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कला साहित्य संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग, राजस्थान सरकार द्वारा आयोजित राजस्थान संस्कृत अकादमी

शुक्रवार को कला साहित्य संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग, राजस्थान सरकार द्वारा आयोजित राजस्थान संस्कृत अकादमी एवं श्रीमती मोहरीदेवी तापड़िया शिक्षा-शास्त्री महाविद्यालय, जसवंतगढ़, डीडवाना-कुचामन द्वारा एक दिवसीय वेद-ज्योतिष सम्मेलन का आयोजन किया गया।

इस अवसर पर गुरु-धाम कालदर्शक 2026 का लोकार्पण भी किया गया, इसमें डॉ. नरोत्तम पुजारी द्वारा कैलेण्डर के महत्व पर प्रकाश डाला गय, उन्होंने कहा कि भारतीय कैलेंडर (पंचांग) ऋतुओं (वर्षा, शरद, वसंत आदि) के सटीक समय और उनके महत्व का ज्ञान कराता है। यह ज्ञान पारंपरिक रूप से कृषि और जीवनशैली को नियंत्रित करने में सहायक रहा है।

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भारत में मुख्य रूप से विक्रम संवत (राजा विक्रमादित्य द्वारा शुरू, 57 ईसा पूर्व से आरंभ) और शक संवत (भारत सरकार का आधिकारिक कैलेंडर, 78 ईस्वी से आरंभ) प्रचलित हैं, जो देश के गौरवशाली इतिहास और कालगणना की परंपरा को दर्शाते हैं। भारतीय कैलेंडर (पंचांग) केवल तिथियों की सूची नहीं है, बल्कि यह भारतीय धर्म, संस्कृति, खगोल विज्ञान और दैनिक जीवन के फैसलों को प्रभावित करने वाला एक मार्गदर्शक ग्रंथ है।

गुरुमाता ज्योति पुजारी ने कहा कि भारतीय पंचांग को विश्व की सबसे प्राचीन और वैज्ञानिक कैलेंडर प्रणालियों में से एक माना जाता है। यह ग्रहों, नक्षत्रों, सूर्य और चंद्रमा की सटीक गति पर आधारित है। इसलिए, इसका हर पर्व और मुहूर्त खगोलीय घटनाओं से जुड़ा होता है। यह ज्योतिषीय गणनाओं का मूल आधार है, जिसके बिना किसी व्यक्ति की कुंडली और राशिफल का निर्धारण संभव नहीं है।

भारतीय कैलेंडर की गणना सूर्य (सौर) और चंद्रमा (चंद्र) दोनों की गति पर आधारित होती है, इसलिए इसे चंद्र-सौर पंचांग भी कहते हैं। त्योहारों का निर्धारण: होली, दिवाली, नवरात्रि, छठ पूजा, पोंगल, ओणम आदि सभी प्रमुख भारतीय पर्वों की तिथि पंचांग के अनुसार ही तय होती है। यह पूरे देश की सांस्कृतिक एकता को बनाए रखता है। एकादशी, पूर्णिमा, अमावस्या, संक्रांति जैसे महत्वपूर्ण व्रत और उपवास पंचांग में बताए गए तिथियों पर ही रखे जाते हैं। पंचांग में पाँच मुख्य अंग होते हैं— तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण। यह इन पाँचों तत्वों के समन्वय से शुभ मुहूर्त निर्धारित करता है। कोई भी मांगलिक कार्य, जैसे— विवाह, गृह प्रवेश, व्यापार आरंभ, यज्ञ, या संस्कार— एक सही और शुभ मुहूर्त देखकर ही किया जाता है। पंचांग दैनिक जीवन में भी शुभ और अशुभ समय (जैसे राहुकाल) की जानकारी देता है, जिससे लोग महत्वपूर्ण निर्णय लेते समय सावधानी बरतते हैं।

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इस अवसर पर डॉ. लता श्रीमाली, डॉ. हेमंत कृष्ण मिश्र, डॉ. अलका मिश्र, पं. चन्द्रशेखर शर्मा, डॉ. रवि शर्मा, गुरुमाता ज्योति पुजारी, डॉ. सत्यनारायण शर्मा, पं. परमानंद शर्मा, मोहित राज भोजक, प्रो रामसेवक दुबे, कुलपति जगद्गुरु रामानंदाचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय मदऊ जयपुर, प्रोफेसर डॉ कैलाश शर्मा( संस्कृत) जगद्गुरु रामानंदाचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय मदऊ जयपुर, लाडनु तहसीलदार अन्य अधिकारी गण , रमेश चन्द्र शर्मा, रामचन्द्र शास्त्री, जुगल किशोर शर्मा, प्रो. एस. डी. सोनी सहित 100 से अधिक ज्योतिषाचार्य, वेद विद्यालय के छात्र-छात्राओं आदि की उपस्थित रहे।

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