जयपुर: मानसून की मेहरबानी और चार बरसाती नदियों में से पानी की भरपूर आवक के कारण इस बार सांभर झील में पानी की भरपूर आवक हुई है. बीते 10 साल की बात करें तो इस बार झील में सर्वाधिक पानी आया है. इस बढ़े हुए जलस्तर के चलते सर्दियों में प्रवासी पक्षियों के माइग्रेशन पर खास असर पड़ने की उम्मीद जताई जा रही है. एक तरफ पक्षी प्रेमियों और बर्ड वाचर्स को बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षियों के आने की उम्मीद है. दूसरी तरफ एवियन बोटुलिज्म के खतरे को लेकर भी चिंता बरकरार है. वन विभाग का कहना है कि 2019 जैसी पक्षी त्रासदी दोबारा न हो, इसके लिए तैयारियां पूरी हैं.
जलस्तर और प्रवासी पक्षी: पक्षी विशेषज्ञ गौरव दाधीच का कहना है कि अच्छी बारिश के कारण सांभर झील का जलस्तर काफी बढ़ा है. नावां-खाखडकी रोड पर 5 से 7 फीट तक पानी भरा हुआ है. सांभर डैम पर भी 3 से 5 फीट पानी भरा हुआ है. गौरव दाधीच के अनुसार सांभर लेक में प्रवासी पक्षियों की आवाजाही शुरू हो चुकी है. अक्टूबर से मार्च तक यहां बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षी आने की उम्मीद है. इनमें ज्यादा संख्या फ्लेमिंगो और नॉर्दन शॉवलर की हो सकती है. उन्होंने बताया कि फिलहाल झील क्षेत्र में 40-50 हजार फ्लेमिंगो विचरण कर रहे हैं.
2019 के अनुभव और सतर्कता: गौरव दाधीच ने बताया कि 2019 में ज्यादा बारिश के बाद एवियन बोटुलिज्म का असर देखा गया था, जिसके चलते बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षियों की मौत हुई थी. पिछले साल भी एवियन बोटुलिज्म से कुछ पक्षियों की मौत दर्ज हुई थी. उनके अनुसार नियमित मॉनिटरिंग से घायल पक्षी को समय रहते बाकी पक्षियों से अलग कर उपचार संभव है और संक्रमण फैलने से रोका जा सकता है.
एवियन बोटुलिज्म से निपटने की तैयारियां: जयपुर डीएफओ वी केतन कुमार का कहना है कि मानसून में अच्छी बरसात के कारण सांभर झील में पानी की अच्छी आवक हुई है, इसलिए सर्दियों में बहुत बड़े पैमाने पर विंटर माइग्रेशन की उम्मीद की जा रही है. पिछले साल पक्षियों की गणना में लाखों प्रवासी पक्षी देखे गए थे और इस बार यह आंकड़ा और बढ़ने की संभावना जताई जा रही है. उन्होंने बताया कि वन विभाग के कर्मचारी नियमित रूप से माइग्रेशन पैटर्न पर नजर रख रहे हैं और किस प्रजाति के कितने पक्षी आ रहे हैं, इस पर मॉनिटरिंग की जा रही है. इसमें बर्ड वाचर्स और एनजीओ की मदद भी ली जा रही है.
एसओपी और फील्ड एक्शन: डीएफओ ने बताया कि एवियन बोटुलिज्म के खतरे से निपटने की तैयारी पूरी है. कलेक्टर की अध्यक्षता में बैठक कर हर विभाग की भूमिका व तैयारियों की समीक्षा की गई है. सभी विभागों को अपनी टीम सक्रिय करने के निर्देश दिए गए हैं. सांभर लेक मैनेजमेंट एजेंसी ने वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया और अन्य स्वयंसेवी संगठनों की मदद से एक स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर (एसओपी) जारी की है. मैदान में वन विभाग, सांभर साल्ट लिमिटेड की टीम और वॉलिंटियर्स व बर्ड वाचर्स पैट्रोल करते हैं. ड्रोन के माध्यम से भी निगरानी की जा रही है, ताकि संदिग्ध संक्रमित पक्षी को अलग कर उसका इलाज कराया जा सके.
मृत पक्षियों का निपटान और पानी की रिपोर्टिंग: डीएफओ ने बताया कि मृत पक्षियों की बॉडी मौके से हटाकर नियमानुसार जलाया जाता है ताकि संक्रमण बाकी पक्षियों में न फैले. उनका कहना है कि एक संक्रमित पक्षी से हजारों पक्षी संक्रमित हो सकते हैं, इसलिए घायल या संदिग्ध पक्षी को जल्दी अलग करना प्राथमिकता है. साथ ही सांभर झील के पानी की गुणवत्ता की नियमित मॉनिटरिंग की जा रही है. पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की मदद से पानी के पीएच व अन्य मानकों पर नजर रखी जा रही है और नियमित सैंपल लेकर रिपोर्ट तैयार की जा रही है. विभाग का मानना है कि रिपोर्ट की नियमित मॉनिटरिंग से बैक्टीरिया के फैलाव से जुड़ी कई चीजें समय पर पता की जा सकती हैं.



















