राजस्थान सरकार ने बेटियों को आत्मनिर्भर और साहसी बनाने के लिए बड़ा कदम उठाया है। लड़कियां कम उम्र से ही आत्मरक्षा के गुर सीखकर आत्मविश्वास से भर सकेंगी। पढ़ें बृजमोहन आचार्य की रिपोर्ट…
बीकानेर: बेटियां अब डरकर नहीं, बल्कि हिम्मत से हालात का सामना करना सीखेंगी। सड़क पर हों, स्कूल में या फिर किसी सार्वजनिक जगह पर। अब वे मनचलों या समाजकंटकों की नजरों में कमजोर शिकार नहीं रहेंगी।
राजस्थान सरकार ने बेटियों को आत्मनिर्भर और साहसी बनाने के लिए बड़ा कदम उठाया है। अब तक कॉलेज स्तर पर चल रहे आत्मरक्षा केन्द्रों को स्कूलों तक पहुंचाया जा रहा है। इससे लड़कियां कम उम्र से ही आत्मरक्षा के गुर सीखकर आत्मविश्वास से भर सकेंगी। प्रदेश के 16 जिलों के 22 ब्लॉकों के स्कूलों में आत्मरक्षा केन्द्र खोले जाएंगे, जहां महिला कांस्टेबल छात्राओं को आत्मरक्षा का प्रशिक्षण देंगी।
बेटी बनेगी अपनी ढाल
इन केन्द्रों में आसपास के थानों की महिला कांस्टेबल छात्राओं को आत्मरक्षा के गुर सिखाएंगी। इसके लिए सभी जिलों के एसपी को आदेश जारी किए जा चुके हैं। कराटे आदि का ज्ञान रखने वाली कांस्टेबल को कालिका दल में शामिल किया जाएगा।
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इनमें खुलेंगे केंद्र
रामसर (बाड़मेर), केसोरायपाटन (बूंदी), भोपालसागर (चितौड़गढ़), आसपुर (डूंगरपुर), जोबनेर व माधोराजपुरा (जयपुर), मंडावा (झुंझुनूं), आऊ व बापिनी (फलौदी-जोधपुर), सुहागपुरा व दामोतर (प्रतापगढ़), घाटोल, छोटीसरवन, गनोड़ा व तलवाड़ा (बांसवाड़ा), बैजूपाड़ा (दौसा), पांचू (बीकानेर), मोहनगढ़ व सम (जैसलमेर), देलवाड़ा (राजसमंद), पलसाना (सीकर) और फलासिया (उदयपुर)।
निजी, गैर-स्कूली बालिकाओं के लिए भी मौका
केवल सरकारी स्कूल ही नहीं, बल्कि निजी स्कूल की छात्राएं और पढ़ाई छोड़ चुकी बालिकाएं भी इन केन्द्रों में प्रशिक्षण ले सकेंगी। इन आत्मरक्षा केन्द्रों का उद्देश्य बालिकाओं में आत्मरक्षा कौशल से आत्मविश्वास बढ़ाना। छात्राओं को मानसिक व शारीरिक रूप से सक्षम बनाना। अपराधों का विरोध करने की क्षमता विकसित करना। भयमुक्त व सुरक्षित वातावरण उपलब्ध कराना है।




















