अगर आपका हौसला बुलंद हो, तो आर्थिक परिस्थितियां और संसाधनों की कमी भी कामयाब होने से नहीं रोक सकती है. कुछ ऐसी ही कहानी जम्मू-कश्मीर के प्रणव उप्पल (Pranav Uppal) की है, जो भारतीय वायुसेना में फ्लाइंग ऑफिसर बनकर न केवल अपने परिवार, बल्कि पूरे क्षेत्र का मान बढ़ाया है. यह उनकी अटूट मेहनत, समर्पण और प्रेरणादायक सफर की कहानी है.
सैनिक स्कूल से जागी मिलिट्री सर्विस की प्रेरणा
एयरफोर्स में फ्लाइंग ऑफिसर बने प्रणव उप्पल जम्मू-कश्मीर के अखनूर क्षेत्र के छंब इलाके के एक छोटे से सीमावर्ती गांव के रहने वाले हैं. वह एक सामान्य पृष्ठभूमि से आते हैं और उनका परिवार पहले कभी सशस्त्र बलों से जुड़ा नहीं रहा. लेकिन उनके बड़े भाई के सैनिक स्कूल में पढ़ने के अनुभव ने उन्हें भी उस दिशा में सोचने को प्रेरित किया. उन्होंने कक्षा 6 में उसी सैनिक स्कूल में दाखिला लिया और अनुशासन, कर्तव्य और समर्पण को अपने जीवन का हिस्सा बना लिया.
एनडीए में पहले ही प्रयास में सफलता
प्रणव ने कठिन आर्थिक परिस्थितियों और संसाधनों की कमी के बावजूद कड़ी मेहनत करते हुए नेशनल डिफेंस एकेडमी (NDA) की परीक्षा पहले ही प्रयास में पास की. वहां उन्होंने शिक्षा, खेल और नेतृत्व सभी क्षेत्रों में बेहतरीन परफॉर्म किया है.
एयरफोर्स एकेडमी में अद्वितीय प्रदर्शन
एयरफोर्स एकेडमी (AFA) में प्रशिक्षण के दौरान प्रणव की प्रतिभा और प्रतिबद्धता और भी निखरकर सामने आई. उन्हें ‘बेस्ट इन एरोबेटिक्स’ जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित किया गया और उन्हें सूर्य किरण एरोबैटिक टीम (SKAT) के कमांडिंग ऑफिसर के साथ उड़ान भरने का अवसर भी प्राप्त हुआ. एकेडमी में अपने लीडरशिप स्किल का प्रदर्शन करते हुए प्रणव ने स्क्वाड्रन कैडेट कैप्टन का दायित्व संभाला. उनके साथियों और सीनियर अधिकारियों के बीच वे एक प्रेरणास्पद व्यक्तित्व के रूप में उभरे हैं.
रक्षा प्रवक्ता ने प्रणव उप्पल की उपलब्धियों को “धैर्य, एकाग्रता और देशभक्ति का आदर्श उदाहरण” बताया है. उन्होंने कहा कि प्रणव की यात्रा भारत के दूरस्थ और ग्रामीण क्षेत्रों के युवाओं को सशस्त्र बलों में करियर बनाने के लिए प्रेरित करेगी.




















