राजस्थान के उदयपुर में दर्जी कन्हैया लाल के बेटे यश साहू ने फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स: कन्हैया लाल टेलर मर्डर’ की रिलीज न रोकने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। CNN-News18 से खास बातचीत में यश ने कहा कि सेंसर बोर्ड ने पहले ही फिल्म में कटौती (cuts) कर दी है, इसलिए इसे रोकने की कोई जरूरत नहीं थी।
दर्जी कन्हैया लाल के बेटे ने अपने पिता की हत्या में पाकिस्तान के संबंध का भी आरोप लगाया और कहा कि मामले की सुनवाई बहुत धीमी गति से चल रही है। सुप्रीम कोर्ट की ओर से फिल्म की स्क्रीनिंग को चुनौती देने वाली याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार करने के कुछ घंटों बाद, यश ने CNN-News18 से बातचीत में का कि मैं खुश हूं कि मेरे पिता की हत्या पर बनी फिल्म रिलीज होगी।” उन्होंने सवाल किया, “सेंसर बोर्ड ने 150 कट लगाए, जिससे कोई उकसावे वाली बात न रहे। तो फिर हंगामा क्यों?” फिल्म की रिलीज के खिलाफ याचिका दाखिल करने वालों का जिक्र करते हुए यश ने कहा, “वे चाहते हैं कि देश मेरे पिता कन्हैया लाल की गर्दन काटने की घटना को भूल जाए।”
बेटे यश ने आरोप लगाया कि मेरे पिता की हत्या का स्पष्ट रूप से पाकिस्तान से संबंध रहा है। उन्होंने आगे कहा, “कानूनी मामला बहुत धीमी गति से चल रहा है। कभी-कभी मुझे लगता है कि इस जीवनकाल में मुझे न्याय नहीं मिल पाएगा।” उन्होंने यह भी जोड़ा, “जब तक मुझे मेरे पिता के लिए न्याय नहीं मिल जाता, मैं जूते नहीं पहनूंगा।”
जस्टिस सुधांशु धूलिया और जॉयमाल्य बागची की पीठ ने फिल्म की रिलीज को हरी झंडी दे दी है,वो भीतब जब हत्या के मामले में एक आरोपी की ओर से पेश वकील ने कहा कि फिल्म की रिलीज से मामले की सुनवाई पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। वकील ने कहा कि फिल्म 11 जुलाई को रिलीज होगी, और फिल्म निर्माताओं ने फिल्म के ट्रेलर जारी किए हैं और यह आशंका है कि यह मामले की सुनवाई को प्रभावित करेगा और आरोपी के निष्पक्ष सुनवाई के अधिकार का उल्लंघन करेगा। पीठ ने मामले की तत्काल सुनवाई से इनकार करते हुए टिप्पणी की, “फिल्म को रिलीज होने दें। आप (गर्मी की छुट्टी के बाद) अदालत के फिर से खुलने पर नियमित पीठ के सामने याचिका का उल्लेख करें।”
यह याचिका मोहम्मद जावेद द्वारा दायर की गई थी, जो इस मामले में आठवें आरोपी के तौर पर मुकदमा झेल रहे हैं। उन्होंने मांग की थी कि फिल्म की रिलीज पर तब तक रोक लगाई जाए जब तक मामले की सुनवाई पूरी नहीं हो जाती। याचिकाकर्ता का कहना था कि फिल्म का ट्रेलर और प्रचार सामग्री सांप्रदायिक रूप से भड़काने वाली लग रही थी, और इस समय फिल्म को रिलीज करना, जिसमें आरोपियों को दोषी और कहानी को पूरी तरह सच बताया जा रहा है, चल रही कार्यवाही को गंभीर रूप से पक्षपातपूर्ण (prejudice) कर सकता है।




















