जयपुर: विधानसभा में गुप्त कैमरों के जरिए विपक्ष की कथित जासूसी का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा. इस मामले को लेकर नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने गत दिनों राज्यपाल हरिभाऊ बागडे से मुलाकात करके जांच की मांग की, तो वहीं अब राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी इस मामले को लेकर विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी पर बड़ा हमला बोला है. गहलोत ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष को कोई अधिकार नहीं है कि वे कैमरों के जरिए विपक्ष की बातचीत सुनें.
गहलोत ने शनिवार को प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि विधानसभा में दो कैमरे लगाए गए हैं, उसका कंट्रोल सिस्टम विधानसभा अध्यक्ष के कक्ष में है ताकि वे और उनका प्राइवेट सेक्रेटरी देख और सुन सकें. यह बहुत बड़ा अपराध है, इसकी जांच होनी चाहिए. गहलोत ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष को क्या अधिकार है इस तरह के कैमरे लगवाने का? उन्होंने कहा कि विधानसभा, लोकसभा और राज्यसभा में भी कैमरे लगे होते हैं. उसके जरिए सदन की कार्रवाई का सीधा प्रसारण लाइव देखा जा सकता है. विधानसभा में पहले ही कई कैमरे लगे हुए हैं, जिनसे लाइव प्रसारण होता है. अगर आप दो कैमरे विपक्ष की तरफ अलग से लगा दो और विपक्ष के विधायक क्या बात कर रहे हैं, इसकी तुरंत सूचना विधानसभा अध्यक्ष के पास पहुंच जाती है, यह ठीक नहीं है.
डोटासरा के मामले में भी यही किया: गहलोत ने कहा कि बजट सत्र में विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और वरिष्ठ विधायक गोविंद सिंह डोटासरा के साथ भी यही किया था. जब सदन की कार्यवाही स्थगित थी, तो डोटासरा ने कोई जुमला बोल दिया. जुमला तो कोई भी बोल देते हैं. डोटासरा के उस जुमले को लेकर विधानसभा स्पीकर ने हाउस में डिबेट करवा दी. सत्ता पक्ष के विधायक उस मुद्दे पर बहुत कुछ बोले. किसी ने कहा 4 साल के लिए निकाल दो, किसी ने कहा 5 साल के लिए निकाल दो. खुद विधानसभा अध्यक्ष ने डोटासरा की अनुपस्थिति में कहा कि वह सदन के सदस्य बनने लायक नहीं हैं. इस इस तरह की बात कहने का उन्हें कोई अधिकार नहीं था.
राज्यपाल से मिला प्रतिनिधिमंडल: गहलोत ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली के नेतृत्व में कांग्रेस का प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल से मिला था. अब राज्यपाल को चाहिए कि वे विधानसभा को सील करवाकर पूरे मामले की जांच करवाएं कि कितने कैमरे लगे, क्यों लगे और इनका पेमेंट किसने किया?
वोट चोरी लोकतंत्र के लिए खतरनाक: पूर्व मुख्यमंत्री ने वोट चोरी अभियान को लेकर कहा कि कांग्रेस 15 सितंबर से 15 अक्टूबर तक देश भर में वोट चोरी के खिलाफ हस्ताक्षर अभियान शुरू करने जा रही है. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में चुनाव आयोग की भूमिका सबसे बड़ी होती है. आयोग को निष्पक्ष चुनाव करवाना चाहिए, चाहे कोई भी पार्टी या प्रत्याशी चुनाव जीते. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने चुनाव आयोग से मतदाताओं की डिजिटल कॉपी मांगी थी, लेकिन 6 महीने बाद भी आयोग ने कॉपी नहीं दी, यदि उस वक्त ही कॉपी दे देते तो पता चल जाता कि कहां-कहां गड़बड़ी हुई है. गहलोत ने कहा कि पहले ईवीएम सबसे बड़ा मुद्दा होता था, क्योंकि पश्चिमी देशों, खासकर इंग्लैंड, अमेरिका जैसे राष्ट्रों ने भी ईवीएम को नकार दिया था. वहां पर बैलट पेपर से चुनाव होता है. गहलोत ने कहा कि बिहार चुनाव की मतदाता सूची में 68 लाख लोगों के नाम काट दिए गए. यहां बड़े स्तर पर गड़बड़ी हुई है. गहलोत ने कहा कि पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने वोट चोरी के खिलाफ राष्ट्रव्यापी अभियान चलाने के निर्देश दिए हैं.




















