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शरीर में प्रोटीन की कमी क्यों होती है, इसको पूरा करना क्यों है जरूरी? एक्सपर्ट से जानें

प्रोटीन शरीर के लिए एक अत्यंत आवश्यक पोषक तत्व है जो कोशिकाओं के निर्माण, मरम्मत और रखरखाव में मदद करता है. यह मांसपेशियों, त्वचा, बाल, नाखून, हार्मोन, एंजाइम को डिवैलप होने में अहम भूमिका निभाता है. प्रोटीन को शरीर के “बिल्डिंग ब्लॉक” कहा जाता है क्योंकि यह शरीर को ऊर्जा देने के साथ-साथ नई कोशिकाएं बनाने और पुराने टिश्यूज को रिपेयर करने में मदद करता है. बिना पर्याप्त प्रोटीन के शरीर कमजोर हो जाता है.

प्रोटीन की कमी से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी प्रभावित होती है, जिससे बार-बार इंफेक्शन होना आम हो जाता है. मांसपेशियों की कमजोरी, वजन घटना और घावों का धीरे भरना भी इसके संकेत हो सकते है. बच्चों में यह कमी उनकी ग्रोथ को प्रभावित कर सकती है, जिससे उनका शारीरिक और मानसिक विकास धीमा हो जाता है. जब शरीर में प्रोटीन की मात्रा कम हो जाती है, तो इसके कई लक्षण धीरे-धीरे दिखने लगते हैं.

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प्रोटीन की कमी के लक्षण क्या होते हैं

थकान और कमजोरी

दिल्ली एमसीडी में वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. अजय कुमार बताते हैं कि प्रोटीन की कमी का सबसे आम और शुरुआती लक्षण है- लगातार थकान महसूस होना. शरीर में ऊर्जा की कमी लगती है. हल्का काम करने पर भी थकावट होने लगती है. मांसपेशियों की मरम्मत और मजबूती के लिए प्रोटीन की जरूरत होती है और उसकी कमी से शरीर सुस्त और कमजोर महसूस करता है.

बालों का झड़ना और नाखून टूटना जब शरीर में प्रोटीन कम होता है, तो उसका असर सबसे पहले बालों और नाखूनों पर दिखता है. बाल पतले, रूखे और कमजोर हो जाते हैं और तेजी से झड़ने लगते हैं. नाखूनों में दरार आना, आसानी से टूट जाना और उनका बेजान होना भी इसका संकेत है.

त्वचा संबंधी समस्याएं प्रोटीन की कमी से त्वचा सूखी, खुजलीदार और बेजान हो सकती है. कई बार यह इतनी अधिक हो जाती है कि रैशेज़ या एलर्जी भी देखने को मिलती है. स्किन को रिपेयर करने और उसमें नमी बनाए रखने के लिए भी प्रोटीन जरूरी है.

इम्यून सिस्टम कमजोर होना शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्यून सिस्टम को भी प्रोटीन की आवश्यकता होती है. जब यह कम हो जाता है, तो व्यक्ति को बार-बार सर्दी, खांसी, गला खराब, इंफेक्शन या बुखार होने लगता है. यहां तक कि मामूली चोट या कट भी जल्दी ठीक नहीं होता.

बच्चों में विकास रुक जाना बच्चों में प्रोटीन की कमी के लक्षण और भी गंभीर हो सकते है. इसका असर सीधे उनके शारीरिक और मानसिक विकास पर पड़ता है. वे ठीक से बढ़ नहीं पाते, शरीर दुबला-पतला रह जाता है और पढ़ाई में ध्यान नहीं लगता.

कैसे करें प्रोटीन की पूर्ति?

एक्सपर्ट्स मानते हैं कि रोज़ाना की डाइट में प्रोटीन की पर्याप्त मात्रा शामिल करनी बेहद जरूरी है. शाकाहारियों के लिए दालें, चना, मूंगफली, सोया, टोफू, दूध और पनीर अच्छे स्रोत हैं. वहीं मांसाहारी लोग अंडा, चिकन, मछली आदि से इसे पूरा कर सकते हैं.

अगर प्रोटीन की कमी बहुत ज्यादा है तो डॉक्टर से सलाह लेकर प्रोटीन सप्लीमेंट लिया जा सकता है. लेकिन बिना डॉक्टरी सलाह के ऐसा करना नुकसानदेह हो सकता है.

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