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Rajasthan : केलवा सर्व समाज ने युगप्रधान आचार्यश्री को अर्पित किया अभिनंदन पत्र

Rajasthan : केलवा सर्व समाज ने युगप्रधान आचार्यश्री को अर्पित किया अभिनंदन पत्र

तेरापंथ के एकादशमाधिशास्ता का केलवा में पावन पदार्पण

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15 कि.मी. का किया विहार, बोरज भी श्रीचरणों से हुआ पावन

केलवा में उमड़ा श्रद्धा का सैलाब, श्रद्धालुओं की उपस्थित मार्ग बना जनाकीर्ण

भिक्षु विहार में भिक्षु के पट्टधर महातपस्वी महाश्रमण का एकदिवसीय प्रवास

धर्म की साधना का होता रहे प्रयास : एकादशमाधिशास्ता आचार्यश्री महाश्रमण

केलवा सर्व समाज ने युगप्रधान आचार्यश्री को अर्पित किया अभिनंदन पत्र

केलवावासियों ने दी भावनाओं को अभिव्यक्ति, प्राप्त किया पावन आशीष

02.12.2025 श्रेयांस बैद मंगलवार। केलवा, राजसमंद (राजस्थान) :

राजस्थान के राजसमंद जिले का केलवा गांव। यही वह गांव जहां जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के प्रथम अनुशास्ता, महामना आचार्यश्री भिक्षु स्वामी ने तेरापंथ की दीक्षा ग्रहण करने के बाद अपने कुछ संतों के साथ केलवा की अंधेरी ओरी में प्रथम चतुर्मास किया था। मंगलवार उस भूमि पर जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी का मंगल पदार्पण हो रहा था।

प्रातःकाल की मंगल बेला में आचार्यश्री ने अपनी धवल सेना के साथ राजनगर से मंगल प्रस्थान किया। कुछ कच्चे और ग्रामीण रास्तों से आचार्यश्री आगे बढ़े तो माइनिंग के लिए प्रसिद्ध यह क्षेत्र आज मानों आध्यात्मिकता से भावित नजर आ रहा था। मार्ग में आने वाले गांववासियों को अनायास ही आचार्यश्री के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त हो रहा था। ग्रामीण स्थान-स्थान पर बड़ी संख्या में उपस्थित होकर इस सुअवसर का लाभ प्राप्त कर रहे थे। आचार्यश्री कुछ चक्कर लेकर बोरज गांव में भी पधारे और वहां के श्रद्धालुओं को मंगल आशीर्वाद प्रदान किया। जन-जन पर आशीष की वृष्टि करते हुए आचार्यश्री लगभग 15 कि.मी. का विहार परिसम्पन्न कर उस केलवा की धरती पर पधारे, जहां तेरापंथ के आद्य अनुशास्ता आचार्यश्री भिक्षु ने तेरापंथी आचार्य के रूप में प्रथम चतुर्मास किया था और वर्तमान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने वर्ष 2011 में चतुर्मास किया था। भव्य स्वागत जुलूस के साथ युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी केलवा में स्थित भिक्षु विहार में पधारे।

Rajasthan : केलवा सर्व समाज ने युगप्रधान आचार्यश्री को अर्पित किया अभिनंदन पत्र

तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने केलवा नगरी में बने भव्य ‘महाश्रमण समवसरण’ में उपस्थित विशाल जनमेदिनी को पावन प्रतिबोध प्रदान करते हुए कहा कि धर्म को उत्कृष्ट मंगल कहा गया है। दुनिया में स्वयं के लिए और दूसरों के लिए भी मंगल की कामना की जाती है। मंगल हो, ऐसा प्रयास भी किया जाता है। मुहूर्त, शकुन आदि के रूप में भी मंगल का प्रयास किया जाता है। आगम में उत्कृष्ट मंगल धर्म को बताया गया है। अहिंसा, संयम और तप रूपी धर्म ही मंगल होता है।

अहिंसा की साधना जो भी करता है, उसका मंगल होता है। संयम की साधना करने वाले का और तपस्या करने वाले का कल्याण हो सकता है। अहिंसा धर्म तो शाश्वत, सनातन व धु्रव धर्म है। दुनिया के प्रत्येक प्राणी को सुख प्रिय और दुःख अप्रिय है। इसलिए मनुष्य को किसी भी प्राणी को अनावश्यक कष्ट देने से बचने का प्रयास करना चाहिए। जो व्यवहार अपने लिए बुरा लगता हो तो वैसा व्यवहार दूसरों के साथ भी करने से बचने का प्रयास करना चाहिए। सभी प्राणियों को अपने समान समझना चाहिए। जहां अहिंसा होती है, वहां शांति भी रह सकती है।

Rajasthan : केलवा सर्व समाज ने युगप्रधान आचार्यश्री को अर्पित किया अभिनंदन पत्र

जहां हिंसा होती है, वहां अशांति का माहौल होता है। इसी प्रकार संयम की साधना भी बहुत आवश्यक है। आदमी को प्रत्येक क्षेत्र में संयम रखने का प्रयास करना चाहिए। वाणी का संयम, आहार का संयम, परिग्रह में संयम करने का प्रयास करना चाहिए। आदमी को मन का भी संयम करने का प्रयास करना चाहिए। शरीर का भी संयम करने का प्रयास होना चाहिए। इसी प्रकार आदमी को अपनी पंचेन्द्रियों का भी संयम करने का प्रयास करना चाहिए।

तपस्या करना भी धर्म है। इनमें अन्न ग्रहण न करना, अनाहार की तपस्या करना तपस्या है। हालांकि शास्त्रों में अध्ययन-अध्यापन, ध्यान आदि भी धर्म के अंग हैं। अच्छे काम में परिश्रम करना और शुभ योग में रहना भी तपस्या होती है। इसलिए आदमी को अच्छा पुरुषार्थ करने का प्रयास करना चाहिए। जीवन में धर्म की साधना करते रहने का प्रयास करना चाहिए।

Rajasthan : केलवा सर्व समाज ने युगप्रधान आचार्यश्री को अर्पित किया अभिनंदन पत्र

आज हम आचार्यश्री भिक्षु से जुड़े हुए केलवा क्षेत्र में आए हैं। यह मानों परम पूज्य आचार्यश्री भिक्षु स्वामी की दीक्षास्थली है। उन्होंने तेरापंथ की दीक्षा इस केलवा में ली। अंधेरी ओरी में आचार्यश्री भिक्षु ने जैन श्वेताम्बर तेरापंथ की दीक्षा लेने के बाद पहला चतुर्मास प्रवास यहां किया था। तेरापंथ रूपी घट का निर्माण यहां हुआ था। आचार्यश्री भिक्षु की जन्म त्रिशताब्दी का वर्ष भी मना रहे हैं। भिक्षु चेतना वर्ष के दौरान ही राजनगर के बाद केलवा भी आना हो गया। आचार्यश्री भिक्षु जैसे संत का सान्निध्य इस केलवा को प्राप्त हुआ। उनकी परंपरा में दस आचार्य प्राप्त हो चुके। केलवा में गुरुदेव तुलसी भी पधारे थे। आज हमारा आना हो गया है।

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आचार्यश्री के स्वागत में संयोजक श्री महेन्द्र कोठारी ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। केलवा समस्त तेरापंथ समाज ने सामूहिक रूप में गीत का संगान किया। केलवा सर्व समाज द्वारा आचार्यश्री का नागरिक अभिनंदन किया गया। श्री दिनेश कोठारी ने अभिनंदन पत्र का वाचन किया। केलवा सर्व समाज ने नागरिक अभिनंदन पत्र श्रीचरणों में अर्पित किया। आचार्यश्री ने मंगल आशीष प्रदान किया। केलवा ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने अपनी भावपूर्ण प्रस्तुति दी। ज्ञानशाला की प्रशिक्षिकाओं ने गीत को प्रस्तुति दी।

Rajasthan : केलवा सर्व समाज ने युगप्रधान आचार्यश्री को अर्पित किया अभिनंदन पत्र

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