बूंदी: जिले में पिछले दिनों हुई अतिवृष्टि और बाढ़ ने ग्रामीण इलाकों की तस्वीर बदल दी है. कई गांवों में कच्चे-पक्के मकान जमींदोज हो गए. पशुधन की मौत हो गई और खेतों में खड़ी फसलें बर्बाद हो गईं. इस आपदा ने ग्रामीणों को बेघर और बेहाल कर दिया है. खाने-पीने से लेकर रहने तक का संकट गहराता जा रहा है. इन हालातों में किसान संगठनों, जनप्रतिनिधियों और प्रशासन ने अलग-अलग मोर्चा संभाल रखा है.
किसानों ने दी आंदोलन की चेतावनी : केशोरायपाटन शुगर मिल संयुक्त किसान समन्वय समिति के प्रतिनिधि नवीन श्रृंगी ने बताया कि आपदा प्रभावित परिवारों की स्थिति बेहद गंभीर है. किसानों का प्रतिनिधिमंडल युवा किसान नेता गिर्राज गौतम के नेतृत्व में उपखंड कार्यालय पहुंचा और मुख्यमंत्री व आपदा प्रबंधन मंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा. गौतम ने कहा कि प्रशासन को तीन दिनों में सभी गांवों का सर्वे कर 10 दिनों में सहायता राशि उपलब्ध करवानी चाहिए.
उन्होंने कहा कि ग्रामीणों के सामने अब रहने और खाने की समस्या उत्पन्न हो गई है. पंचायत स्तर पर कर्मचारियों को राहत कार्यों में लगाया जाए. गौतम ने प्रशासन की उदासीनता पर भी सवाल उठाए और कहा कि पिछले वर्षों का मुआवजा भी ग्रामीणों तक नहीं पहुंच पाया. उन्होंने साफ चेतावनी दी कि यदि 10 दिनों में सहायता राशि मिलना शुरू नहीं हुई तो किसान आंदोलन के लिए विवश होना पड़ेगा.
अतिवृष्टि से प्रभावित गांव में पहुंचे विधायक : बूंदी विधायक हरिमोहन शर्मा ने अतिवृष्टि प्रभावित गांव देलूंदा, रियाना, ख्यावदा, भाटों का खेड़ा और मालीपाड़ा का दौरा कर वहां के हालातों का जायजा लिया. देलूंदा राजकीय विद्यालय में ठहरे 40-50 परिवारों के करीब 150 लोगों से मुलाकात कर उनकी समस्याएं सुनीं. शर्मा ने जिला कलेक्टर से दूरभाष पर बात कर प्रभावित परिवारों के लिए खाने-पीने और रहने की तत्काल व्यवस्था करवाने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि ख्यावदा बैरवा बस्ती में तो मकान 10 से 15 फीट पानी में डूबे हुए हैं.
टूटे हुए मकानों और अन्य नुकसानों का तुरंत सर्वे कर प्रभावितों को भरपूर मुआवजा दिलाना प्रशासन की जिम्मेदारी है. उन्होंने कहा कि मौके पर देखा गया मंजर दिल दहला देने वाला था. लोगों के मकान टूट गए, अनाज बह गया, वाहन मलबे में दब गए, पशुधन मर गया और छोटे बच्चों व बुजुर्गों तक को बेघर होना पड़ा. शर्मा ने भरोसा दिलाया कि वे विधानसभा सत्र में इस मुद्दे को मजबूती से उठाएंगे. इस दौरान रायथल क्षेत्र के ग्रामीणों ने जिला परिषद सदस्य अनीता मीणा के नेतृत्व में फसली नुकसान का मुआवजा दिलाने की मांग को लेकर विधायक को ज्ञापन सौंपा.
कलेक्टर का दौरा, अधिकारियों को सख्त निर्देश : सोमवार को जिला कलेक्टर अक्षय गोदारा ने केशवरायपाटन और लाखेरी उपखंड क्षेत्रों का दौरा कर नुकसान का जायजा लिया. उन्होंने अधिकारियों से कहा कि राहत कार्यों में किसी भी स्तर पर कोताही बर्दाश्त नहीं होगी. कलेक्टर ने पंचायत समिति कार्यालय में बैठक लेकर कहा कि क्षतिग्रस्त मकानों, अस्थायी ढांचों और सरकारी भवनों का मूल्यांकन कर एसडीआरएफ नियमों के तहत प्रस्ताव तुरंत तैयार किए जाएं.
उन्होंने चेतावनी दी कि कोई भी प्रभावित परिवार राहत से वंचित नहीं रहना चाहिए. काप्रेन अस्पताल का निरीक्षण करते हुए उन्होंने जलभराव से हुए नुकसान पर नाराजगी जताई और तुरंत सफाई व उपकरणों की सूची बनाकर नए संसाधन उपलब्ध कराने के निर्देश दिए. उन्होंने मौसमी बीमारियों की रोकथाम के लिए एंटीलार्वा गतिविधियां बढ़ाने और क्षतिग्रस्त पुलिया की मरम्मत कराने के भी आदेश दिए. कलेक्टर ने कहा कि किसानों के फसल नुकसान का सर्वे प्राथमिकता पर किया जाए. उन्होंने आर्मी और एनडीआरएफ द्वारा चल रहे बचाव कार्यों का निरीक्षण भी किया. बाबई में चाकन नदी पर क्षतिग्रस्त पुलिया को तुरंत दुरुस्त करने के निर्देश दिए ताकि यातायात सामान्य हो सके.
राहत कार्य तेज, मुआवजा जल्द : कलेक्टर गोदारा ने बताया कि प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया गया है. मुआवजा वितरण की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. पटवारियों और ग्राम सेवकों को आवेदन जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई है, ताकि जल्द से जल्द राहत राशि जारी की जा सके.




















