बाड़मेर: पश्चिमी राजस्थान में अच्छी बारिश के बाद सूखे पड़े बालोतरा की लूणी नदी में पानी की आवक होने से स्थानीय लोगों में खुशी की लहर दौड़ गई. लगातार तीसरे साल लूणी नदी में पानी की आवक से उत्साहित लोगों ने झूमते-नाचते हुए बालोतरा में लूणी नदी का स्वागत किया. वहीं, महिलाओं ने लूणी नदी को चुनरी ओढ़ाकर मंगल गीत गए.
बालोतरा में लूणी नदी में पानी की आवक के बाद स्थानीय लोगों ने पारंपरिक तरीके से इसका स्वागत किया. सूखी पड़ी नदी में पानी आते ही स्थानीय महिलाओं और पुरुषों ने नाचते-गाते हुए खुशी का इजहार किया. महिलाओं ने मंगल गीत गाए और चुनरी ओढ़ाकर नदी का स्वागत किया. ढोल-नगाड़ों की थाप पर लोग झूमते हुए नजर आए, जिससे पूरे इलाके में उत्सव का माहौल बन गया.
लूणी नदी में पानी की आवक से किसानों में भी खुशी की लहर है. किसानों का कहना है कि नदी में पानी आने से आसपास के जल स्तर में वृद्धि होगी, जिससे कुओं में सिंचाई के लिए एक-दो साल तक पर्याप्त मात्रा में पानी उपलब्ध रहेगा. इससे उनकी खेतीबाड़ी में सुधार होगा.
10 सालों में 7 बार लूणी नदी में हुई पानी की आवक: यह पिछले 10 सालों में सातवीं बार है, जब लूणी नदी में पानी आया है. 2025 पहले 2015, 2016, 2017, 2019, 2023 और 2024 में भी पानी आया था. इस साल लगातार तीसरी बार पानी आने से लोगों में उम्मीद जगी है कि अब उन्हें पानी की समस्या से राहत मिलेगी, साथ ही उनकी खेतीबाड़ी में सुधार होगा.
उल्लेखनीय है कि लूणी नदी अजमेर के आनासागर-नाग पहाड़ से निकलती है. यह नागौर, जोधपुर, पाली, बालोतरा, बाड़मेर और जालोर से बहती हुई गुजरात के कच्छ के रण में विलुप्त हो जाती है. नदी की कुल लंबाई 495 किलोमीटर है, जबकि राजस्थान में इसकी लंबाई 330 किलोमीटर है. लूणी नदी का प्राचीन नाम लवण्वती था.




















