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“विश्व ह्रदय दिवस पर विशेष” दिल धड़क -धड़क के कह रहा है – मान लो मेरा कहना वीर डॉक्टर एम के जैन, विदिशा

ह्रदय रोगों से बचने के लिए जीवनशैली में परिवर्तन ज़रूरी

आज विश्व ह्रदय दिवस पर वीर डॉक्टर एम के जैन, विदिशा ने हृदय रोगों को लेकर बताया कि हम हमारी जीवनशैली में परिवर्तन करके स्वस्थ रह सकते है । वर्तमान में गला काट प्रतिस्पर्धा के इस कठिन दौर में ह्रदय रोग पूरी दुनिया में कम उम्र 30, 35 साल में भी देखने में आ रहा है और हमारे देश में ह्रदय रोगों ने तो अपना गढ़ बना लिया है क्योंकिगला काट प्रतिस्पर्धा के इस भागमभाग और अनियमित पाश्चात्य जीवन शैली से शरीर की जैविक घड़ी का उल्टा पुलटा हो जाना, जहाँ दिन में सोना और रात में जागना, जहाँ बेतरतीव खानपान, ओवर थिंकिंग का अनावश्यक तनाव, स्मोकिंग़, शारीरिक श्रम का अभाव मानसिक तौर पर परेशान और ह्रदय को प्रभावित किये बिना नही रहता और परिणाम स्वरूप ह्रदय की विभिन्न बीमारियो के रूप में सामने आती है ।

डॉक्टर जैन विदिशा, मध्य प्रदेश में वरिष्ठ शिशु रोग चिकित्सक है एवं इंडीयन मेडिकल असोसीएशन के केंद्रीय प्रतिनिधि है। डॉक्टर जैन का कहना है की हमारा दिल, हर दिन, हर समय, हर पल हमारा ध्यान रखता है और दिल का धड़कना ही हमारे जीवित रहने का वजूद भी है ।
जब बेचारा दिल हमारा इतना ध्यान रखता है तो हमारी भी ज़िम्मेदारी बनती है हम भी उसका कहना माने ।
ह्रदय रोगों की फ़ैमिली हिस्ट्री, जेनेटिक हिस्ट्री होने के बावजूद खाने पीने के तरीक़ों को नकारा नही जा सकता, विशेष रूप से बाज़ारी रेडीमेड खाद्य सामग्री जैसे केक, पेस्ट्री, माइक्रोवेव पॉप्कॉर्न, फ़्रोज़ेन पिज़्ज़ा, बर्गर फ़्राइड, डीप फ़्राइड स्पाइसी करी और तरी युक्त भोज्य, कचौरी, समोसे, जो ट्रांस फ़ेट्स से बनाये जाते है और यही ट्रांस फ़ैट सेहत का दुश्मन माना जाता है जो की सामान्य तेल को हाइड्रोजन में मिक्स कर बनाया जाता है । ट्रांस फ़ेट्स सामान्य रूम के तापमान पर अर्ध ठोस या ठोस अवस्था में रहते है जिनका बोईलिंग पोईंट अधिक होने से देर में पिघलते है और इस लिए बटर के बदले में सस्ते होने के कारण बाज़ार की हर खाद्य सामग्री बनाने में उपयोग किए जाते है जो शरीर में पहुँच कर मित्र कोलेस्ट्रोल- हाई डेन्सिटी लिपोप्रोटीन को कम कर देते है और शत्रु कोलेस्ट्रोल लो डेन्सिटी लिपोप्रोटीन को बढ़ा देते है और शरीर की रक्त वाहिकाओं में जम जाने से रक्त बहाव कम या अवरुद्ध कर देते है और उच्च रक्त चाप, ह्रदय आघात या हार्ट अटैक, पक्षाघात तथा मधुमेह जैसी बीमारियों की गोद में धकेल देते है ।
आज के दिन ह्रदय रोग जागरुकता और बचाव के लिये सप्ताह के अधिकांश दिनो में 30 से 60 मिनट व्यायाम, वॉकिंग, साइक्लिंग, तेराकी, योगा, प्राणायाम में से जो भी ठीक लगे करना परम आवश्यक है ।
खाने पीने में ट्रांस फ़ैट युक्त भोजन नही लेना, उम्र अनुरूप वजन पर नियंत्रण रखना, उच्च रक्तदाव और मधुमेह पर प्रभावी नियंत्रण रखना, दिन चर्या को नियमित रखना और शरीर की जैविक घड़ी को प्राकृतिक बनाये रखना स्मोकिंग और दूसरे नशे को तिलांजलि देना ज़रूरी है ।
व्यस्तता ज़्यादा होने पर लिफ़्ट की जगह सीढ़ियों का उपयोग करना अधिक समय तक बैठे बैठे काम करने वालें व्यक्ति थोड़ा थोड़ा बीच में घूम सकते है । थोड़ी देर के लिये योगा प्राणायाम कर सकते है । मौक़ा मिलने पर बाग़वानी, घूमना फिरना, फ़ोटो ग्राफ़ी, बच्चों के साथ खेलना प्रकृति प्रदत्त पशु पक्षी, नदी नाले, पहाड़, आकाश पृथ्वी की सुन्दरता को नज़दीक से निहारा जा सकता है । मन पसंद गेम खेल सकते है। छोटी छोटी बातों अथवा सामान्य बक बक झिक झिक़ को दिल पर ना लेकर मस्त और व्यस्त रहना चाहिये। सही मित्रों से जीवंत सम्पर्क में हमेशा बना रहना चाहिए क्योंकि….
“जो खोल देते दिल अपने यारों के साथ
फिर ना खोलना पड़ता ओंजारों के साथ “
खाने पीने में पालक, टमाटर, लहसन, गाजर, लोकी, प्याज़, मौसमी फल, साबुत अनाज, अलसी के बीज , सूखे मेवे, काजू बादाम, अखरोट, पिस्ता अपने चिकित्सक की सलाह अनुरूप ले सकते है ।

 


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