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वेट लैंड पर पक्षी विहार केंद्र, मातृ-शिशु अस्पताल एवं सिवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाए जाने की मांग

वेट लैंड पर पक्षी विहार केंद्र, मातृ-शिशु अस्पताल एवं सिवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाए जाने की मांग

वेट लैंड पर पक्षी विहार केंद्र, मातृ-शिशु अस्पताल एवं सिवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाए जाने की मांग

लूणकरणसर, 15 दिसंबर। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के प्रस्तावित दौरे से पूर्व लूणकरणसर कस्बे की वर्षों से लंबित समस्याओं को लेकर एक बार फिर आवाज बुलंद हुई है। भारतीय जीव-जंतु कल्याण बोर्ड, मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय, भारत सरकार के मानद प्रतिनिधि श्रेयांस बैद ने मुख्यमंत्री को प्रेषित पत्र में कस्बे के वेट लैंड क्षेत्र को पक्षी विहार केंद्र के रूप में विकसित करने, मातृ-शिशु अस्पताल की स्थापना तथा सिवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) बनाए जाने की विस्तृत मांग रखी है।

यह मांग केवल पर्यावरण संरक्षण तक सीमित नहीं है, बल्कि इससे जुड़े स्वास्थ्य, स्वच्छता, पर्यटन और आमजन के जीवन स्तर से जुड़े कई महत्वपूर्ण पहलुओं को भी रेखांकित किया गया है। मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में बैद ने स्पष्ट किया कि यदि समय रहते इन समस्याओं का समाधान नहीं किया गया तो आने वाले समय में स्थिति और भी गंभीर हो सकती है।

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 वेट लैंड: विदेशी पक्षियों का प्रमुख प्रवास स्थल

पत्र में बताया गया कि लूणकरणसर कस्बे का वेट लैंड क्षेत्र मंगोलिया और साइबेरिया जैसे ठंडे देशों से आने वाली विश्व प्रसिद्ध कुरजा (डेमॉइसेल क्रेन) का प्रमुख प्रवास स्थल है। हर वर्ष सर्दियों के मौसम में हजारों किलोमीटर की यात्रा कर ये पक्षी यहां पहुंचते हैं। कुरजा के साथ-साथ राजहंस, जलकौवा, बगुला एवं अन्य कई प्रजातियों के पक्षियों के झुंड भी इस क्षेत्र में देखे जाते हैं।

इन पक्षियों को देखने के लिए देश-विदेश से प्रकृति प्रेमी, पर्यटक और फोटोग्राफर लूणकरणसर पहुंचते हैं। यह क्षेत्र न केवल जैव विविधता की दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि पर्यटन की अपार संभावनाएं भी रखता है।

कचरे और सिवरेज से बिगड़ती स्थिति

श्रेयांस बैद ने पत्र में गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए बताया कि वर्तमान में वेट लैंड क्षेत्र **कचरे से अटा पड़ा है**। कस्बे की सिवरेज व्यवस्था दुरुस्त नहीं होने के कारण गंदा पानी सीधे इसी वेट लैंड में छोड़ा जा रहा है। इससे जल प्रदूषण बढ़ रहा है और विदेशी पक्षियों के लिए यह स्थान असुरक्षित होता जा रहा है।

उन्होंने बताया कि कई बार सिवरेज युक्त दूषित पानी के कारण पक्षियों की मृत्यु की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। यदि समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए तो आने वाले वर्षों में पक्षियों का आगमन बंद हो सकता है, जिससे लूणकरणसर की पहचान और प्राकृतिक धरोहर को गहरा नुकसान पहुंचेगा।

 पक्षी विहार केंद्र बनने से होंगे कई लाभ

बैद ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि वेट लैंड को पक्षी विहार केंद्र के रूप में विकसित किया जाए। इससे इस क्षेत्र की गरिमा और सुंदरता बनी रहेगी। साथ ही पक्षियों के संरक्षण के लिए आवश्यक आधारभूत संरचना विकसित की जा सकेगी।

पक्षी विहार केंद्र बनने से:

* विदेशी एवं देशी पक्षियों को सुरक्षित वातावरण मिलेगा
* इको-टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा
* स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे
* पर्यावरण संरक्षण को मजबूती मिलेगी
* लूणकरणसर का नाम राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचाना जाएगा

उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि जिला कलेक्टर एवं जिला परिषद के सीईओ द्वारा इस क्षेत्र का अवलोकन पहले ही किया जा चुका है। अब जबकि पक्षियों का आगमन शुरू हो गया है, तो इस दिशा में ठोस निर्णय लेना और भी आवश्यक हो गया है।

मातृ-शिशु अस्पताल की वर्षों पुरानी मांग

मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में श्रेयांस बैद ने लूणकरणसर क्षेत्र में मातृ एवं शिशु मृत्यु दर पर भी चिंता जताई है। उन्होंने बताया कि कस्बे में वर्षों से एक समर्पित मातृ-शिशु अस्पताल की मांग की जा रही है, लेकिन अब तक इस दिशा में कोई ठोस पहल नहीं हो पाई है।

वर्तमान में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में संचालित **उप जिला अस्पताल** नए भवन में स्थानांतरित हो चुका है। इसके बाद पुरानी बिल्डिंग खाली पड़ी है, जो करोड़ों रुपये की लागत से निर्मित की गई थी। बैद का कहना है कि इसी भवन में मातृ-शिशु अस्पताल स्थापित किया जाए तो कम लागत में बड़ी समस्या का समाधान हो सकता है।

आसपास के क्षेत्रों को भी मिलेगा लाभ

मातृ-शिशु अस्पताल की स्थापना से केवल लूणकरणसर ही नहीं, बल्कि समीपवर्ती सरदारशहर, पल्लू और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को भी सीधा लाभ मिलेगा। गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं को समय पर विशेषज्ञ चिकित्सा सुविधा उपलब्ध हो सकेगी, जिससे मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में उल्लेखनीय कमी लाई जा सकेगी।

बैद ने यह भी बताया कि पूर्ववर्ती सरकार को भी इस विषय में पत्र लिखा गया था। उस समय विभागीय रिपोर्ट भी मंगवाई गई थी और सरकार को प्रेषित की गई थी, लेकिन दुर्भाग्यवश यह योजना फाइलों में ही दबकर रह गई।

सिवरेज व्यवस्था बनी गंभीर समस्या

पत्र में कस्बे की सिवरेज व्यवस्था को लेकर भी विस्तार से उल्लेख किया गया है। वर्तमान में सिवरेज का गंदा पानी खुले में बहता हुआ वेट लैंड तक पहुंच रहा है। इससे न केवल जल स्रोत प्रदूषित हो रहे हैं, बल्कि यह क्षेत्र बीमारियों का केंद्र बनता जा रहा है।

कस्बे में मच्छरों की अत्यधिक संख्या के कारण डेंगू, मलेरिया और अन्य संक्रामक बीमारियों का खतरा बना रहता है। आमजन का जीवन दुश्वार हो गया है और स्वास्थ्य पर इसका सीधा असर पड़ रहा है।

सिवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की जरूरत

श्रेयांस बैद ने सुझाव दिया कि कस्बे के वार्ड संख्या 32 से सटी वन विभाग की भूमि एवं उससे लगी कई बीघा अराजीराज भूमि पर सिवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) का निर्माण किया जाए। यह भूमि लंबे समय से खाली पड़ी है और कई बार भूमाफियाओं द्वारा इस पर अवैध काश्त और कब्जे के प्रयास किए जाते रहे हैं।

यदि इस भूमि पर एसटीपी बनाया जाता है तो:

* सिवरेज के गंदे पानी का वैज्ञानिक तरीके से उपचार होगा
* वेट लैंड और पर्यावरण को प्रदूषण से बचाया जा सकेगा
* अवैध कब्जों पर रोक लगेगी
* कस्बे की स्वच्छता व्यवस्था में सुधार होगा
* आमजन को बीमारियों से राहत मिलेगी

आगजनी की घटनाओं पर भी चिंता

पत्र में कस्बे में बढ़ती आगजनी की घटनाओं का भी उल्लेख किया गया है। बैद ने मांग की है कि उपखंड मुख्यालय पर स्थायी दमकल व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। वर्तमान में आग लगने की स्थिति में समय पर दमकल वाहन नहीं पहुंच पाते, जिससे जान-माल का भारी नुकसान हो जाता है।

यदि लूणकरणसर में दमकल केंद्र स्थापित किया जाता है तो आपातकालीन परिस्थितियों में त्वरित राहत एवं बचाव कार्य संभव हो सकेगा।

मुख्यमंत्री से शीघ्र निर्णय की मांग

श्रेयांस बैद ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से आग्रह किया है कि वेट लैंड को पक्षी विहार केंद्र के रूप में विकसित करने, मातृ-शिशु अस्पताल की स्थापना, सिवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के निर्माण एवं दमकल व्यवस्था सुनिश्चित करने जैसी जनहित से जुड़ी मांगों पर शीघ्र सकारात्मक निर्णय लिया जाए।

उन्होंने कहा कि इन योजनाओं के क्रियान्वयन से न केवल लूणकरणसर कस्बे की तस्वीर बदलेगी, बल्कि पर्यावरण संरक्षण, स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार और आमजन के जीवन स्तर में भी उल्लेखनीय सुधार देखने को मिलेगा।

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