जयपुर: प्रदेश में कोचिंग सेंटरों पर नियंत्रण के लिए विधानसभा में ‘कोचिंग सेंटर नियंत्रण और विनियमन विधेयक 2025’ बहुमत से पारित कर दिया गया. प्रवर समिति की रिपोर्ट के बाद यह बिल पारित हुआ था. इस बिल के आने के बाद सियासी बयानबाजी का पारा गर्म है. विपक्ष ने विधेयक को लेकर कई तरह के सवाल उठाए हैं, जबकि सत्तापक्ष का तर्क है कि विधेयक पर सुझाव के लिए बनी प्रवर समिति में कांग्रेस के सदस्य शामिल थे और उनके सुझावों पर ही विधेयक तैयार हुआ. फिर वे घड़ियाली आंसू क्यों बहा रहे हैं? बिल में किए गए प्रावधानों से कांग्रेस को भले ही आपत्ति हो, लेकिन डिप्टी सीएम और उच्च शिक्षा मंत्री प्रेमचंद बैरवा इस बिल को विद्यार्थियों और अभिभावकों के लिए राहत देने वाला मानते हैं. डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा ने ETV भारत से खास बातचीत में विपक्ष के हर एक आरोप का जवाब दिया. बैरवा ने कहा कि विपक्ष और नेता प्रतिपक्ष के आरोपों को तो उन्हीं की पार्टी के वरिष्ठ विधायक राजेंद्र पारीक ने सदन में ही खारिज कर दिया था, फिर वे जनता को गुमराह करने की कोशिश क्यों कर रहे हैं? यहां पेश हैं उनसे बातचीत के अंश:
सवाल: कोचिंग सेंटर नियंत्रण और विनियमन विधेयक में विद्यार्थियों और अभिभावकों को क्या राहत दी गई है?
जवाब: यह विधेयक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकसित भारत के विजन की दिशा में एक कदम है. कोचिंग संस्थान, अभिभावकों और सरकार सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है कि हम अपने बच्चों को एक बेहतर भविष्य दें. बच्चों को इस तरह से तैयार करें कि वे अवसाद में न जाएं. केंद्र और न्यायालय ने भी इस दिशा में गाइडलाइन दी है. उसी को ध्यान में रखकर ‘राजस्थान कोचिंग सेंटर नियंत्रण और विनियमन विधेयक 2025’ पिछले बजट सत्र में लाया गया था.
हालांकि, उस समय कुछ सुझावों और आपत्तियों के कारण विधेयक को प्रवर समिति को भेज दिया गया था. प्रवर समिति की सिफारिशों को शामिल करते हुए बिल में कुछ नए प्रावधान जोड़े गए हैं. यह बिल इस मानसून सत्र में पारित भी हो गया. प्रधानमंत्री के विजन के अनुरूप ही इस बिल को लाया गया है. इस बिल के अनुसार कोचिंग सेंटरों पर नियंत्रण के लिए ‘राजस्थान कोचिंग सेंटर प्राधिकरण’ बनेगा. इसमें उच्च शिक्षा विभाग के प्रभारी सचिव अध्यक्ष होंगे. इसके सदस्यों में स्कूल शिक्षा विभाग, तकनीकी शिक्षा विभाग, मेडिकल एजुकेशन के सचिव, आईजी, कॉलेज शिक्षा आयुक्त, डीएलबी निदेशक, एक मनोवैज्ञानिक (साइकोलॉजिस्ट), वित्त विभाग से नामित एक सचिव, कोचिंग सेंटरों के 2 प्रतिनिधि और अभिभावक समिति के 2 सदस्य होंगे. उच्च शिक्षा विभाग के संयुक्त सचिव इसके सदस्य सचिव होंगे.
सवाल: प्रवर समिति में विपक्ष के सदस्य शामिल थे, फिर क्या कारण है कि वे इस बिल का विरोध कर रहे हैं?
जवाब: विधानसभा में बिल का विरोध करने वाले कांग्रेस सदस्यों को उन्हीं की पार्टी के वरिष्ठ सदस्य राजेंद्र पारीक ने जवाब दे दिया है. पारीक प्रवर समिति के सदस्य भी हैं, इसलिए उन्हें पता था कि विधेयक में क्या-क्या प्रावधान जोड़े गए हैं. जब उनकी अपनी पार्टी के सदस्य ने ही जवाब दे दिया तो विरोध का कोई मतलब नहीं रह जाता. यह बिल सबकी राय लेने और सबको संतुष्ट करने के बाद लाया गया है. यह विधेयक हमारे बच्चों का भविष्य सुरक्षित रखेगा. इसलिए इसमें विद्यार्थियों के माता- पिता और शिक्षकों की जिम्मेदारी तय की गई है.
सवाल: बिल में बच्चों की संख्या को 50 से बढ़ाकर 100 कर दिया गया? क्या विपक्ष की आपत्ति के बाद ऐसा किया गया था?
जवाब: जहां तक बच्चों की संख्या 50 से बढ़ाकर 100 करने की बात है, तो प्रवर समिति के पास कई तरह के सुझाव आए थे, उनमें से एक बच्चों की संख्या को लेकर भी था. ग्रामीण क्षेत्रों या कुछ जगहों पर ऐसे छोटे कोचिंग सेंटर हैं, जहां कम संख्या में बच्चे पढ़ते हैं, तो उन्हें इस दायरे में नहीं लाना चाहिए. इसी को ध्यान में रखते हुए यह संख्या बढ़ाई गई. बिल में संशोधन प्रवर समिति और विशेषज्ञों की राय के आधार पर ही किए गए. नियमों का उल्लंघन करने पर पहली बार में जुर्माना 50 हजार रुपए होगा. कोचिंग सेंटर यदि दूसरी नियमों का उल्लंघन करेगा तो उस पर 2 लाख रुपए का जुर्माना लगेगा.
सवाल: बच्चों की सुसाइड का विषय काफी गंभीर है. कोटा व सीकर में आंकड़े ज्यादा हैं. क्या उम्मीद की जा सकती है कि इस बिल के लागू होने से इन आंकड़ों में कमी आएगी?
जवाब: बच्चे को अच्छी शिक्षा मिले, यह सबकी जिम्मेदारी है, लेकिन यह भी हमें देखना होगा कि कहीं हम अपनी इच्छा बच्चों पर थोप तो नहीं रहे. बच्चे के मन के भाव को जानना जरूरी है, यदि अभिभावक बच्चे पर अपनी इच्छा थोपेंगे तो वह तो अवसाद में चला जाएगा. हम किसी को जबरदस्ती डॉक्टर या इंजीनियर बनने का दबाव नहीं डाल सकते. अभिभावकों की जिम्मेदारी है कि वे बच्चों के मन की बात जानें. बच्चा क्या कर सकता है? बच्चे में इतनी क्षमता है? बच्चा क्या करना चाहता है? यह उन्हें देखना होगा. बिल में भी प्रावधान है कि कोचिंग संस्थान बच्चों की समय-समय पर काउंसलिंग करेगा. बच्चे की बौद्धिक क्षमता को देखेंगे. कोचिंग संस्थान में विद्यार्थियों को एक अच्छा वातावरण मिलना चाहिए. बच्चों को अवसाद से बाहर रखने के लिए सबको सामूहिक प्रयास करने होंगे.
सवाल: विधानसभा में विपक्ष की भूमिका को लेकर क्या कहेंगे? जो बिल पारित हुए, उन पर यदि चर्चा होती तो एक अच्छा संदेश जाता?
जवाब: विधानसभा में विपक्ष ने इस बार सिर्फ एक काम किया – वह है हंगामा करने का. इस बार सदन में दस बिल पारित हुए, इनमें कोचिंग संस्थान वाला बिल भी था. इन बिलों पर विपक्ष को सदन में सार्थक चर्चा करनी चाहिए थी. अच्छे सुझाव देने चाहिए थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. विपक्ष के इस कृत्य को 8 करोड़ की राजस्थान की जनता ने देखा है, जो उन्हें माफ करने वाली नहीं है. विपक्ष इस बार अपने दायित्वों से भागती रही. सदन में कुछ भी पहनकर आ गए. इस तरह के नाटक से सदन की गरिमा गिरी है. सदन में सार्थक चर्चा हो सकती थी, वहां इस तरह का माहौल बनाकर उसे खराब किया गया. जनता सदन में इसलिए चुनकर भेजती है ताकि आप उनकी समस्याओं और सुविधाओं की बात करें, लेकिन विपक्ष ने इस बार ऐसा कुछ नहीं किया, केवल हंगामा ही किया. प्रदेश की जनता उन्हें माफ नहीं करेगी.




















