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अनुशासन सहज योग का प्रथम सोपान : सोमानी

हर कार्य को करने के अपने नियम-कायदे होते हैं। इन नियमों की पालना ही अनुशासन कहलाता है। योग एक ऐसी क्रिया है जो बिना अनुशासन के सम्भव नहीं। अनुशासन योग की प्रथम सीढ़ी है। ये विचार श्री डूंगरगढ़ निवासी एवं दिल्ली प्रवासी समाजसेवी सूरजमल सोमानी ने रखे। वे स्थानीय पीएम श्री राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में सहज योग प्रशिक्षण के दौरान बोल रहे थे। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि 1962 में इसी विद्यालय से उन्होंने मैट्रिक की थी। इस अवसर पर उन्होंने अपने विद्यार्थी जीवन के अनुशासन एवं विद्यालय में उपलब्ध संसाधनों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने यह भी कहा कि 62 वर्ष बाद विद्यालय का अवलोकन करने पर उस समय की यादें ताजा हो गईं।

इस अवसर को यादगार बनाने के लिए उन्होंने विद्यालय को एक कम्प्यूटर सेट भेंट करने की घोषणा की। प्रारम्भ में व्याख्याता बालाराम मेघवाल ने सभी का स्वागत एवं अभिनंदन किया। डॉ. राधाकिशन सोनी ने कार्यक्रम एवं सोमानी का परिचय दिया। कोलकाता हाई कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता कुमुद शर्मा ने सहज योग के फायदे बताते हुए सूक्ष्म यन्त्र के सातों चक्र, तीनों नाड़ियों तथा कुण्डलिनी जागरण के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सहज योग में शारीरिक श्रम नहीं होता अपितु इससे शारीरिक विकार दूर होते हैं एवं स्वास्थ्य में सुधार होता है। सहज योग व्यसनमुक्ति का तरीका है। उन्होंने एवं अरविंद जाड़ीवाल ने चित्त की एकाग्रता, आत्म साक्षात्कार तथा मानसिक, भावनात्मक एवं धार्मिक पक्ष को बेहतर बनाने के लिए कई सहज योग क्रियाएँ करवाईं।
प्राचार्य डॉ. मनीष कुमार सैनी एवं व्याख्याता मदन लाल कड़वासरा ने पूर्व विद्यार्थी के रूप में सोमानी का साफा पहनाकर सम्मान किया। व्याख्याता प्रदीप कुमार कौशिक ने समागत सभी प्रबुद्धजनों का आभार प्रकट किया।


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