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69 साल का हुआ राजस्थान बोर्ड, लेकिन 3 साल से मुखिया नहीं,REET पेपर लीक के बाद कुर्सी अब तक खाली

राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (RBSE) आज 1 अगस्त को अपना 69वां स्थापना दिवस मना रहा है। लेकिन जश्न के इस मौके पर हालात जश्न के नहीं—बल्कि चिंता के हैं। पिछले तीन साल से बोर्ड के पास कोई स्थायी चेयरमैन नहीं है, और इसकी सबसे बड़ी वजह है 2021 में हुआ कुख्यात REET पेपर लीक स्कैंडल, जिसने पूरे सिस्टम की नींव हिला दी।

साल 2022 में सरकार ने तत्कालीन चेयरमैन डीपी जारौली को बर्खास्त कर दिया था। उनके बाद से अब तक किसी को इस पद पर नियुक्त नहीं किया गया। बोर्ड का कामकाज फिलहाल अजमेर के संभागीय आयुक्त शक्ति सिंह के अतिरिक्त कार्यभार में चल रहा है।

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REET पेपर लीक से हिला था राजस्थान

2021 की REET परीक्षा में हुए पेपर लीक ने न सिर्फ लाखों अभ्यर्थियों का भविष्य खतरे में डाला, बल्कि बोर्ड की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े कर दिए। SOG जांच में सामने आया कि पेपर जयपुर के शिक्षा संकुल स्थित स्ट्रॉन्ग रूम से लीक हुआ। पेपर J-सीरीज का था और इसे कोचिंग माफिया और नकल गैंग के जरिए 50 से ज्यादा सेंटरों तक पहुंचाया गया।

मुख्य आरोपियों में जयपुर जिला कोऑर्डिनेटर प्रदीप पाराशर और रामकृपाल मीणा शामिल थे। जांच में सामने आया कि पेपर 1.25 करोड़ रुपए में बेचा गया और रामकृपाल ने अभ्यर्थियों को परीक्षा से पहले ही पढ़वा दिया।

SOG ने अब तक 131 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। प्रदीप पाराशर को 30 जनवरी 2022 को गिरफ्तार किया गया था। बाद में ED ने भी कार्रवाई करते हुए सितंबर 2024 में दोनों के चार बैंक खातों को फ्रीज कर दिया जिनमें करीब 10.89 लाख रुपए जमा थे। JDA ने रामकृपाल के स्कूल-कॉलेज की तीन मंजिला इमारत को भी ढहा दिया था।

कभी 29 हजार, आज 20 लाख स्टूडेंट्स

1957 में जब राजस्थान बोर्ड की नींव रखी गई थी, तब महज 250 स्कूल और 29 हजार स्टूडेंट्स थे। पहला एग्जाम 1958 में हुआ था। आज यह आंकड़ा 34 हजार स्कूल और करीब 20 लाख स्टूडेंट्स तक पहुंच चुका है।

साल 2025 के एग्जाम में 19,98,509 स्टूडेंट्स शामिल हुए। इनमें

10वीं: 10,96,085

12वीं: 8,91,190

प्रवेशिका: 7,324

वरिष्ठ उपाध्याय: 3,910 स्टूडेंट्स थे।

स्टाफ घटा, जिम्मेदारी बढ़ी

बोर्ड सचिव कैलाश चन्द्र शर्मा ने बताया कि बोर्ड का अधिकांश काम अब ऑनलाइन मोड में हो रहा है। लेकिन समस्या यह है कि जहां छात्रों की संख्या में कई गुना बढ़ोतरी हुई, वहीं स्टाफ लगातार घटा है।

1997 में बोर्ड के पास 850 कर्मचारी थे और 7 लाख स्टूडेंट्स।

2025 में कर्मचारी घटकर 272 रह गए, लेकिन स्टूडेंट्स की संख्या 20 लाख पहुंच गई।

बावजूद इसके, बोर्ड की साख को बचाए रखने के लिए लगातार प्रयास किए गए हैं। राष्ट्रीय प्रतिभा खोज, राज्य विज्ञान प्रतिभा खोज और REET जैसी परीक्षाओं का सफल आयोजन बोर्ड की जिम्मेदारी में शामिल है।

इतिहास की झलक

1 अगस्त 1957 को बोर्ड की स्थापना हुई।

शुरुआत में ऑफिस गांधीनगर, जयपुर में था।

1961 में ऑफिस अजमेर स्थानांतरित किया गया।

1973 में जयपुर रोड पर बहुमंजिला भवन में स्थाई रूप से ऑफिस शिफ्ट हुआ।

पहले चेयरमैन थे जी.सी. चटर्जी।

बिना मुखिया के कहां जा रहा बोर्ड?

तीन साल से बोर्ड के पास कोई स्थायी चेयरमैन नहीं है। क्या यह करोड़ों स्टूडेंट्स के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं है? जिस संस्था पर पूरे राजस्थान की माध्यमिक शिक्षा की जिम्मेदारी है, वह खुद बिना लीडर के चल रही है। क्या बोर्ड को स्थायित्व नहीं मिलना चाहिए?

आज जब बोर्ड अपने 69वें स्थापना दिवस पर है, तो यह सिर्फ समारोह का दिन नहीं, बल्कि सिस्टम की खामियों पर सोचने का मौका भी है।

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