तीन साल पहले राजस्थान के उदयपुर में दर्जी कन्हैयालाल की नृशंस हत्या ने पूरे देश को झकझोर दिया था। अब उस दर्दनाक घटना पर आधारित फिल्म ‘Udaipur Files’ को लेकर एक बार फिर बहस तेज हो गई है। फिल्म की रिलीज़ पर कोर्ट द्वारा लगाई गई अस्थायी रोक के बीच, कन्हैयालाल की पत्नी जशोदा साहू ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक भावुक पत्र लिखकर हस्तक्षेप की अपील की है।
जशोदा साहू का कहना है कि यह फिल्म उनके परिवार की सच्चाई को दुनिया के सामने लाने का एक माध्यम है और कोर्ट द्वारा इसकी रिलीज पर रोक लगाना न केवल उनकी भावनाओं का अपमान है, बल्कि न्याय की उम्मीद पर भी आघात है।
“मैंने खुद फिल्म देखी, इसमें कुछ गलत नहीं”
पत्र में जशोदा साहू ने लिखा, “यह फिल्म हमारे साथ हुई दर्दनाक घटना पर आधारित है। मैंने इसे खुद देखा है। इसमें कुछ भी झूठ या आपत्तिजनक नहीं है। यह फिल्म केवल सच दिखाती है – वही सच जो मैंने और मेरे बच्चों ने जिया है।”
उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ मुस्लिम संगठनों और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल की ओर से फिल्म की रिलीज को कोर्ट में चुनौती दी गई, जिसके बाद यह मामला राजनीतिक और धार्मिक रंग ले बैठा।
“क्या अब सच्चाई भी नहीं दिखाई जा सकती?”
जशोदा साहू ने प्रधानमंत्री से पूछा, “तीन साल पहले मेरे पति की हत्या हुई। आज भी हम उस सदमे से उबर नहीं पाए हैं। अब जब एक फिल्म के ज़रिए लोगों को सच्चाई बताने की कोशिश हो रही है, तो क्या वह भी गुनाह है? क्या अब सच दिखाना भी गलत हो गया है?”
पीएम मोदी से मिलने की इच्छा
अपने पत्र में जशोदा ने प्रधानमंत्री से व्यक्तिगत मुलाकात की इच्छा भी जताई है। उन्होंने लिखा, “मेरे बच्चे कह रहे हैं कि अब इस फिल्म का भविष्य मोदी सरकार के हाथ में है। आप हमारे दर्द से वाकिफ़ हैं, कृपया इस फिल्म को रिलीज करवाइए ताकि दुनिया जान सके कि हमारे साथ क्या हुआ।”
उन्होंने आगे कहा, “मैं अपने बच्चों के साथ दिल्ली आकर आपसे मिलना चाहती हूं। कृपया मुझे समय दीजिए, ताकि मैं अपनी बात आपके सामने रख सकूं।”
कोर्ट की रोक और राजनीतिक बयानबाज़ी
बता दें कि फिल्म ‘Udaipur Files’ पर पहले कोर्ट ने कई सीन हटाने और संवेदनशील हिस्सों में कट लगाने के निर्देश दिए थे। इसके बाद राजस्थान हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान फिल्म की रिलीज़ पर अस्थायी रोक लगा दी। कोर्ट का कहना है कि यह मामला धार्मिक भावनाओं को भड़काने वाला हो सकता है, इसलिए जांच जरूरी है।
इस रोक के बाद से राजनीतिक बयानबाज़ी तेज हो गई है। एक ओर जहां हिंदू संगठनों ने फिल्म के पक्ष में प्रदर्शन शुरू कर दिए हैं, वहीं विपक्षी दल इस मुद्दे को धार्मिक ध्रुवीकरण का प्रयास बता रहे हैं।
‘Udaipur Files’ अब सिर्फ एक फिल्म नहीं रह गई – यह न्याय, सच्चाई और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का प्रतीक बन गई है। जशोदा साहू का पत्र न सिर्फ एक पीड़ित पत्नी की पुकार है, बल्कि यह सवाल भी उठाता है कि क्या हमारी न्याय प्रणाली और लोकतंत्र सच्चाई को दिखाने से डरने लगे हैं?
प्रधानमंत्री मोदी इस मामले पर क्या रुख अपनाते हैं, यह आने वाले दिनों में साफ़ होगा, लेकिन इतना तय है कि ‘उदयपुर फाइल्स’ अब देश की निगाहों में आ चुका है – बतौर एक फिल्म नहीं, बल्कि एक भावनात्मक दस्तावेज़।



















