डूंगरपुर: भाजपा सांसद मन्नालाल रावत ने धर्मांतरण को लेकर बीएपी के सांसद राजकुमार रोत पर बड़ा हमला बोला है. उन्होंने कहा कि सांसद रोत आदिवासी समाज और इसकी संस्कृति के बड़े दुश्मन हैं. संसद में जब भी मौका मिलता है, वे देश विरोधी ताकतों के साथ खड़े नजर आते हैं. जब सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण के मामले में ‘कोटे में कोटा’ की व्यवस्था करने के निर्देश दिए थे और सरकार यह व्यवस्था लागू भी कर रही थी, लेकिन तब सांसद रोत भीलों के आरक्षण का विरोध कर रहे थे.
भाजपा सांसद रावत शनिवार को डूंगरपुर दौरे पर थे. उन्होंने सर्किट हाउस में पत्रकारों से बातचीत में ये आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि राजस्थान विधानसभा में जब धर्मांतरण विरोधी अधिनियम पेश किया गया, तो बीएपी के विधायक विरोध करते नजर आए. ये अंग्रेजों के विद्वान मैक्समूलर के विचारों को आगे बढ़ाते हुए नजर आ रहे हैं. सांसद रोत जनजातियों के साथ पाप कर रहे हैं, जो यह समाज कभी स्वीकार नहीं करेगा. वहीं, इस संबंध में सांसद राजकुमार रोत से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका है.
धर्म बदल चुके लोग उठा रहे हैं आरक्षण का लाभ: सांसद रावत ने धर्मांतरण को लेकर कहा कि इसका सबसे बड़ा नुकसान आदिवासी समाज को हो रहा है. एसटी को मिलने वाले आरक्षण में से 72%, छात्रवृत्तियों का 70%, विकास अनुदान का 68% धर्मांतरित लोग फायदा उठा रहे हैं. यह आदिवासियों के हक को छीनने वाला है. उन्होंने कहा कि धर्मांतरण विरोध को लेकर 22 राज्यों में समाज आंदोलन कर रहा है. सभी चाहते हैं कि इसमें संशोधन हो, उसे डीलिस्टिंग मूवमेंट कहते हैं. उन्होंने कहा कि एससी की तर्ज पर ही एसटी की परिभाषा होनी चाहिए और जल्द ही इसमें सुधार होगा, क्योंकि भारत का विचार भी बाबा साहब अंबेडकर और संविधान का विचार है.
दबाव के कारण कांग्रेस नहीं ला पाई धर्मांतरण विरोधी बिल: उदयपुर सांसद ने कहा कि बाबा साहब अंबेडकर 1950 में जब केंद्र में विधि मंत्री थे, तब 2 नोटिफिकेशन जारी किए थे. पहला अनुसूचित जनजातियों के बारे में था. इसमें उन्होंने स्पष्ट लिखा कि जिसने सनातन छोड़ दिया है, वह एससी नहीं है. बाबा साहब सबसे बड़े हिंदूवादी थे. उन्होंने सनातन संस्कृति और परंपरा का ध्यान रखा, लेकिन षड्यंत्रपूर्वक कुछ लोगों ने एसटी की परिभाषा को खुला रख दिया. इसमें यह शर्त नहीं डालने दी. उस समय कांग्रेस के एक बड़े नेता कार्तिक ने यह प्रश्न इंदिरा गांधी के सामने रखा. उन्होंने लगातार संघर्ष किया, लेकिन इंदिरा गांधी और बाकी सब लोग कतिपय दबाव में आ गए. यहां तक कि कुछ लोगों ने ऐसा नोटिफिकेशन लाने पर अलग देश की मांग करने धमकी तक दी थी. इस धमकी के दबाव में आकर कांग्रेस ने बड़ा पाप किया, जिसे जनजाति समाज आज भी भुगत रहा है. इससे पहले सांसद मन्नालाल के डूंगरपुर सर्किट हाउस पहुंचने पर भाजपा जिलाध्यक्ष अशोक पटेल, विधायक शंकर डेचा, बंशीलाल कटारा समेत भाजपा पदाधिकारियों ने स्वागत किया. इसके बाद वे भाजपा के सेवा पखवाड़ा के तहत आयोजित कार्यशाला में शामिल हुए.




















