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आना सागर झील के पानी से हजारों बीघा फसल बर्बाद, रबी फसल पर भी मंडरा रहा संकट

अजमेर : राजस्थान में बारिश का पैटर्न बदला हुआ सा इस बार नजर आ रहा है. इस बार अजमेर में 1 हजार 92 एमएम बारिश हो चुकी है, जबकि अजमेर में औसतन 450 एमएम बारिश ही होती रही है. ऐसे में बारिश ने अजमेर के बांध-तालाबों को लबालब कर दिया है. इनमें वरुण सागर (फॉयसागर) और आना सागर झील भी हैं. इन दोनों झील से निकलता पानी शहर की निचली बस्तियों के लिए मुश्किल बना हुआ है. वहीं, झील के इसी पानी ने सराधना उप तहसील से जुड़े एक दर्जन से अधिक गांव के किसानों की मेहनत और उम्मीद पर पानी फेर दिया है. किसानों की फसल ही नहीं खेत भी पानी में डूबे हुए हैं, यानी खरीफ ही नहीं रबी की फसल भी किसानों को नहीं मिल पाएगी. फसल बर्बाद होने के साथ-साथ चारा भी नहीं रहा. यही वजह है कि पशुपालन पर निर्भर किसानों को अपने पशु बेचने पड़ रहे हैं. किसानों के दर्द पर मुआवजे का मरहम भी नहीं लग पा रहा है. इससे किसानों के हालात बद से बदतर हो रहे हैं. ईटीवी भारत ने ग्राउंड जीरो पर जाकर हालातों का जायजा लिया.

अजमेर में वरुण सागर (फॉयसागर) और आना सागर झील शहर के लिए वरदान है, लेकिन दोनों ही झीलों का दायरा सरकारी उदासीनता के चलते काफी घट गया है. यही कारण है कि अब झील ओवरफ्लो होकर शहर ही नहीं बल्कि निकट एक दर्जन से अधिक गांवों के लिए भी मुसीबत बन गया है. वरुण सागर ओवरफ्लो होकर बाड़ी नदी से आना सागर झील में पहुंचता है. आना सागर झील की भराव क्षमता 13 फीट है, लेकिन बाड़ी नदी से लगातार हो रहे पानी की आवक के कारण आना सागर झील से लगातार पानी के निकासी एस्केप चैनल में की जा रही है. 6 किलोमीटर का दायरा तय करके एस्केप चैनल से पानी दौराई तालाब पहुंच रहा है. यहां तालाब ओवरफ्लो होने से पानी खेतों में फैलता हुआ तबीजी, सराधना में सैकड़ों बीघा खेतों को डुबो रहा है. तबीजी से यह मानी मायापुर, डुमाड़ा, नदी प्रथम समेत कई गांव में भी खेतों में उगी फसलों को चौपट करता हुआ पीसांगन होते हुए गोविंदगढ़ बांध में जा रहा है. वहीं, इस मामले में अजमेर तहसीलदार ओम सिंह लखावत ने कहा कि गिरदावरी चल रही है, जल्द रिपोर्ट राज्य सरकार को भेजी जाएगी.

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तीन साल से किसानों को नुकसान का नहीं मिला मुआवजा : तबीजी गांव के सरपंच राजेंद्र गैना बताते हैं कि बारिश के कारण आना सागर झील से निकले पानी से किसानों की हालत बहुत ज्यादा खराब है. किसानों की कमर टूट चुकी है. गांव के चारों ओर पानी ही पानी भरा हुआ है. सब्जियां, मक्का, ज्वार बिल्कुल खत्म हो गए हैं. खेत पानी से डूबे हुए हैं. तबीजी गांव में बर्बादी का यह तीसरा साल है. उन्होंने बताया कि आना सागर झील के पानी से शहर की हालत खराब होती है तब झील के चैनल गेट सारे खोल दिए जाते हैं. इस कारण एस्केप चैनल से होता हुआ यह पानी दौराई को लबालब करते हुए खेतों को डुबोता हुआ तबीजी तक पहुंच जाता है. गांव में जहां तक नजर जाएगी वहां तक पानी ही पानी नजर आएगा. आना सागर झील से कब और कितने गेट खोले जाएंगे, उनमें से पानी कितना निकालना है यह कोई निश्चित नहीं है. यही कारण है कि ओवरफ्लो पानी का बहाव खेतों की तरफ आ जाता है और किसानों की फसलें चौपट हो जाती हैं.

राज्य सरकार के निर्देश से गिरदावरी का कार्य चल रहा है, जहां पानी भरने से गिरदावरी नहीं हो पा रही है, वहां की वास्तविक स्थिति गिरदावरी में मेंशन की जाएगी. 15 अक्टूबर तक गिरदावरी का कार्य चल रहा है. इसके बाद राज्य सरकार को रिपोर्ट भेजी जाएगी.

सरपंच गैना ने बताया कि सरधना उप तहसील में दौराई, तबीजी, सराधना, मायापुर, हटूंडी आदि गांवों की हालात यही है. लगातार कलेक्टर और प्रशासनिक अधिकारियों को गिरदावरी के लिए आग्रह किया जा रहा है, लेकिन 3 वर्षों में राज्य सरकार की ओर से एक भी रुपया मुआवजे के तौर पर किसानों को नहीं मिला है, बल्कि तीन वर्षों से तबीजी गांव में गिरदावरी भी नहीं हुई है. उच्च स्तरीय कमेटी बनाकर गांव में गिरदावरी करवाई जाए ताकि किसानों को उनके नुकसान का मुआवजा मिल सके. उन्होंने बताया कि पशुपालकों के पास पशुओं को खिलाने के लिए चारा तक नहीं है. आसपास के क्षेत्र से चारा खरीदकर लाकर या सूखा भूसा खिलाकर पशुओं का पेट भर रहे हैं. लगातार हो रहे नुकसान के कारण अब पशुपालक अपने पशुओं को बेचने लगे हैं.

अन्न और चारा नहीं, पशु बेचने को मजबूर हैं किसान : किसान रिद्धिकरण रोज अपने खेत को दूर से देखते हैं और सिर पर हाथ लगाकर घंटों बैठे रहते हैं. ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए किसान रिद्धिकरण का दर्द छलक गया. उन्होंने बताया कि फसल छोड़ खेत में चारा तक नहीं है. खेत पानी में डूबा हुआ है. क्षेत्र में ज्यादातर सब्जी उगाई जाती है. गोभी, ग्वार, टमाटर, मिर्च के अलावा ज्वार, मक्का की फसल थी जो पानी में डूब गई है. साथ ही जानवरों को खिलाने के लिए रजगा भी था. अब पशुओं के लिए चारा नहीं है, इसलिए उन्हें आधा भूखा रहना पड़ता है. तीन साल से बारिश में यही हालात बनते हैं. आसपास के गांव में ही नहीं बल्कि डुमाडा, बुद्धवाड़ा, भावता, पीसांगन तक किसानों को नुकसान ही है. उन्होंने बताया कि उनके पास 15 बीघा जमीन है, जिस पर खेती करके वह अपने परिवार का गुजारा करते हैं. उन्होंने बताया कि खेती में सब बर्बाद हो गया. उन्होंने इस बार कुछ जमीन ठेके पर भी ली थी, लेकिन अच्छी फसल होने के सपनों पर पानी फिर गया. उनका आरोप है कि 3 साल से कोई मुआवजा किसानों को नहीं मिला.

पहली बार आया आना सागर झील का पानी : सराधना गांव के किसान और पंचायत समिति में वार्ड पंच यशपाल चौधरी बताते हैं कि गांव में उनके पास 50 बीघा जमीन है. सराधना गांव में पहली बार आना सागर झील का पानी ओवरफ्लो होकर आया है. गांव में 700 से 800 बीघा खेती की जमीन पानी में डूब गई है. किसानों की फसलें चौपट हो गई हैं. सब्जियां, फूल आदि की फसलें चौपट हो गई हैं. पानी में खेत डूबने से खेत भी खराब हो गए. कई खेत की मिट्टी का कटाव भी हुआ है, जिसको रिकवर कर पाना मुश्किल है. चौधरी ने बताया कि खेतों में इतना पानी भरा हुआ है कि यहां गिरदावरी भी नहीं हो पा रही है. अगली फसल रबी की है जो भी अब होना मुमकिन नहीं है. खेतों में 5 से 6 फीट पानी भरा हुआ है. खेतों में पानी भरने से पशुओं के लिए चारा भी नहीं है, इसलिए पशुओं को चारा खरीद कर खिलाना बहुत ही मुश्किल हो गया है. ऐसे में किसान अपने पशुओं को बेचने लगे हैं.

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