शरद पूर्णिमा 30 अक्टूबर को, अमृत सिद्धि योग में चंद्रमा की किरणों से बरसेगा अमृत
शरद पूर्णिमा का पर्व 30 अक्टूबर को मनाया जाएगा। हर बार की तरह मंदिरों में बड़े कार्यक्रम नहीं होंगे। अलबत्ता मंदिरों में खीर बनाकर भगवान को रात बारह बजे बाद भोग लगाया जाएगा।
आश्विन शुक्ल पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है। इस दिन धवल चांदनी में चंद्रमा अमृत की किरण बरसाता है। इस समय चंद्रमा धरती के एकदम नजदीक रहता है। शरद पूर्णिमा पर भक्त अपने इष्ट और आराध्य को खीर का भोग लगाते हैं। धर्म, अध्यात्म व आयुर्वेद की दृष्टि से यह दिन विशेष माना जा रहा है। इस दिन मध्यरात्रि में चंद्रमा की रोशनी में केसरिया दूध व खीर प्रसादी रखने तथा मध्यरात्रि के उपरांत सेवन करने की परंपरा है। मान्यता है इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है तथा मनुष्य वर्षभर नीरोगी रहता है।
30 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा शुक्रवार के दिन है। संयोग से इस दिन मध्यरात्रि में अश्विनी नक्षत्र रहेगा। 27 योगों के अंतर्गत आने वाला वज्रयोग, वाणिज्य/ विशिष्टीकरण तथा मेष राशि का चंद्रमा रहेगा। वर्षों बाद आ रहे ऐसे संयोग में आयु व आरोग्यता के लिए आयुर्वेद का लाभ लिया जा सकता है। ज्योतिष शास्त्र में अलग-अलग योग संयोग का उल्लेख है। इनमें अमृतसिद्धि, सर्वार्थसिद्धि, त्रिपुष्कर, द्विपुष्कर या रवियोग विशिष्ट योग माने गए हैं। शरद पूर्णिमा पर मध्यरात्रि में शुक्रवार के साथ अश्विनी नक्षत्र होने से अमृतसिद्घि योग बन रहा है। इस योग में विशेष अनुष्ठान, जप, तप, व्रत किया जा सकता है।
शरद पूर्णिमा इसलिए मनेगी
शुक्रवार को पूर्णिमा तिथि सायंकाल काल 5.50 से शुरू होगी जो शनिवार को रात्रि 8.20 तक रहेगी। शरद पूर्णिमा रात्रिकालीन पर्व है इसलिए पूर्णिमा तिथि शुक्रवार की रात में रहने से शरद पूर्णिमा शुक्रवार की रात को मनाई जाएगी। सत्यनारायण भगवान का व्रत शनिवार को होगा।