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23 साल बाद सागर लबालब, सिलीसेढ़ झरने पर बह रही चादर

अलवर: अलवर में कई साल बाद इस बार सितंबर में भी मानसून की मेहरबानी बरकरार है. इसी का नतीजा है कि जिले के ज्यादातर जलाशय एवं बांध छलक गए. अलवर का ऐतिहासिक जलाशय सागर करीब 23 साल बाद पूरी तरह भरा. सिलीसेढ़ झील पर एक फीट की चादर चल रही है. अलवर की करीब पांच लाख आबादी की लाइफलाइन कहलाने वाले जयसमंद बांध में भी 10 फीट से ज्यादा पानी की आवक हुई. ज्यादातर स्थानों पर अच्छी बारिश से कई अन्य बांधों में भी पानी की आवक हुई. जलाशयों में जलज​नित हादसों के मद्देनजर प्रशासन ने चेतावनी बोर्ड लगाए हैं.

सिंचाई विभाग के एक्सईएन संजय खत्री ने बताया कि इस साल अलवर जिले में मानसून की अच्छी बारिश हो रही है. सिलीसेढ़ झील में एक फीट की चादर चल रही है. जैतपुर बांध भी क्षमता तक भर चुका है. बुधवार शाम तक जयसमंद बांध में 11.3, मंगलासर में 32.9, मानसरोवर में 19.8, जयसागर में 17, सिलीबेरी में 5.9, बीघोता में एक, समर सरोवर में 9.11 फीट पानी आया.हालांकि रामपुर, देवती, धमरेड, लक्ष्मणगढ़ व तुसारी बांधों में अभी पानी का ठहराव नहीं हो सका है. जिले में अब तक 778.86 मिमी बारिश हो चुकी, जो औसत बारिश की 143.09 प्रतिशत है.

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जिले में मानसूनकाल में प्राय: जुलाई व अगस्त में अच्छी बारिश होती है. सितंबर में बारिश का दौर लगभग थम जाता है.इस साल सितंबर में भी अच्छी बारिश हो रही है. लिहाजा कई साल बाद यहां के ज्यादातर जलाशय छलक गए. इससे जिले में भूजल स्तर बढ़ने की उम्मीद है. इस बार मानसून की सबसे बड़ी उपलब्धि रियासतकालीन जयसमंद बांध में अब तक 10 फीट से ज्यादा पानी की आवक है. जयसमंद में पानी की आवक से अलवर के आसपास भू-जल स्तर बढ़ता है. इससे यहां नलकूप सूखने की समस्या में कमी आती है. शहर में जलापूर्ति बढ़ने से लोगों को पेयजल किल्लत से निजात मिलती है. अभी जयसमंद में गेज में और बढ़ोतरी होगी.

सागर 2002 में भरा था पूरा: अलवर का ऐतिहासिक जलाशय सागर में करीब 23 साल बाद भराव क्षमता से ज्यादा पानी आया. इससे पहले 2002 में सागर पूरा भरा था. सागर की गहराई 35 फीट है. बुधवार को यह पूरी तरह भर गया. इसका निर्माण रियासतकाल में हुआ. हालांकि सागर के पूरी तरह भरने पर यहां पानी की निकासी के लिए नाला बनाया था, जो हजूरी गेट से गालिब सैयद के जोहड़ तक जाता है. वर्ष 2002 में सागर के छलकने पर यहां के पानी को पुराने कोषागार की दीवार तोड़कर निकालना पड़ा था. दीवार तोड़ने की जरुरत इसलिए पड़ी कि स्टेट समय में बना नाला सफाई व अतिक्रमण के चलते पूरी तरह चॉक हो गया. स्थानीय निवासी शिवचरण ने बताया कि सागर में पहले भी लोगों के डूबने की कई घटनाएं हो चुकी. पहले यहां गार्ड की व्यवस्था नहीं थी. अब प्रशासन ने गार्ड लगा दिया. रियासतकाल में लोगों को सागर तक जाने की इजाजत नहीं थी, लेकिन अब गार्ड की नियमित तैनाती नहीं होने से लोग जलाशय के पानी तक पहुंच जाते हैं.

जलाशयों पर गार्ड व चेतावनी बोर्ड: जिला कलेक्टर डॉ. आर्तिका शुक्ला ने जयसमंद बांध, सिलीसेढ़ झील व ऐतिहासिक सागर जलाशय का निरीक्षण किया. लोगों से जलभराव क्षेत्रों में नहीं जाने की अपील की. उन्होंने कहा कि जलभराव क्षेत्रों पर सुरक्षा के लिए गार्ड तैनात किए हैं. नगर निगम व यूआईटी को जलभराव क्षेत्रों पर चेतावनी बोर्ड लगाने को कहा.

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