देवली इलाके में गुरुवार को उस समय हालात बेकाबू हो गए जब एक युवक की मौत के बाद शव रखकर प्रदर्शन कर रहे ग्रामीणों ने पुलिस टीम पर हमला बोल दिया। महिलाएं तक उग्र हो गईं और एक कॉन्स्टेबल को बाल पकड़कर थप्पड़ मारते हुए जमकर पीटा। पुलिसकर्मियों को अपनी जान बचाने के लिए मौके से भागना पड़ा। मामला सीधे बजरी माफिया के आपसी टकराव और प्रशासन की लचर व्यवस्था की पोल खोलता है।
मौत से शुरू हुआ बवाल
घटना टोंक जिले के देवली कस्बे के राजमहल गांव की है। 2 जुलाई की रात करीब 10 बजे पप्पू गुर्जर (उम्र 27) को एक बजरी से भरे ट्रैक्टर ने कुचल दिया। पप्पू की मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई। घटना के बाद गुस्साए ग्रामीणों और परिजनों ने शुक्रवार सुबह तक शव को देवली-राजमहल मार्ग पर रखकर रास्ता जाम कर दिया। प्रदर्शनकारियों ने दोषियों की गिरफ्तारी, मृतक के परिवार को सरकारी नौकरी और मुआवजा देने की मांग को लेकर प्रदर्शन तेज कर दिया।
बजरी माफियाओं के बीच था विवाद
प्रशासन की मानें तो यह हादसा महज एक्सीडेंट नहीं था, बल्कि बजरी से जुड़े दो पक्षों के बीच लंबे समय से चल रहे आपसी विवाद का नतीजा था। मृतक और ट्रैक्टर चालक दोनों ही बजरी कारोबार से जुड़े हुए थे। सूत्रों की मानें तो यह टकराव पहले से ही हिंसक मोड़ ले चुका था और पुलिस की लापरवाही ने हालात बिगाड़ दिए।
अधिकारियों की समझाइश पर भड़की भीड़
गुरुवार सुबह मौके पर SDO मनोज कुमार मीणा, देवली पुलिस उपाधीक्षक रामसिंह, थानाधिकारी दौलतराम और विधायक राजेंद्र गुर्जर पहुंचे। जैसे ही उन्होंने परिजनों को पोस्टमार्टम करवाने और कार्रवाई का आश्वासन देना शुरू किया, वैसे ही भीड़ उग्र हो गई। विशेषकर महिलाओं ने पुलिस पर हमला कर दिया। एक महिला ने पुलिस कॉन्स्टेबल को पकड़ लिया, उसके बाल नोचते हुए थप्पड़ और लात-घूंसे मारे।
पुलिस भागी, हालात बेकाबू
पुलिस ने स्थिति संभालने की बजाय खुद को बचाने की जद्दोजहद शुरू की। कई पुलिसकर्मी मौके से भाग निकले। मीडियाकर्मियों और प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, यह नजारा किसी भीड़ तंत्र के अधिनायकवाद जैसा था, जिसमें कानून व्यवस्था पूरी तरह नाकाम नजर आई। एक तरफ मृतक का परिवार न्याय की मांग कर रहा था, वहीं दूसरी तरफ पुलिस खुद को सुरक्षित रखने में व्यस्त थी।
प्रशासन की खामोशी और संवेदनहीनता
घटना के बाद प्रशासन ने मामले को शांत करने की कोशिश जरूर की, लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि बजरी माफियाओं के बढ़ते दबदबे के कारण यह टकराव जानलेवा बन चुका है। गांवों में खुलेआम बजरी का खेल चल रहा है, और अब यह माफिया आम नागरिकों की जान लेने से भी पीछे नहीं हट रहा।
पप्पू के परिवार ने दोषियों की गिरफ्तारी, ₹50 लाख मुआवजा, सरकारी नौकरी और पूरे प्रकरण की CBI जांच की मांग की है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि प्रशासन ने इस बार भी लीपापोती की तो आंदोलन और उग्र होगा।
फिलहाल स्थिति तनावपूर्ण है और भारी पुलिस बल तैनात है। लेकिन सवाल यही है — क्या टोंक में बजरी माफियाओं पर कानून का शिकंजा कभी कस पाएगा या फिर अगला पप्पू किसी और गांव में यूं ही मारा जाएगा?



















