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ठेका कर्मचारियों के समायोजन के लिए बजट घोषणा पर शुरू हुआ काम, लेकिन विभाग नहीं दिखा रहे दिलचस्पी

जयपुर : ठेका कर्मचारियों को ठेकेदारों के शोषण से मुक्ति दिलाने और उन्हें सरकारी कार्मिकों के समान मानदेय, भत्ता और अन्य सुविधाएं देने के लिए भले ही राज्य सरकार ने कई फैसले लिए हों, लेकिन सरकार के इन फैसलों को सरकारी विभाग ही गंभीरता से नहीं ले रहे हैं. इससे ठेका कर्मचारियों को भी ठेकेदारों से मुक्ति नहीं मिल पा रही है.

दरअसल, ठेका कर्मचारियों को ठेकेदारों से मुक्ति दिलाने के लिए राज्य सरकार ने बजट 2025-26 में ठेका कर्मचारियों के लिए एक अलग से सरकारी संस्था गठित करने की घोषणा की थी. इसके तहत ठेकेदारों के अधीन प्रदेश भर में काम कर रहे 2 लाख से ज्यादा ठेका कर्मचारियों को इस सरकारी संस्था के अधीन लिया जाना था. इसके लिए कार्मिक विभाग और वित्त विभाग ने भी कवायद शुरू कर दी थी. कार्मिक विभाग के सचिव केके पाठक ने पहले 28 अप्रैल को सभी विभागों को पत्र भेजकर उनके यहां कार्य ठेका कर्मचारियों की जानकारी मांगी थी.

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कार्मिक विभाग ने रुचि नहीं दिखाई : इसके बाद 2 जुलाई को भी केके पाठक ने सभी विभागों को पत्र भेज कर कहा था कि बजट घोषणा वर्ष 2025-26 प्लेसमेंट एजेंसी के माध्यम से कार्मिकों को संविदा पर नियोजित किए जाने की व्यवस्था को समाप्त कर कार्मिक विभाग के अधीन राजकीय संस्था का गठन की जाने की घोषणा की गई है. ऐसे में तमाम विभागों, निगम, बोर्ड और स्वायत्तशासी संस्थानों में कार्यरत ठेका कर्मचारियों की सूची कार्मिक विभाग को भेजी जाए, लेकिन विभागों ने कार्मिक विभाग के इस पत्र पर कोई रुचि नहीं दिखाई.

80 से ज्यादा विभागों को भेजी गई सूची : वहीं, दो बार ठेका कर्मचारियों की जानकारी नहीं भेजने पर तीसरी बार कार्मिक विभाग के संयुक्त सचिव नरेंद्र कुमार बंसल ने सभी विभागों को पत्र भेज कर ठेका कर्मचारियों की जानकारी मांगी थी. कर्मचारी संगठनों का कहना है कि तीन बार पत्र भेजे जाने के बावजूद अधिकांश विभागों ने इस मामले में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है. प्रदेश के करीब 80 से ज्यादा विभागों को भेजी गई सूची में से केवल 10 से 12 विभागों ने ही अभी तक कार्मिकों की जानकारी भेजी है.

विभागों के सुस्त रवैये से हो रही है देरी : अखिल राजस्थान ठेका कर्मचारी संयुक्त महासंघ के सदस्य जहीर अहमद का कहना है कि सरकार की बजट घोषणा पर कार्मिक विभाग और वित्त विभाग ने तो काम शुरू कर दिया है, लेकिन ज्यादातर विभाग उनके यहां कार्यरत ठेका कर्मचारियों की जानकारी नहीं भेज पा रहे हैं. इससे सरकारी संस्था के गठन में देरी हो रही है. इस मामले को लेकर कई बार विभागों के प्रमुख अधिकारियों से भी बात कर चुके हैं, लेकिन कोई भी इस मामले में कोई दिलचस्पी नहीं दिख रहा है. इससे ठेका कर्मी अब भी ठेकेदारों के अधीन काम करने को मजबूर हैं. तमाम विभागों के प्रमुख अधिकारियों से मुलाकात के दौरान उन्हें चेतावनी दी है कि अगर जल्दी ही ठेका कर्मचारियों की जानकारी कार्मिक विभाग को नहीं भेजी गई तो फिर प्रमुख अधिकारियों का घेराव करेंगे.

दोबारा सर्कुलर जारी करें : राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ के अध्यक्ष गजेंद्र सिंह राठौड़ का कहना है कि राज्य सरकार ने बजट में घोषणा की थी कि जितने भी राजस्थान में ठेका कर्मचारी हैं, उनके लिए कार्मिक विभाग के अधीन एक संस्था का गठन कर ठेका कर्मचारियों को समायोजित किया जाएगा. कार्मिक विभाग के कई बार सर्कुलर जारी करने के बावजूद भी कई विभागों ने इसकी सूचना नहीं भेजी है कि कितने कर्मचारी किस विभाग में कार्यरत हैं. इससे राजकीय संस्था बनाने का प्रोसेस पूरा नहीं हो पा रहा है. ऐसे में मुख्यमंत्री और कार्मिक विभाग से आग्रह करते हैं कि दोबारा सर्कुलर जारी करें और सभी विभागों के अधिकारियों को निर्देशित करें कि ठेका कर्मचारियों की सूची जल्द से जल्द भेजी जाए, जिससे कि यह कार्य जल्द से जल्द पूरा किया जा सके.

पूर्ववर्ती सरकार ने भी की थी बजट में घोषणा : वहीं, पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने भी अपने अंतिम बजट 2023-24 में ठेका कर्मचारियों को ठेकेदारों से शोषण से मुक्ति दिलाने के लिए एक कंपनी बनाने की घोषणा की थी. इसे राजस्थान लॉजिस्टिकल सर्विस डिलीवरी कॉरपोरेशन (आरएलएसडीसी) नाम दिया गया था. तब उसमें एक निदेशक और कई सदस्य भी नियुक्त किए गए थे, लेकिन सत्ता बदलने के बाद यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया था. भाजपा सरकार ने नए सिरे से ठेका कर्मचारियों के लिए कार्मिक विभाग के अधीन एक सरकारी संस्था गठित करने की घोषणा कर दी थी.

बढ़ा हुआ मानदेय और अन्य सुख सुविधा भी मिलेंगी: कर्मचारी संगठनों का कहना है कि सरकार की ओर से ठेका कर्मचारियों के लिए सरकारी संस्था गठित होने के बाद उन्हें सरकारी कार्मिकों के समान वेतनमान, मानदेय और अन्य सुख सुविधा भी मिलेंगे. फिलहाल ठेका कर्मचारियों को ठेकेदार की ओर से ही न्यूनतम मानदेय दिया जाता है, जबकि कोई अन्य भत्ते वगैरह नहीं दिए जाते हैं.

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