बीकानेर : वैदिक संस्कृति में वृक्षों को जीवन और प्रकृति के प्रतीक रूप में देखा जाता है और विभिन्न धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व रखते हैं. वेदों में वृक्षों को देवताओं का निवास और जीवन शक्ति का स्रोत माना जाता है. हिन्दू धर्म में वृक्षों का अत्यधिक महत्व है. हर वृक्ष एक देवता या देवी होता है, जिसकी पूजा की जाती है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अपनी राशि अपने नक्षत्र और नवग्रह से संबंधी वृक्ष की पूजा करने उनको घर में स्थापित करने से हर प्रकार की पीड़ा दूर होती है. व्यापार में उन्नति, घर परिवार में सुख शांति ऐश्वर्य की प्राप्ति एवं नवग्रह की शांति होती है.
वेद और शास्त्रों में भी है जिक्र : बीकानेर के पंचांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू ने बताया कि अथर्वेद में कहा गया है कि भगवान वृक्षों में निवास करते हैं. शतपथ ब्राह्मण में उल्लेख है कि वृक्ष और वनस्पत्ति भगवान शिव के अवतार हैं. शतपथ ब्राह्मण अध्याय 6 में इसका उल्लेख किया गया है. पद्म पुराण के अनुसार वृक्ष लगाने और वृक्ष पूजन करने से पित्तर और देवता प्रसन्न होते हैं.
ग्रह अनुसार वृक्ष की पूजा : वेदांग ज्योतिष में वृक्षों का अत्यधिक महत्व है. कुछ वृक्षों को ग्रहों से जोड़ा जाता है और उनकी पूजा, उनकी छाल (जड़) उन वृक्षों का रोपण करने से या यज्ञ में आहुति देने से और उन वृक्षों को गंगाजल में मिलाकर अभिषेक करने से कुण्डली में ग्रहों की स्थिति मजबूत होती है. उनकी पूजा से शुभफल प्राप्त होते हैं.
इन पेड़ों का महत्व : ज्योतिष के अनुसार कई वृक्षों की पूजा से चमत्कारी लाभ, सुख-सौभाग्य मिलते हैं. इनमें तुलसी, पीपल, नीम, बरगद, आंवला, बिल्व, केला, शमी, पंचपल्लव आम, जामुन, कैथ, विजौरा और बेल इन सभी वृक्षों को घर में लगाने और नित्य पूजा करने से सुख सौभाग्य की प्राप्ति होती है और ग्रह प्रसन्न होते हैं.
27 नक्षत्र के वृक्ष :
- अश्विनी -कुचला
- भरणी- आमलका
- कृतिका- औदंम्बर
- रोहिणी -जामुन
- मृगशीर्ष -खेर
- आर्द्रा : अगर, चंदन
- पुनर्वसु : बास
- पुष्य : पीपल
- आश्लेषा : नागचंपा
- माघ : बरगद
- पूर्वाफाल्गुनी : पलाश
- उत्तरा फाल्गुनी : पीपर, पाकड़
- हस्त : जुही,
- चित्रा : बेल
- स्वाति : अर्जुन, कथीरा
- विशाखा : बबूल
- अनुराधा : बकुल, नागकेशर
- ज्येष्ठा : शिमला
- मूल : गरमाला
- पूर्वाषाढ़ा : बैत
- उत्तराषाढ़ा : कटहल
- श्रवण : अर्क (आकड़ो)
- धनिष्ठा : शमी खेजड़ा
- शतभिषा : कदम्ब
- पूर्वाभाद्रपदा : आम
- उत्तरा भद्रपारदा : नीम, अरोठो
- रेवती : महुडा



















