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हंसने के ढेर सारे फायदे, हँसते रहिये हँसाते रहिये,जानिए योग एक्सपर्ट ओम कालवा के साथ

 

श्री डूंगरगढ़। कस्बे के योग एक्सपर्ट ओम कालवा ने जानकारी देते हुए बताया। योग में हास्यासन और शरीर में हृदय दोनों एक समान है।

हास्य चिकित्सा (Laughing Therapy)
हास्य चिकित्सा – अनमोल चिकित्सा पद्धति है इसमें किसी प्रकार का कोई खर्च नहीं होता है फिर भी यह अंग प्रत्यंग को स्वास्थ्य की दिशा में प्रभावित करती है। हंसने से मन तथा तन के तनाव दूर होते हैं दर्द में राहत मिलती है सर्वाधिक प्रभाव दिल तथा दिमाग पर होता है इनके अतिरिक्त यकृत, अमाशय, आंत्र, पेनक्रियाज, डायफ्राम आदि समस्त अंगों के साथ चेहरा, पेट तथा मांसपेशियां भी प्रभावित होती है।

सावधानियां – उच्च रक्तचाप, दिल के मरीज तथा तीव्र खांसी व दमा वाले रोगी समझदारी के साथ सीमा में रहते हुए अत्यंत सावधानी से हास्य चिकित्सा को धीरे-धीरे बढ़ाते हुए लाभ उठायें। बवासीर के रोगी सिंहासन न करें।

समय – सुबह आसन, प्राणायाम एवं टहलने के बाद माना जाता है। वैसे खाली पेट भी कर सकते हैं। मुस्कुरा तो कभी भी सकते हैं दिन-रात सर्दी-गर्मी, बरसात सोते या जागते, उठते-बैठते, चलते-फिरते, मोन अमोन, बहाने बिना बहाने, हर पल, हर
लम्हें में मुस्कुराइए खाली पेट या खाने के 3-4 घंटे बाद हास्यासन करना चाहिए 10 से 20 मिनट तक हास्यासन करना चाहिए।

स्थान – सामूहिक हास्यासन के लिए पार्क उपयुक्त स्थल है, किंतु पार्क के अभाव में खुले स्थान, खेत खलियान, बाग-बगीचा कहीं भी ठहाके मार सकते हैं हास्यासन के लिए प्रदूषण मुक्त, शुद्ध एवं सात्विक पर्यावरण होना अनिवार्य है। ताकि आप चुस्त- दुरुस्त तंदुरुस्त एवं स्फूर्ति वान हो सके

फायदे – 1. रक्त का शुद्धिकरण हंसने से एक अन्य हार्मोन डोपामिन का स्राव बढ़ जाता है, हास्य से स्मरण शक्ति, मेधा शक्ति, धारणा शक्ति का विकास होता है।

प्रभाव फेफड़ों पर – फेफड़ों की जीवनी शक्ति बढ़ती है फेफड़े स्वस्थ एवं मजबूत बनते हैं। प्रयोगों से देखा गया है कि श्वास छोड़ने के समय सामान्य अवस्था में फेफड़े की श्वास नासिकाओं के मध्य नकारात्मक दबाव 10 mm Hg से सांस लेने के बाद + 2 mm Hg तक पहुंच जाता है। परंतु बिना हंसे श्वास बाहर निकालते समय-40 mm Hg से सांस खींचने पर + 40 mm Hg तक हो जाता है। अर्थात हास्य चिकित्सा से वक्षस्थल, गुहा के अंदर प्रेशर से इस प्रकार शून्यता पैदा होती है कि तेजी से गहरा लंबा सांस लेने के लिए व्यक्ति बाध्य हो जाता है ये चिकित्सा वक्ष स्थल, फेफड़ा एवं डायफ्राम के लिए सक्शन प्रेशर पंप का कार्य करता है। अस्थमा, ब्रोंकाइटिस के रोगियों के लिए हास्य चिकित्सा एक अद्वितीय व्यायाम है।

प्रभाव दिल पर हास्य के समय फेफड़ों के अंदर हिमोग्लोबिन तथा ऑक्सीजन का जिस तेजी से मिलन होता है। उतनी ही तेजी से ऑक्सीजेनेटेड विशुद्ध खून फेफड़ों से दिल में पहुंच कर महा धमनियों में धकेल दिया जाता है। डीऑक्सीजेनेटेड खून की कार्बोक्सिल एसिड कार्बन डाइऑक्साइड के रूप में प्रश्वास द्वारा बाहर फेंक दी जाती है। हास्य के समय जिस तेजी से रक्त का शुद्धिकरण होता है। रक्त संचार बढ़ने के एक-एक कोष की भलीभांति सफाई एवं धुलाई हो जाती है। प्रभाव दिमाग पर खासकर हास्य के प्रभाव से दिमाग में मूड संबंधित फील गुड हैप्पी न्यूरो केमिकल का फुवारा छुटने लगता है खास करके दिमाग के उस हिस्से में जहाँ भावनाओं एवं प्रसन्नताओं का केन्द्र है, बीटा एंडोर्फिन की मात्रा बढ़ जाती है जो हर प्रकार के दर्द को शमन करने की क्षमता रखता है। एक अन्य हैप्पी हार्मोन से रोटोनिन का स्राव बढ़ने से सारे शरीर में चेतना का प्रवाह तीव्र होता है।

प्रभाव पाचन तंत्र पर दिल खोलकर लगातार हंसने से आंतों की पेरास्टालिक मोमेंट पर कमाल का असर होता है। आंतों में चिपका हुआ पुराना मल मुख्य स्त्रोत में आ जाता है पुराने से पुराना कब्ज दूर हो जाता है। भूख खुल जाती है मल त्याग में सुविधा होती है गुर्दे की अच्छी मालिश होते हो जाती है।

प्रभाव अंतः स्त्रावी ग्रंथियों पर

गोनाडस, एड्रिनल, थायमस, पीयूष, पिट्यूटरी, पिनियल, हाइपोथेलेमस इत्यादि हार्मोन स्राव संतुलित होते है।

प्रभाव मन पर हत्यासन से क्रोध, हिंसा, ईर्ष्या, द्वेष, घृणा, प्रतिहिंसा, शत्रुता के भाव विसर्जित हो जाते हैं।

भाँति – भाँति हिस्योपचार-

हास्य एवं उपचार – वह चिकित्सा पद्धति जिसके द्वारा विभिन्न प्रकार से हंसने से शरीर की विभिन्न बीमारियों को दूर कर सकते हैं। जैसे गोलाकार खड़े हो जाइए, खुले मन से हंसे, उछले, कूदे, नाचे, लेटकर, ताली बजा बजाकर, हंसने की क्रिया करें।

अखण्ड हंसी – प्रेम को जितना बांटो, लुटाओ उतना ही बढ़ता ही जाता है। इसी प्रकार हंसी को जितना बांटी, लूटाओं बढ़ता ही जाता है। यह असीम बेमिसाल खजाना है, जो बांटता हैं वह तो निहाल होता ही है, लेने वाला भी मालामाल हो जाता है। अनुभव करें पूरे शरीर के प्रत्येक अंग अंग, रोम-रोम में हंसी व मुस्कान धारा बह रही है।

1. शर्मिली हंसी 2. बर्फ वाली हंसी 3. तीखी मिर्ची वाली हंसी4. स्वादिष्ट हंसी 5. खुजली बाली हंसी 6. गुदगुदी बाली हंसी 7. नृत्य हंसी 8. टेलीफोन वाली हंसी 9. बंदर वाली हंसी 10. रोबोट वाली हंसी 11. कराटे वाली हंसी 12. गिला – शिकवा हंसी 13. दूध या लस्सी वाली हंसी 14. मीरा कृष्ण वाली हंसी 15. हनुमान हंसी 16. खुला मुख / मौन हंसी 17. स्वागत हंसी 18. मुस्कराहट हंसीअगर तुम हंसोगे तो साथ में हंसेगी यह दुनिया पर रोओगे तुम तो साथ न देगी ये दुनिया।

नोट : हमारे चैनल के साथ जुड़े रहे और आपको मिलती रहेगी अरोग्य से जुड़ी हुई तरोताजा जानकारियां योग एक्सपर्ट ओम कालवा के द्वारा।


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