जोधपुर: केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने खेलों को राजनीति से अलग रखने की वकालत की है. रविवार को जोधपुर में सर्किट हाउस में मीडिया से बात करते हुए पाकिस्तान के साथ क्रिकेट मैच को लेकर विपक्ष के आरोपों पर शेखावत ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट को राजनीतिक विवादों से दूर रखा जाना चाहिए. अगर हम खेल के मंचों से हटने लगें, तो भविष्य में हमें ब्रिक्स, कॉमनवेल्थ या ओलंपिक जैसे मंचों से भी खुद को अलग करना पड़ेगा, जो व्यवहारिक नहीं है. उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत राष्ट्रीय हितों से कोई समझौता नहीं करेगा, लेकिन खेलों को खेल भावना से ही देखा जाना चाहिए. शेखावत ने कहा कि पॉलिसी और प्रोटोकॉल में फर्क होता है. दोनों को एक तराजू में नहीं तौला जा सकता. हम राष्ट्र सुरक्षा हित में कोई समझौता नहीं कर सकते.
देश में पर्यटन की बार करते हुए उन्होंने कहा कि भारत में जिस तेजी से आर्थिक प्रगति हो रही है, उसी अनुपात में डोमेस्टिक टूरिज्म में ऐतिहासिक वृद्धि देखने को मिल रही है. अगर महाकुंभ जैसे आयोजनों के आंकड़ों को अलग कर दें, तब भी बीते एक वर्ष में 250 करोड़ यात्राएं दर्ज की गई हैं, जो देश की कुल आबादी से डेढ़ गुना अधिक है. अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों की संख्या भी अब 2 करोड़ के करीब पहुंच चुकी है.
शेखावत ने कहा कि ये आंकड़े भारत की बदलती वैश्विक छवि, आर्थिक सुदृढ़ता और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में विकसित हो रहे इंफ्रास्ट्रक्चर एवं टूरिज्म इंफ्रास्ट्रक्चर का परिणाम है. उन्होंने कहा कि पिछले 11 वर्षों के कालखंड में डेढ़ लाख किलोमीटर से अधिक सड़कों का निर्माण, नए हवाई अड्डों और रेलवे स्टेशनों का विकास, वंदे भारत और अमृत भारत जैसी आधुनिक ट्रेनों की शुरुआत, इन सभी ने टूरिज्म को गति दी है.
शेखावत ने स्पष्ट किया कि भारत सरकार का लक्ष्य है कि जैसे वैश्विक स्तर पर टूरिज्म का योगदान ग्लोबल जीडीपी में 10% है, वैसे ही भारत में भी पर्यटन क्षेत्र का योगदान 2047 तक 10% तक पहुंचे. उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि जब भारत की अर्थव्यवस्था 30 से 40 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचे, तो टूरिज्म का योगदान 3 ट्रिलियन डॉलर हो. इसके लिए सरकार ने अगले पांच वर्षों में 50 आइकॉनिक डेस्टिनेशन्स को विकसित करने का लक्ष्य तय किया है, ताकि ओवर टूरिज्म को रोका जा सके और सस्टेनेबल टूरिज्म को बढ़ावा मिले.
‘ज्ञान भारतम’ मिशन से बदलेगा भारत का बौद्धिक परिदृश्य: केंद्रीय मंत्री शेखावत ने बताया कि भारत के पास आज भी लाखों की संख्या में प्राचीन हस्तलिखित पांडुलिपियां मौजूद हैं, जिनमें से कई ताड़पत्र, भोजपत्र, पेड़ की छाल, रेशम के कपड़े या हस्तनिर्मित कागज पर लिखी गई हैं. उन्होंने कहा कि इन पांडुलिपियों में हमारे पूर्वजों का अमूल्य ज्ञान समाहित है, जिसे संरक्षित करना समय की मांग है. इसी उद्देश्य से केंद्र सरकार ने ‘ज्ञान भारतम’ के तहत ‘राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन’ की शुरुआत की है. इस मिशन के तहत राष्ट्रीय महत्व की सभी पांडुलिपियों का डिजिटलीकरण किया जाएगा और उन्हें कंप्यूटर रीडेबल फॉर्मेट में लाकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की सहायता से उनका विश्लेषण किया जाएगा.




















