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खाटूश्यामजी में पुजारियों का हल्ला बोल ! BJP सरकार से जताई इस बात पर नाराजगी,दी आंदोलन की चेतावनी

राजस्थान के प्रसिद्ध मंदिर खाटू श्याम में बड़ी संख्या में पुजारी एक साथ जुटे हैं। यहां पुजारियों का जमावड़ा पुजारी सेवक महासंघ का द्वितीय प्रांतीय महाधिवेशन को लेकर हुआ है। वहीं दूसरी वजह यह है कि पुजारी अपनी परेशानियों को सरकार के सामने रखने के लिए एकजुट हुए हैं। अखिल भारतीय पुजारी महासंघ के अध्यक्ष महेश पुजारी इसकी जानकारी दी है।

सीकर: राजस्थान के विश्व प्रसिद्ध धार्मिक स्थल खाटूश्याम नगरी में कुछ अलग ही नजारा था। देशभर के मंदिरों के पुजारियों का सैलाब खाटूश्यामजी स्थित जयपुर वालों की धर्मशाला में उमड़ा। यहां पुजारी सेवक महासंघ का द्वितीय प्रांतीय महाधिवेशन धूमधाम से आयोजित हुआ। हारे के साहरा खाटूश्याम बाबा की नगरी में एक हजार से अधिक पुजारियों ने अपनी परेशानी और पीड़ाआं एक स्वर में हुंकार भरते हुए सरकार को साफ चेतावनी दे डाली कि ‘अगर मांगे नहीं मानी गईं तो आंदोलन होगा, आरपार की लड़ाई लड़ी जाएगी!’

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सनातनी सरकार ने ही पुजारियों को परेशान किया’

अधिवेशन का माहौल उस समय गरमा गया जब अखिल भारतीय पुजारी महासंघ, उज्जैन के अध्यक्ष महेश पुजारी ने मंच से तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि ‘यह देश का दुर्भाग्य है कि एक तथाकथित सनातनी सरकार ही पुजारियों और मंदिरों की मांगों को अनदेखा कर रही है। पहले की गैर-सनातनी सरकारों ने भी हमें इतना परेशान नहीं किया। आज हमारी मंदिर की जमीनें छीनी जा रही हैं। यह पुजारी समाज के धैर्य की परीक्षा है, जिसे अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।’

महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष की दो टूक-‘अब संघर्ष ही विकल्प’

महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष राजेंद्र शर्मा ने कहा कि सरकार के सामने 13 सूत्री मांगें पहले ही रखी गई थीं, लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। “अब महासंघ पीछे हटने वाला नहीं है। अगर जल्द समाधान नहीं निकाला गया, तो पूरे प्रदेश में आंदोलन की चिंगारी भडक़ उठेगी,” शर्मा ने चेतावनी दी।

13 सूत्री मांगों में क्या है खास?

पुजारियों की मांगे सीधे उनके अधिकारों और आजीविका से जुड़ी हैं— भूमिहीन सेवायत पुजारियों को प्रतिमाह 30 हजार रुपये सहायता राशि दी जाएं। राजस्थान सेवायत पुजारी कल्याण बोर्ड का पुनर्गठन और कामकाज में तेजी लाई जाएं। हर महीने 10 हजार रुपये भोग राशि मिलें। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि और कृषि योजनाओं का लाभ पुजारियों को भी मिले। सेवायत पुजारी प्रोटेक्शन बिल लागू करना। देवस्थान विभाग की सूची में दर्ज 48,466 ग्रामीण मंदिरों के पट्टे वंशानुगत पुजारियों को जारी करना। अराजकीय मंदिरों को नि:शुल्क बिजली और पानी की सुविधा मिलें। मंदिर माफी भूमि को फार्मर रजिस्ट्री में शामिल करना। मंदिर संपत्ति विवादों के लिए मंदिर ट्रिब्यूनल का गठन।

आंदोलन करने वाले पुजारी नेताओं के तेवर और भी तीखे

कार्यक्रम संयोजक मोहनदास चौहान ने कहा कि इस अधिवेशन का उद्देश्य सरकार तक पुजारियों की आवाज पहुंचाना है। पुजारी महासंघ के संयोजक महेश बसावतिया, जुगल किशोर (श्रीजी मंदिर किशनगढ़), पलसाना महंत मनोहर शरण शास्त्री, रतनलाल शर्मा, राजेश इंदोरिया, गिर्राज माटोलिया, अशोक मिश्रा, बंशीधर शर्मा गुलझारी लाल शर्मा, विनोद पुजारी, रामचंद्र शर्मा सहित कई बड़े पुजारी नेताओं ने मंच से स्पष्ट कर दिया कि यह सिर्फ चेतावनी नहीं, बल्कि संघर्ष की प्रस्तावना है।

पुजारी महांघ के संयोजक महेश बसावतिया ने बताया कि महाधिवेशन के अंत में जब हजारों पुजारियों ने एक साथ हाथ उठाकर हुंकार भरी तो धर्मशाला तालियों और नारों से गूंज उठी। पुजारी समाज का सरकार संदेश स्पष्ट था—”अब चुप नहीं रहेंगे, अपने हक के लिए सडक़ों पर उतरेंगे।

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पुजारियों ने सरकार को दी आंदोलन की चेतावनी

इस कार्यक्रम संयोजक मोहनदास चौहान एवं पुजारी महासंघ के महेश बसावतिया ने कहा कि अधिवेशन के माध्यम से पुजारी समाज अपनी मांगों को सरकार तक पहुंचा रहा है। सरकार को पुजारियों की समस्याओं का समाधान करना चाहिए, वरना हम मजबूरन आंदोलन करेंगे। अधिवेशन में श्रीजी मंदिर किशनगढ़ के जुगल किशोर, पलसाना महंत मनोहर शरण शास्त्री, रतनलाल शर्मा, राजेश इंदोरिया, गिर्राज माटोलिया, अशोक मिश्रा, बंशीधर शर्मा सहित कई प्रमुख पुजारी मौजूद रहे।

बहरहाल, खाटूश्यामजी के इस महासंग्राम ने साफ कर दिया है कि पुजारी समाज अपनी मांगों को लेकर किसी भी कीमत पर पीछे हटने को तैयार नहीं है। सरकार के लिए यह एक बड़ा संकेत है कि समय रहते बातचीत से हल निकाले, वरना राजस्थान की धरती पर एक बड़ा आंदोलन खड़ा हो सकता है।

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