राजस्थान में बिजली सिर्फ मीटर से नहीं, नेताओं की “हिम्मत” से चल रही है! आम आदमी अगर एक महीने का बिल ना चुकाए तो डिस्कॉम वाले मीटर उखाड़ ले जाते हैं, मगर यहां विधायक-मंत्री लाखों के बकायेदार हैं और फिर भी फुल एसी, फुल ट्यूबलाइट और 24×7 बिजली की रोशनी में आराम फरमा रहे हैं।
राजधानी जयपुर की पॉश लालकोठी विधायक आवास योजना में 160 विधायक झकास सरकारी बंगलों में रहते हैं। लेकिन सच ये है कि इनमें से 56 विधायकों ने महीनों से बिजली का बिल नहीं चुकाया, और 21 विधायक-मंत्री तो ऐसे निकले जिनका बकाया ₹1 लाख से भी ऊपर है!
जनता के लिए घर है, मेरा नहीं
संगरिया से कांग्रेस विधायक अभिमन्यु पूनिया इस लिस्ट में पहले नंबर पर हैं। इनका बकाया ₹1,32,841 है और पिछले 11 महीने से बिल जमा नहीं हुआ।
पूछने पर जवाब आया
मैं जनसेवक हूं… मकान मेरा नहीं, जनता का है। सरकार हमारा बिल माफ करे, हम तो जनता की सेवा करते हैं।”
इंदिरा मीणा: “70 हजार भर दिए थे, बाकी पता नहीं”
बामनवास से कांग्रेस विधायक इंदिरा मीणा का बकाया ₹1.09 लाख है। सवाल पर बोलीं –हमें तो पता ही नहीं बिल कितना बाकी है। पहले 70 हजार दिए थे।
मंत्री कन्हैयालाल का ‘कनेक्शन’ भी बकाया
राज्य सरकार में मंत्री कन्हैयालाल चौधरी ने भी दो महीने से बिल जमा नहीं किया। और मज़ेदार बात? न कोई नोटिस, न कनेक्शन काटा गया।
नियम क्या कहता है, और नेता क्या करते हैं?
डिस्कॉम के नियम साफ हैं –
₹10,000 से ज्यादा का बकाया हो तो 15 दिन में कनेक्शन काटा जाएगा।
लेकिन लालकोठी और ज्योति नगर में नियमों की चाय बनती है और बकाएदार उसमें मलाई की तरह तैरते हैं। डिस्कॉम के अधिकारी भी हाथ बांधे खड़े हैं — ना कोई JEN आया, ना कोई लाइनमैन।
लेकिन बेनीवाल का कटा कनेक्शन!
नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल का बिजली कनेक्शन ₹11 लाख बकाया होने पर काट दिया गया। इस पर बवाल मच गया। सोशल मीडिया से लेकर सियासी गलियारों तक हड़कंप मच गया।
नतीजा? ऊर्जा मंत्री हीरालाल नागर तक को अपना बकाया बिल तुरंत जमा करवाना पड़ा।
अब बिल की जगह “बिनती” चल रही है!
ऊर्जा मंत्री बोले –
“सभी विधायकों से आग्रह किया है कि वे समय पर बिल जमा करें।”
मतलब, आम आदमी को नोटिस, नेता को सिर्फ विनती!
बिजली कंपनियां घाटे में
राजस्थान की बिजली कंपनियों का घाटा ₹1.40 लाख करोड़ से पार हो चुका है। और अनुमान है कि यह घाटा वित्तीय वर्ष खत्म होते-होते ₹2 लाख करोड़ पार कर जाएगा।
अब सवाल जनता के मन में…
क्या विधायक-मंत्री कानून से ऊपर हैं?
जब नियम है, तो कार्रवाई क्यों नहीं?
क्या हम सिर्फ टैक्स भरने के लिए हैं?
कहते हैं लोकतंत्र में सभी बराबर हैं — लेकिन बिजली के मीटर बताते हैं कि कुछ ‘जनसेवक’ ज्यादा बराबर हैं।
और जनता? वो तो बस मीटर की हर टिक-टिक में एक नई चपत झेल रही है।
अब तो मीटर भी कह रहा होगा – नेता हो तो ऐसा!




















