्ता मानक पर खरे नहीं उतरे. लड्डू में बेसन, बूंदी, रागी और मोतीचूर के नमूने शामिल हैं, वहीं, तैयार सब्जी की ग्रेवी, पेठा और रसगुल्ला (केसरबाटी) के चार-चार नमूने फेल पाए गए.
इन कैटेगिरी में फेल होते है नमूने:
- मिसब्रांड: प्रोडक्ट पर गलत या भ्रामक जानकारी दी जाती है, बनाने और उपयोग तिथि में गड़बड़ हो. वहीं, किन सामग्री से बना है, उसकी भी अधूरी या गलत जानकारी दी हो.
- सब स्टैंडर्ड: भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) के तय गुणवत्ता मानकों पर खरा नहीं उतरना, इनमें तय मात्रा से नीचे गुणवत्ता रहती हैं.
- अनसेफ: ये स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं. इनमें घातक तत्व या मिलावट होती है. खराब रखरखाव और बदबूदार होना, जिससे खाने से बीमारियां हो सकती हैं. खाद्य पदार्थ की मूल सामग्री को सस्ते या हानिकारक पदार्थों से बदलना.
इस अभियान से स्पष्ट हुआ कि खाद्य सुरक्षा के मानकों का पालन कराने में अभी भी बड़ी चुनौतियां हैं. प्रशासन ने चेतावनी दी है कि अमानक और अनसेफ खाद्य पदार्थों की बिक्री पर सख्त कार्रवाई जारी रहेगी.




















