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रोगी को सदैव अनुभवी योग प्रशिक्षक के निर्देशन में ही योगाभ्यास करना चाहिए : योग एक्सपर्ट ओम कालवा

श्री डूंगरगढ़। उपखण्ड के धीरदेसर पुरोहितान निवासी राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त विभिन्न योग संगठनों के पधाधिकारी योगगुरू ओम प्रकाश कालवा जो महज छोटी सी उम्र से ही योग का लोहा मनवा चुके हैं। अपना सारा जीवन योग सेवा में समर्पित कर दिया उनके अनुभव से बताया जा सकता है कि वर्तमान समय में इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में गलत आहार, व्यवहार, अनियमित दिनचर्या, योगाभ्यास न करना इत्यादि कारणों से आम आदमी के जीवन में होने वाले विभिन्न रोग जैसे बीपी, शुगर, थायराइड, माइग्रेन, मोटापा, गठिया, बवासीर, गैस, कब्ज, एसिडिटी, हाथ पैर, कमर, गर्दन, घुटने दर्द, हार्ट अटैक, स्लिप डिस्क, सरवाईकल, वेरिकोज वेंस तथा केंसर जैसे असाध्य रोगों की स्थिति में आम आदमी को सदैव अपनी दैनिक दिनचर्या में नियमित योगाभ्यास अनुभवी योग प्रशिक्षक के निर्देशन में ही करना चाहिए ताकि बिना किसी साइड इफेक्ट्स के उन तमाम रोगों को दूर किया जा सके।

 

योगगुरू ओम कालवा ने जानकारी देते हुए बताया कि कौन सा आसन किस रोग में करें इस हेतू दस विशेष योगासन के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए बताया जो इस प्रकार से विस्तृत है।

 

कोनसा आसन किस रोग में करें।

1 पद्मासन – मन की शांति, मन को एकाग्र करने के लिए, यौन रोग, हर्निया, वीर्यदोष, आँख, आंमवात जठराग्नि, वातव्याधि, अजीर्ण, आँतों के रोग, ब्रह्मचर्य, बवासीर आदि।


2 शवासन – उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, अनिद्रा, सिरदर्द, शारीरिक थकावट, तनाव, तुतलाहट, मानसिक थकान, आदि।


3 अश्वासन – मोटापा, बवासीर, कमर दर्द, कब्ज, नाभि टलना, सर्वाइकल स्पाण्डलाइटिस, तनाव, शारीरिक थकावट आदि।


4 उत्तानपादासन – मोटापा, बवासीर, नाभि टलना, गर्भाशय दोष, घुटने का दर्द, सायटिका, हार्निया, पेटदर्द, श्वास रोग, आँत उतरना, गैस, कमर दर्द, टाँगों की दुर्बलता, कब्ज, और मोटापा कम करने के लिए हृदय, श्वास रोग, अतिसार, दस्त आदि।


5 पवनमुक्तासन – मोटापा, गैस, यकृत, गठिया, शुगर, हल्का पेट दर्द, तनाव आँतों के रोग, अम्लपित्त, सियाटिका, चर्बी कम करना, तिल्ली, प्लीहा, पर प्रभाव स्लिप डिस्क, हृदय, गर्भाशय, कटि पीडा, स्त्रीरोग, आदि।


6 पश्चिमोत्तानासन – अजीर्ण, मोटापा, कब्ज, मदाग्नि, मधुमेह, आमवात, कृमि, दोष, हार्निया, पौरुष शक्ति, वीर्य दोष, बौनापन, बवासीर, गठिया, जठराग्नि, कद, पृष्ठभाग की मांसपेशिया आदि।


7 चक्रासन- मोटापा, कमर दर्द, कब्ज, मधुमेह, नाभि टलना, आमवात, कृमि दोष, गर्भाशय रोग, बौनापन, कटिपीडा, श्वास रोग, सिरदर्द, नेत्र रोग, सर्वाइकल स्पाण्डलाइटिस, रीड की हड्डी, गर्भाशय, जठर, आँत आदि।


8 सर्वांगासन – अनिद्रा, बवासीर, गैस, नेत्ररोग, वीर्यदोष, सूजन, गला, यकृत, खाँसी, मोटापा, दुर्बलता, कृमि, गर्भाशय दोष, फेफडे, कद वृद्धि, दमा, उदर, हर्निया, हल्का पेट दर्द, बाल सफेद, पिट्यूटरी ग्रंथि, अजीर्ण-बदहजमी, जुकाम, तिल्ली-प्लीहा, पांडु रोग, तनाव, मंदाग्नि, कब्ज, कुष्ठ, शुक्रग्रंथि, एड्रिनल ग्रंथि, थायरायड आदि।


9 हलासन – मोटापा, अनिद्रा, कब्ज, दमा, मधुमेह, गला, यकृत, तनाव, गर्भाशय दोष, पांडु, बौनापन, दुर्बलता, पौरुष शक्ति, बौनापन, जुकाम, कंठमाला, अजीर्ण, मंदाग्नि, खांसी, गुल्म, वात, कब्ज, बुढापा, जुकाम, तिल्ली-प्लीहा, मानसिक रोग, हृदय रोग, थायरायड, डायबिटीज, स्त्रीरोग, मेरूदण्ड, अग्नाशय, रीढ, अग्नाशय, रीड की हड्डी, आदि। सावधानी बढी तिल्ली, यकृत, उच्च रक्तचाप, सर्वाइकल

स्पाण्डलाइटिस, मेंरूदण्ड मे टीवी वाले न करे।
10 मत्स्यासन बवासीर, अजीर्ण-बदहजमी, जुकाम, पैर, दमा, गला, सर्वाइकल व स्लिप डिस्क, मंदाग्नि, यकृत।

आप सभी पाठकों से निवेदन है कि चैनल के साथ जुड़े रहे हर दिन अच्छे स्वास्थ्य हेतू अनुभवी एक्सपर्ट द्वारा विस्तृत जानकारी मिलती रहेगी।


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