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25% टैरिफ से भड़के भारतीय कारोबारी, CTI ने ट्रंप को दी अमेरिकी सामान के बहिष्कार की चेतावनी

अमेरिका द्वारा भारत से आने वाले सामान पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाने के फैसले के खिलाफ अब देश के कारोबारी संगठनों ने मोर्चा खोल दिया है. चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (CTI) ने गुरुवार को इस कदम की तीखी आलोचना करते हुए कहा कि इससे भारत को हर साल करीब 7 अरब डॉलर का नुकसान हो सकता है. साथ ही CTI ने चेतावनी दी है कि अगर फैसला वापस नहीं लिया गया, तो भारत में अमेरिकी सामान का विरोध शुरू किया जाएगा.

कई सेक्टर होंगे प्रभावित, व्यापारियों में बढ़ी बेचैनी

CTI के चेयरमैन बृजेश गोयल और महासचिव गुरमीत अरोड़ा ने कहा कि अमेरिका को भारत मेटल, पर्ल, स्टोन, लेदर, केमिकल, कपड़ा, इलेक्ट्रॉनिक, इलेक्ट्रिक, मसाले, मशीनरी पार्ट्स, दवाइयां और चावल जैसे कई उत्पाद भेजता है. अब 25% टैरिफ के चलते इन सभी उत्पादों की कीमतें अमेरिकी बाजार में बढ़ेंगी, जिससे एक्सपोर्ट कम हो सकता है. इससे भारतीय कारोबारी और फैक्ट्रियां प्रभावित होंगी.

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गोयल ने बताया कि खासकर दिल्ली से बड़ी मात्रा में माल अमेरिका जाता है. अब एक्सपोर्ट ऑर्डर को लेकर भ्रम की स्थिति है. कई ऑर्डर पहले के रेट पर भेजे जा चुके हैं जो अब रास्ते में हैं. ऐसे में पेमेंट को लेकर असमंजस है. व्यापारी और निर्माता दोनों ही अनिश्चितता के माहौल में हैं.

टैरिफ वापस नहीं लिया तो शुरू होगा विरोध अभियान

CTI के वरिष्ठ उपाध्यक्ष दीपक गर्ग और उपाध्यक्ष राहुल अदलखा ने कहा कि चेंबर जल्द ही व्यापारिक संगठनों से बातचीत कर अमेरिका के उत्पादों के खिलाफ अभियान छेड़ेगा. जैसे चाइनीज सामान भारत छोड़ो अभियान ने असर दिखाया था, उसी तरह त्योहारों के समय अमेरिकन सामान का बहिष्कार भी बड़े स्तर पर देखने को मिल सकता है. उन्होंने कहा कि भारत में अमेरिका से आने वाले पेय पदार्थ, वेफर्स, फूड चेन और अन्य सेवाओं का बड़ा बाज़ार है. CTI इन सभी ब्रांड्स के विरोध की रणनीति पर काम कर रहा है.

टैरिफ के खिलाफ सरकार उठाए सख्त कदम

CTI ने भारत सरकार से आग्रह किया है कि वह इस 25% टैरिफ को तत्काल प्रभाव से वापस लेने की मांग अमेरिका के सामने मजबूती से रखे. संगठन ने कहा है कि यह सिर्फ व्यापार नहीं बल्कि लाखों कारोबारियों और कर्मचारियों की आजीविका से जुड़ा मामला है. CTI का मानना है कि इस फैसले से न सिर्फ भारत को नुकसान होगा, बल्कि अमेरिका को भी लंबे समय में झटका लग सकता है, क्योंकि भारत एक बड़ा उपभोक्ता बाजार और व्यापारिक साझेदार है.

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