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Gut को सेकेंड ब्रेन क्यों कहा जाता है? AIIMS के डॉक्टरों से जानिए पेट और दिमाग का कनेक्शन

शरीर की अच्छी सेहत के लिए Gut Health का अच्छा होना भी जरूरी है. गट हेल्थ और दिमाग का भी एक कनेक्शन होता है. अगर पेट की हेल्थ अच्छी है तो ब्रेन की हेल्थ भी अच्छी रहती है. इसलिए गट को सेंकेंड ब्रेन भी कहा जाता है, लेकिन दिमाग और पेट में क्या कनेक्शन है इस बारे में AIIMS दिल्ली के Gastroenterology डिपार्टमेंट के पूर्व डॉ अनूप सराया और एम्स में वर्तमान में डॉ दीपक गुंजन ने बताया है. गैस, अपच, मोटापा, चर्बी जैसी दिक्कतों के बारे में बात हुई और समझा गया कि आखिर गट को सेकेंड ब्रेन क्यों कहा जाता है.

डॉक्टर्स ने बताया कि हम सबने सुना है कि दिल का रास्ता पेट से होकर जाता है, लेकिन अब साइंस ये कहती है कि दिमाग और पेट का भी सीधा रिश्ता होता है. हमारे पेट यानी गट (Gut) को अक्सर सेकेंड ब्रेन कहा जाता है और इसके पीछे कई वैज्ञानिक कारण हैं. नीचे कुछ महत्वपूर्ण सवाल है जो आम जिंदगी में हम सब जानना चाहते हैं कि आखिर हमारी Gut किस तरह काम करती है? कौनसी तकलीफ किस कराण होती है? Gut ठीक से काम करे इसके लिए जीवनशैली में क्या बदलाव किए जाएं…इन सबके जवाब जानने की कोशिष की गई, आइए समझें.

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क्या है ब्रेन-गट एक्सिस?

डॉ अनूप सराया वे बताया कि- हमारे दिमाग और पेट के बीच एक मजबूत संचार तंत्र (communication system) होता है जिसे ब्रेन-गट एक्सिस कहा जाता है. ये तंत्र हमारे नर्वस सिस्टम, हॉर्मोन्स और इम्यून सिस्टम के जरिए काम करता है. इस एक्सिस की मदद से पेट और दिमाग एक-दूसरे को लगातार सिग्नल भेजते हैं. जब आप तनाव में होते हैं तो पेट में मरोड़ या दर्द महसूस होता है और जब पेट खराब हो तो मूड भी खराब हो जाता है. यह इसी ब्रेन-गट एक्सिस की वजह से होता है.

गट में न्यूरॉन्स की भरमार

डॉ दीपक गुंजन ने समझाया कि – आपको जानकर हैरानी होगी कि जितने न्यूरॉन्स (nerve cells) हमारे ब्रेन में होते हैं, उतने ही लगभग हमारे गट यानी आंतों में भी होते हैं. यही कारण है कि पेट कई बार अपने निर्णय खुद लेता है जैसे खाना पचाना, पेट का गुड़गुड़ाना या फूड को मूव करना. इसीलिए गट को सेकेंड ब्रेन कहा जाता है.

Gut के गुड बैक्टीरिया और बैड बैक्टीरिया

डॉ अनूप सराया ने बताया कि – हमारे गट में लाखों तरह के बैक्टीरिया रहते हैं कुछ अच्छे (गुड बैक्टीरिया) और कुछ खराब (बैड बैक्टीरिया). इन बैक्टीरिया को मिलाकर जो पूरा इकोसिस्टम बनता है, उसे गट माइक्रोबायोम कहा जाता है. यह हमारी इम्यूनिटी, मानसिक स्थिति, डाइजेशन और यहां तक कि नींद तक को प्रभावित करता है. जब इस बैलेंस में गड़बड़ी होती है तो कई तरह की बीमारियां शुरू हो जाती हैं जैसे गैस, बदहजमी, इन्फ्लेमेशन, पेट फूलना, वजन घटाना या बढ़ना, यहां तक कि मानसिक तनाव भी.

Gut कैसे बताती है कि डाइजेशन सही है या नहीं?

– अगर खाना पचता नहीं, पेट फूला रहता है, वजन तेजी से घट रहा है, या बार-बार दस्त लगते हैं तो यह खराब डाइजेशन के संकेत हैं.

– उम्रदराज लोगों में यह ज्यादा गंभीर हो सकता है, जबकि बच्चों में अक्सर सामान्य होता है.

– अगर वजन तेजी से घट रहा हो, मल में खून आ रहा हो या भूख कम हो गई हो, तो तुरंत डॉक्टर से मिलें.

गट ठीक रखने के लिए लाइफस्टाइल

– आज की बैठी-बैठाई लाइफस्टाइल में गट हेल्थ सबसे ज्यादा प्रभावित होती है.

-जंक फूड, नींद की कमी, तनाव और कम फिजिकल एक्टिविटी हमारे पेट के बैक्टीरिया का संतुलन बिगाड़ देती है.

– इससे इन्फ्लेमेशन, संक्रमण और कई बार एब्जॉर्पशन की दिक्कत भी हो सकती है यानी न्यूट्रिएंट्स शरीर में ठीक से नहीं जा पाते.

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