आज का पंचाग, शुभ अशुभ मुहूर्त व चौघड़िया जाने पण्डित भारद्वाज श्रवण सारस्वत के साथ –
आज का पंचाग
दिनांक :- 04 जनवरी 2021
वार :- सोमवार
तिथि :- षष्ठी
पक्ष :- कृष्ण
माह :- पौष
नक्षत्र :- पूर्व फाल्गुनी
योग :- आयुष्मान 07:59 बजे तक तत्पश्चात सौभाग्य
करण :- गर 18:32
चन्द्र राशि :- सिंह
सूर्य राशि :- धनु
ऋतु :- हेमंत
आयन :- उत्तरायण
संवत्सर :- शार्वरी
विक्रम संवत :- 2077 विक्रम संवत
शाका संवत :- 1942 शाका संवत
सूर्योदय :- 07:27
सूर्यास्त :- 17:50
दिन काल :- 10 घण्टे 22
मिनट रात्री काल :- 13 घण्टे 38 मिनट
चंद्रास्त :- 11:17 बजे
चंद्रोदय :- 23:02 बजे
राहू काल :- 08:46 – 10:03 अशुभ
अभिजित :- 12:18 -12:59 शुभ
पंचक :- नहीं
समय मानक :- मोमासर बीकानेर राज.
दिशाशूल :- पूर्व
चोघडिया, दिन
अमृत :- 07:28 – 08:46 शुभ
काल :- 08:46 – 10:03 अशुभ
शुभ :- 10:03 – 11:21 शुभ
रोग :- 11:21 – 12:39 अशुभ
उद्वेग :- 12:39 – 13:57 अशुभ
चर :- 13:57 – 15:15 शुभ
लाभ :- 15:15 – 16:33 शुभ
अमृत :- 16:33 – 17:50 शुभ
चोघडिया, रात
चर :- 17:50 – 19:33 शुभ
रोग :- 19:33 – 21:15 अशुभ
काल :- 21:15 – 22:57 अशुभ
लाभ :- 22:57 – 24:39* शुभ
उद्वेग :- 24:39* – 26:21* अशुभ
शुभ :- 26:21* – 28:04* शुभ
अमृत :- 28:04* – 29:46* शुभ
चर :- 29:46* – 31:28* शुभ
व्रत पर्व विवरण –
विशेष – षष्ठी को नीम की पत्ती, फल या दातुन मुँह में डालने से नीच योनियों की प्राप्ति होती है।
रुद्र गायत्री मंत्र : ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि, तन्नो रुद्रः प्रचोदयात् ॥
दिन (वार) – सोमवार के दिन क्षौरकर्म अर्थात जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए हर सोमवार को शिवलिंग पर पंचामृत या मीठा कच्चा दूध एवं काले तिल चढ़ाएं, इससे भगवान महादेव की कृपा बनी रहती है परिवार से रोग दूर रहते है ।
सोमवार का व्रत रखने से मनचाहा जीवन साथी मिलता है, वैवाहिक जीवन में लम्बा और सुखमय होता है।
जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए हर सोमवार को शिवलिंग पर पंचामृत या मीठा कच्चा दूध एवं काले तिल चढ़ाएं, इससे भगवान महादेव की कृपा बनी रहती है परिवार से रोग दूर रहते है ।
तिथि के स्वामी – पंचमी तिथि के स्वामी नाग देवता है। षष्टी तिथि के देवता भगवान भोलेनाथ के पुत्र और देवताओं के सेनापति कार्तिकेय जी है।
नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी- पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र के देवता भग (धन व ऐश्वर्य के देवता) और स्वामी शुक्र देव जी है।
दिशाशूल – सोमवार को पूर्व दिशा का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से दर्पण देखकर, दूध पीकर जाएँ ।
यात्रा शकुन- मीठा दूध पीकर यात्रा करें।
आज का मंत्र-ॐ सौं सोमाय नम:।
आज का उपाय-मंदिर में मखाने की खीर चढ़ाएं।
वनस्पति तंत्र उपाय- पलाश के वृक्ष में जल चढ़ाएं।
विशेष – पंचमी को बिल्ब का सेवन नहीं करना चाहिए। षष्टी को नीम का सेवन नहीं करना चाहिए, षष्टी को नीम का सेवन करने से नीच योनि मिलती है।
जीवनोपयोगी कुंजियां
गंभीर बीमारी से छुटकारा पाने के लिए?
नित्य हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करें। हनुमानजी को गुड़ चने चढ़ाएं और हो सके तो चौला चढ़ाएं।
शनि संबंधी रोग से बचने के लिए शनिवार को छाया दान करें।
मंगल या शनिवार को पानीदार एक नारियल लें और उसे अपने ऊपर से 21 बार वारें। वारने के बाद उसे किसी देवस्थान पर जाकर अग्नि में जला दें। ऐसा परिवार के जिस सदस्य पर संकट हो उसके ऊपर से वारें।
दोनों कान छिदवाकर उसमें सोने का तार 43 दिन तक डाल कर रखें। इससे राहु और केतु संबंधी दोष व रोग दूर होते हैं।काला और सफेद दोनों रंग दोरंगी कंबल लेकर उसको 21 बार खुद पर से वारकर उसे किसी मंदिर में या गरीब को दान कर दें। यह उपाय राहु और केतु के रोग दूर करता है।
पंचमी तिथि के स्वामी नाग देवता है। पंचमी तिथि को नाग देवता की पूजा करने से काल सर्प दोष दूर होता है, नाग के काटने का भय नहीं रहता है ।
पंचमी तिथि के समय भगवान शिव का पूजन शुभ माना गया है, पंचमी तिथि को शिवलिंग का जिस पर नाग बना हो दूध या पंचामृत से अभिषेक करने से नाग देवता प्रसन्न होते है।पंचमी को नागो के पौराणिक नाम अनंत, वासुकि, तक्षक, कर्कोटल, पिंगल का कम से कम 11 बार उच्चारण अवश्य ही करें।
पंचमी तिथि पूर्णा तिथियों की श्रेणी में आती है, इस तिथि में समस्त शुभ कार्य सिद्ध होते हैं, किन्तु पंचमी तिथि को कर्ज नहीं देना चाहिए।षष्ठी (छठ) के देवता भगवान भोलेनाथ के पुत्र और देवताओं के सेनापति कार्तिकेय जी है।
कार्तिकेय जी को सदेव युवा रहने का वरदान प्राप्त है। इस तिथि में कार्तिकेय जी की पूजा करने से मनुष्य श्रेष्ठ मेधावी, रूपवान, दीर्घायु और कीर्ति को बढ़ाने वाला हो जाता है।यह यशप्रदा अर्थात सिद्धि देने वाली तिथि हैं। भगवान कार्तिकेय की पूजा करने से विवाद, मुक़दमो में सफलता मिलती है, शत्रु परास्त होते है।
कार्तिकेय गायत्री मंत्र : – ‘ॐ तत्पुरुषाय विद्महे: महा सैन्या धीमहि तन्नो स्कन्दा प्रचोदयात’. यह मंत्र हर प्रकार के दुख एवं कष्टों का नाश करने के लिए प्रभावशाली है