भीलवाड़ा: जिले में इस बार मानसून सक्रिय रहने के कारण किसानों ने बड़ी उम्मीद के साथ खरीफ की फसलों की बुवाई की थी. यहां किसानों द्वारा बोई गई दलहनी फसलों, मूंग व उड़द की फसल खराब हो गई है. ऐसे में किसान मायूस नजर आ रहे हैं और सरकार से मुआवजे की मांग कर रहे हैं.
प्रदेश भर में इस बार मानसून सक्रिय रहा. जून महीने के अंतिम सप्ताह व जुलाई महीने के प्रथम सप्ताह में अच्छी बारिश होने के कारण किसानों ने बड़ी उम्मीद के साथ इस बार दलहनी फसलों, मूंग व उड़द की फसल की बुवाई की थी. शुरुआती दौर में फसलें खेतों में अच्छी तरह लहलहा रही थी, लेकिन रक्षाबंधन के करीब इन दलहनी फसलों, विशेषकर उड़द की फसल में पीला रोग का प्रकोप फैल गया. इस कारण फसल में लगभग 50% नुकसान हो गया. हाल ही के दिनों में हुई बारिश से जो बची-खुची फसल थी, उसमें भी भारी मात्रा में खराबी हुई है. अब किसानों को सिर्फ 10% उत्पादन होने की संभावना है. अब किसान सरकार से मांग कर रहे हैं कि इस बार ‘राम’ तो रूठ गया, लेकिन ‘राज’ से मुआवजे की उम्मीद लगाए बैठे हैं.
बारिश के खराब फसल में खराबा: कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक विनोद कुमार जैन ने कहा कि जिले में इस बार 50 हजार हेक्टेयर भूमि में उड़द की फसल की बुवाई हुई थी, जबकि 10 हजार हेक्टेयर भूमि में मूंग की फसल की बुवाई हुई थी. किसानों को उत्पादन की बड़ी उम्मीद थी, लेकिन पहले उड़द की फसल में पीलापन का रोग हो गया और वर्तमान में बारिश के कारण भारी मात्रा में खराबी हुई है, जिससे उत्पादन क्षमता गिर जाएगी.
लागत मूल्य भी नहीं निकलेगा: किसान विकास ने कहा कि हमने बड़ी उम्मीद के साथ जुलाई माह में उड़द की फसल की बुवाई की थी. पूरा परिवार खेती पर ही आधारित है. फसल शुरुआत में बहुत अच्छी थी, लेकिन धीरे-धीरे अगस्त माह में मच्छर के प्रकोप के कारण पीलापन का रोग आ गया. पीलापन का रोग आने से फसलों में भारी मात्रा में खराबी हुई है और हाल ही में बीते दिनों हुई बारिश के कारण जो फसल के कुछ पौधे ठीक थे, वे भी खराब हो गए हैं. अब इससे उत्पादन क्षमता भी गिर जाएगी. पहले उम्मीद थी कि एक बीघे में तीन क्विंटल उत्पादन हो जाएगा, लेकिन अब सिर्फ 50 किलो प्रति बीघा की उम्मीद है, जिससे फसल बुवाई का जो लागत मूल्य है, वह भी नहीं आएगा. किसानों ने सरकार से फसल खराबे का मुआवजा देने की मांग की.




















