
“हर घर तिरंगा” जाने तिरंगे का फहराने के इन नियमों में हुआ बदलाव, इन बातों का रखें ख्याल
आजादी के अमृत महोत्सव’ कार्यक्रम के तहत 13 से 15 अगस्त तक ‘हर घर तिरंगा’ अभियान चलाने जा रही है. इसके तहत, इन तीन दिनों में 20 करोड़ घरों में तिरंगा फहराने की योजना है. इसी के मद्देनजर फ्लैग कोड यानी ध्वज संहिता में बदलाव किया गया है. इस बदलाव के बाद अब दिन और रात, दोनों समय तिरंगा फहराया जा सकता है. पहले सूर्योदय से सूर्यास्त तक ही तिरंगा फहराया जा सकता था. फ्लैग कोड में बदलाव और तिरंगे से जुड़े सारे नियम-कानून और बातें यहां जानें.
अब आप घर पर 24 घंटे तिरंगा फहरा सकते हैं. पहले ऐसा नहीं कर सकते थे. इसके लिए केंद्र की मोदी सरकार ने फ्लैग कोड 2002 के कुछ नियमों में बदलाव किया है. इसके बाद अब राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे को दिन और रात, दोनों समय फहराया जा सकता है. पहले तिरंगा सिर्फ सूर्योदय से सूर्यास्त तक फहराया जा सकता था.
हालांकि, घर पर तिरंगा फहराने से पहले कुछ बातें ध्यान रखना जरूरी हैं, वर्ना जाने-अनजाने राष्ट्रीय ध्वज का अपमान भी हो सकता है. तिरंगा फहराने के नियम क्या हैं? किन बातों पर तिरंगे का अपमान माना जाएगा? केंद्र सरकार ने फ्लैग कोड के नियमों में क्या बदलाव किए हैं? ऐसे ही 10 सवालों के जवाब जानें…
तिरंगे का इतिहास क्या है?
– 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा ने तिरंगे को राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया था. तिरंगे को उस समय डोमिनियन ऑफ इंडिया यानी 15 अगस्त 1947 से 26 जनवरी 1950 के बीच के भारत के राष्ट्रीय ध्वज के रूप में चुना गया था.
– 26 जनवरी 1950 को भारत के गणतंत्र बनने के बाद भी तिरंगे को ही राष्ट्रीय ध्वज माना गया. तिरंगे को स्वतंत्रता सेनानी और मशहूर डिजाइनर पिंगली वेंकैया ने डिजाइन किया था. तिरंगे को डिजाइन करने के लिए उन्होंने करीब 30 देशों के राष्ट्रीय ध्वजों की बहुत गहराई से रिसर्च की थी.
तिरंगे के सबसे ऊपर केसरिया, बीच में सफेद और सबसे नीचे गहरे हरे रंग की पट्टियां बराबर अनुपात में होती हैं. सफेद पट्टी के बीच में अशोक चक्र होता है, जिसमें 24 तीलियां होती हैं.
2. आम लोगों को कब मिला तिरंगा फहराने का अधिकार?
– आजादी के बाद आम लोगों को अपने घर पर तिरंगा फहराने का अधिकार नहीं था. 1996 में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया कि तिरंगा फहराना देश के हर नागरिक का मौलिक अधिकार है.
– इस फैसले के बाद पीडी शेनॉय के नेतृत्व में एक कमेटी का गठन किया गया. 2002 में फ्लैग कोड यानी ध्वज संहिता आई, जिसमें आम नागरिकों को भी तिरंगा फहराने का अधिकार मिल गया. ये फ्लैग कोड 26 जनवरी 2002 से लागू है.
– तिरंगा फहराना हर नागरिक का मौलिक अधिकार है और इसका सम्मान करना मौलिक कर्तव्य. संविधान के अनुच्छेद 51A (a) में इसका प्रावधान है. ये अनुच्छेद कहता है कि तिरंगे और राष्ट्रगान का सम्मान करना भारत के हर नागरिक का मौलिक कर्तव्य है.
3. लेकिन, ये ‘हर घर तिरंगा’ अभियान क्या है?
– भारत को आजाद हुए 75 साल पूरे हो रहे हैं. इसलिए केंद्र सरकार ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ कार्यक्रम चला रही है. इसी के तहत ‘हर घर तिरंगा’ अभियान चलाया जाएगा.
– हर घर तिरंगा अभियान के तहत 13 से 15 अगस्त तक लगातार तीन दिन तक राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाएगा. सरकार ने 20 करोड़ लोगों के घर पर तिरंगा फहराने का लक्ष्य रखा है.
– तिरंगों की बिक्री हो सके, इसके लिए 1 अगस्त से 1.60 लाख पोस्ट ऑफिस पर राष्ट्रीय ध्वज की बिक्री की जाएगी. इसके अलावा कपड़ा मंत्रालय भी तिरंगा बनाने और उसके सप्लायर की पहचान कर रहा है.
– हर घर तिरंगा अभियान सफल हो सके, इसके लिए केंद्र सरकार ने फ्लैग कोड के कुछ नियमों में भी बदलाव किया है.
4. कैसा बदलाव?
– दो बड़े बदलाव किए हैं. पहला तो ये कि अब तिरंगे को रात में भी फहराया जा सकता है. अब तक तिरंगा सिर्फ सूर्योदय से सूर्यास्त तक ही फहरा सकते थे. लेकिन अब 24 घंटे घर पर तिरंगा फहरा सकेंगे. इस बदलाव के बाद अब आम लोग, निजी संगठन या संस्थान दिन और रात तिरंगा फहरा सकते हैं.
दूसरा बदलाव ये है कि अभी तक हाथ से बुना और काता हुआ ऊन, कपास या रेशमी खादी से बना राष्ट्रीय ध्वज ही फहराने की इजाजत थी, लेकिन अब मशीन से बना हुआ कपास, ऊन या रेशमी खादी से बना तिरंगा भी फहरा सकेंगे. साथ ही अब पॉलिएस्टर से बना तिरंगा भी फहराया जा सकता है.
5. तो क्या कहीं से भी खरीद सकते हैं तिरंगा?
-हां. तिरंगा कहीं से भी खरीदा जा सकता है. तिरंगे की खरीद और बिक्री पर किसी तरह की रोक नहीं है. तिरंगे को ऑनलाइन भी खरीद सकते हैं. तिरंगे पर कोई जीएसटी भी नहीं लगता है.
6. कितना बड़ा तिरंगा फहरा सकते हैं?
– तिरंगे के साइज को लेकर कोई नियम नहीं है. ये कितना भी बड़ा और कितना भी छोटा हो सकता है. फ्लैग कोड 2002 के मुताबिक, तिरंगा आयताकार ही होना चाहिए. इसका साइज कुछ भी हो सकता है. लेकिन इसकी लंबाई और चौड़ाई का अनुपात 3:2 होगा.
– वैसे तो कागज से बने तिरंगे नहीं बनाए जा सकते. लेकिन स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस और खेलकूद और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में कागज से बने तिरंगे फहराए जा सकते हैं.
– फ्लैग कोड के इन खास दिनों में कागज से बने तिरंगों को फहराया जा सकता है, लेकिन इसे फेंका या फाड़ा नहीं जा सकता. कागज से बने तिरंगों का सम्मान के साथ डिस्पोजल जरूरी है.
8. क्या गाड़ियों पर लगा सकते हैं तिरंगा?
– तिरंगा फहराना हर नागरिक का मौलिक अधिकार है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि इसे आप अपनी गाड़ी पर लगाकर घूम सकें. फ्लैग कोड के मुताबिक, सिर्फ संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों को ही तिरंगा लगाने की इजाजत है.
– राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, केंद्रीय राज्य मंत्री, लोकसभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष, राज्यसभा के उपसभापति, राज्यों के राज्यपाल, केंद्र शासित प्रदेशों के उपराज्यपाल, विदेशों में नियुक्त भारतीय दूतावासों और कार्यालयों के अध्यक्ष, राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री, कैबिनेट मंत्री, राज्य मंत्री और उपमंत्री, राज्य की विधान परिषदों के सभापति और उप सभापति, भारत के चीफ जस्टिस, हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस, सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जज अपने वाहन में तिरंगा लगा सकते हैं.
इसके अलावा अगर किसी विदेशी अतिथि को केंद्र सरकार की ओर से कार मुहैया कराई जाती है, तो उस कार की दाईं ओर तिरंगा, जबकि बाईं ओर उस देश का राष्ट्रीय ध्वज लगेगा. अगर राष्ट्रपति किसी विशेष ट्रेन से यात्रा करते हैं तो जब गाड़ी खड़ी रहेगी, तब ड्राइवर के केबिन पर प्लेटफॉर्म की ओर तिरंगा लगेगा. अगर राष्ट्रपति किसी विमान से यात्रा करते हैं तो उस पर भी राष्ट्रीय ध्वज लगाया जाएगा. इसी तरह प्रधानमंत्री या उपराष्ट्रपति किसी देश की यात्रा करते हैं तो विमान पर राष्ट्रीय ध्वज लगाया जाता है.
9. तिरंगे का अपमान कब माना जाएगा?
– जब आप घर में तिरंगा फहराएं तो इस बात का खास ध्यान रखें कि वो झुका न हो, वो जमीन से टच न हो रहा हो या फिर पानी न लग रहा हो. अगर ऐसा होता है तो ये तिरंगे का अपमान होगा.
– तिरंगे में सबसे ऊपर केसरिया और सबसे नीचा हरा रंग होना चाहिए. किसी भी स्थिति में ऊपर हरा और नीचे केसरिया रंग नहीं होना चाहिए.
– झंडे पर कुछ भी नहीं लिखा जा सकता. तिरंगे को किसी ड्रेस या यूनिफॉर्म के किसी हिस्से में भी लगाने की मनाही है. न ही किसी रूमाल, तकिया या नैपकिन में तिरंगे की डिजाइन होनी चाहिए.
झंडे को किसी भी रूप में लपेटने, जिसमें किसी व्यक्ति की शवयात्रा भी शामिल है, के काम में नहीं लाया जा सकता. किसी सामान को देने, पकड़ने या ले जाने के तौर पर भी इसका इस्तेमाल नहीं हो सकता. हालांकि, स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस समेत खास अवसरों पर तिरंगे के अंदर फूलों की पंखुड़ियां रखी जा सकती हैं.
– राष्ट्रीय ध्वज का इस्तेमाल किसी मूर्ति या इमारत को ढंकने के लिए नहीं किया जा सकता. किसी कार्यक्रम में राष्ट्रीय ध्वज का इस्तेमाल स्पीकर की टेबल को ढंकने या मंच को सजाने के लिए नहीं होगा. किसी वाहन, रेलगाड़ी, नाव या हवाई जहाज में भी इसे नहीं लगाया जा सकता. सिर्फ संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्तियों के वाहन में ही इसे लगाने की इजाजत है.
– झंडा फटा हुआ या मैला-कुचैला नहीं होना चाहिए. घर पर या किसी भी संस्थान में तिरंगा फहराया जा रहा है, तो उसके बराबर या उससे ऊंचा कोई दूसरा झंडा नहीं होना चाहिए.
10. अगर ऐसा किया तो क्या हो सकता है?
– अगर आप घर पर तिरंगा फहरा रहे हैं और वो किसी कारण से फट जाता है या पुराना हो जाता है, तो उसे सम्मानित तरीके से डिस्पोज किया जाएगा. तिरंगे को सम्मान के साथ एकांत में कहीं जलाकर या दूसरे तरीके से नष्ट कर सकते हैं.
– तिरंगे का अपमान करने पर 3 साल की कैद या जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है. इसके लिए राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम 1971 की धारा 2 में प्रावधान किया गया है. इसके तहत किसी सार्वजनिक स्थान पर तिरंगे और संविधान को जलाना, कुचलना, फाड़ना या किसी भी तरह से नुकसान पहुंचाना अपराध होगा.