सावन का पवित्र महीना शुरू होते ही राजस्थान के कोटा शहर में आध्यात्मिक उत्साह चरम पर है. शिक्षा नगरी के रूप में प्रसिद्ध कोटा का थेगड़ा क्षेत्र स्थित शिवपुरी धाम मंदिर इस बार सावन में विशेष आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. इस अनोखे मंदिर में एक साथ 525 शिवलिंग स्थापित हैं, जो इसे भारत में नेपाल के पशुपतिनाथ मंदिर के बाद एकमात्र ऐसा धाम बनाता है.
इस बार मंदिर में 15 फीट ऊंचे और 14 टन वजनी सहस्र शिवलिंग पर अभिषेक के लिए नई पाइप व्यवस्था की गई है, जिससे श्रद्धालु आसानी से पूजा-अर्चना कर सकेंगे. सावन के पहले दिन सुबह 4 बजे से ही हजारों भक्तों का तांता लग गया. ‘बम-बम भोले’ के जयकारों से मंदिर परिसर गूंज उठा.
शिवपुरी धाम की अनूठी विशेषता
कोटा के थेगड़ा क्षेत्र में स्थित शिवपुरी धाम की स्थापना 1986 में नागा साधु राणा रामपुरी महाराज ने की थी, जिन्हें नेपाल के पशुपतिनाथ मंदिर में दर्शन के दौरान सीमित समय और भीड़ के कारण परेशानी हुई थी. उन्होंने संकल्प लिया कि कोटा में ऐसा धाम बनाएंगे, जहां सावन और महाशिवरात्रि पर लाखों भक्त आसानी से दर्शन और अभिषेक कर सकें. 1987 में उनकी मृत्यु के बाद, उनके शिष्य सनातन पुरी महाराज ने 2007 में 121 कुंडीय महायज्ञ के साथ 525 शिवलिंगों की स्थापना पूरी की. इन शिवलिंगों को स्वास्तिक की आकृति में व्यवस्थित किया गया है, जो ड्रोन या सैटेलाइट से देखने पर स्पष्ट दिखाई देता है. मंदिर के संचालक सनातन पुरी महाराज के अनुसार, 525 शिवलिंगों का योग 12 होता है, जिससे यहां दर्शन करने वालों को 12 ज्योतिर्लिंगों का पुण्य प्राप्त होता है.
15 फीट ऊंचे शिवलिंग पर नई पाइप व्यवस्था
शिवपुरी धाम का मुख्य आकर्षण 15 फीट ऊंचा और 14 टन वजनी सहस्र शिवलिंग है, जिसमें 1008 छोटे शिवलिंग स्थापित हैं. इस बार सावन 2025 के लिए मंदिर प्रशासन ने इस विशाल शिवलिंग पर अभिषेक के लिए एक विशेष पाइप व्यवस्था की है. यह व्यवस्था भक्तों को जल, दूध और बेलपत्र अर्पित करने में सुविधा प्रदान करती है, जिससे लंबी कतारों में भी अभिषेक आसान और व्यवस्थित हो. मंदिर में अमृत सरोवर भी है, जिसमें 108 तीर्थों का जल प्रवाहित है और भक्त यहां स्नान कर पूजा करते हैं. मंदिर परिसर में भगवान गणेश, अन्नपूर्णा देवी और पशुपतिनाथ की प्रतिमाएं भी स्थापित हैं, जो इसे और भव्य बनाती है.
सावन में श्रद्धालुओं का उत्साह
सावन के पहले सोमवार से ही शिवपुरी धाम में भक्तों की भीड़ उमड़ रही है. सुबह 4 बजे से शुरू होने वाली पूजा-अर्चना में हजारों श्रद्धालु हिस्सा लेने आए. मंदिर में 525 शिवलिंगों का एक साथ रुद्राभिषेक और 11 कुंडीय महायज्ञ का आयोजन किया जाता है, जिससे आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार होता है. भक्त नवीन खत्री ने बताया, “यहां दर्शन और अभिषेक से मन को शांति मिलती है और मान्यता है कि सच्चे मन से की गई पूजा से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.” सावन और महाशिवरात्रि पर लाखों भक्त कोटा, हाड़ौती क्षेत्र और देश-विदेश से यहां पहुंचते हैं.




















