राहगीर ने पहले उसे निर्जीव समझा लेकिन पास जाकर देखा तो उसकी सांसें चल रही थीं। उसने तुरंत लोगों को सूचना दी और बच्ची को कपड़े में लपेटकर अस्पताल ले गए।
नवरात्र का समय है। मां शक्ति की आराधना और कन्या पूजन का पर्व। लेकिन इसी श्रद्धा के बीच राजस्थान के 3 जिलों से ऐसी घटनाएं सामने आई हैं, जो समाज की आत्मा को झकझोर देती हैं। बीकानेर, पाली और भीलवाड़ा में छह दिन के भीतर तीन नवजात बच्चियों को झाड़ियों, पत्थरों और मिट्टी में फेंक दिया गया।
बीकानेर जिले के लूणकरनसर के कालवास गांव में रविवार को एक मार्मिक घटना सामने आई। गांव की सीमा पर झाड़ियों में मिट्टी और रेत में सनी एक नवजात बच्ची पड़ी मिली

राहगीर ने पहले उसे निर्जीव समझा लेकिन पास जाकर देखा तो उसकी सांसें चल रही थीं। उसने तुरंत लोगों को सूचना दी और बच्ची को कपड़े में लपेटकर अस्पताल ले गए।
चिकित्सकों ने उसे जीवनदान दिया। फिलहाल बच्ची पीबीएम अस्पताल के शिशु रोग विभाग की नर्सरी में भर्ती है। चिकित्सकों के अनुसार बच्ची 7 माह के गर्भ में जन्मी है और उसका वजन मात्र एक किलो है।
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शक्ति का प्रतीक
समाजसेवियों का कहना है कि नवरात्र में कन्या पूजन को देवी का रूप माना जाता है और ऐसे समय पर मिली यह मासूम बच्ची भी उसी जीवन शक्ति का प्रतीक है। पुलिस ने कालवास गांव निवासी की रिपोर्ट पर अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है।
दर्द की दास्ता

23 सितंबर, भीलवाड़ा: मुंह में पत्थर, होंठों पर फेविक्विक बिजौलिया क्षेत्र में पत्थरों में दबा हुआ एक नवजात मिला। उसके मुंह में पत्थर ठूंसा गया था और आवाज दबाने के लिए होंठों को फेविक्विक से चिपका दिया गया। बाद में पता चला कि यह कृत्य एक अविवाहित युवती और उसके पिता ने मिलकर किया था। बच्चा अभी अस्पताल में है और जीवन के लिए संघर्ष कर रहा है।
25 सितंबर, पाली: कंबल में लपेटा, झाड़ियों में फेंका
गिरादड़ा क्षेत्र के रूपावास-भांवरी रोड पर दो दिन की नवजात बच्ची को झाड़ियों में फेंक दिया गया। रामदेव मंदिर के पीछे से रोने की आवाज सुनकर लोगों ने उसे बचाया। बच्ची को कंबल में लपेटकर फेंका गया था।




















