देव उठनी एकादशी आज, तुलसी-शालिग्राम विवाह के साथ शुरू होगीं शादियां, देखें शुभ मुहर्त
जयपुर. 25 नवंबर को कार्तिक माह के शुक्लपक्ष की एकादशी है जिसे देवप्रबोधिनी एकादशी, देवउठनी एकादशी और देवउठनी ग्यारस भी कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन संसार के संचालक विष्णुजी चार माह के शयन के बाद जागते हैं। यह विष्णु पूजा का पर्व है। इस दिन तुलसी विवाह भी किया जाता है और इसी के साथ शादियों की भी शुरुआत हो जाती है।
आषाढ़ शुक्लपक्ष एकादशी देवशयनी एकादशी होती है यानि इस दिन भगवान विष्णु सो जाते हैं। चार माह की योगनिद्रा के बाद भगवान विष्णु कार्तिक शुक्ल पक्ष एकादशी अर्थात देव प्रबोधिनी एकादशी को जागते हैं। इसके साथ ही सभी मांगलिक कार्यों की शुरुआत भी हो जाती है। इस दिन गन्ने के मंडप में विष्णुजी—लक्ष्मीजी के साथ माता तुलसी की भी पूजा की जाती है।
ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि देव प्रबोधिनी एकादशी पर विष्णु पूजा का अक्षय फल प्राप्त होता है। इस बार एकादशी पर कई अन्य शुभ योग भी बन रहे हैं जिससे इसका महत्व बढ़ गया है। एकादशी तिथि बुधवार को प्रारंभ हो रही है। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और रवियोग के साथ ही महालक्ष्मी नामक धन योग भी बन रहे हैं।
पूजा विधि: सुबह स्नान कर विष्णुजी की पूजा और व्रत का संकल्प लें। शाम को घर में गन्नों का मंडप सजाकर उसमें भगवान विष्णु का विग्रह स्थापित कर विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करें। तुलसी मैया की भी पूजा करें। इस पूजा में बेर, भाजी, आंवला का सर्वाधिक महत्व होता है, ये जरूर रखें। इसके साथ ही हरी सब्जी,सिंघाड़ा, मूली, सीताफल और जाम—अमरुद भी चढ़ाएं।
पूजा मुहूर्त: देव प्रबोधिनी एकादशी तिथि – 25 नवंबर 2020
एकादशी तिथि प्रारंभ – 25 नवंबर 2020 को दोपहर 2.42 बजे
एकादशी तिथि समाप्त – 26 नवंबर 2020 को सायं 5.10 बजे
पारण का समय – 26 नवंबर 2020 को 1.12 बजे से 3.15 बजे तक