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जोड़ों में हमेशा रहता है दर्द? बढ़ती उम्र नहीं, ये भी हो सकता है कारण

आज के समय में ज़्यादातर लोग ऑफिस में 8 से 10 घंटे तक लगातार कुर्सी पर बैठकर काम करते हैं. यह आदत भले ही प्रोफेशन का हिस्सा हो, लेकिन शरीर के लिए यह बेहद नुकसानदेह हो सकती है. खासतौर पर रीढ़ की हड्डी (spine) के लिए लंबे समय तक बैठना धीरे-धीरे खतरे की घंटी बन सकता है. लगातार बैठे रहने से शरीर की मुद्रा (posture) बिगड़ जाती है, मांसपेशियां कमजोर होने लगती हैं और रीढ़ पर दबाव बढ़ने लगता है.

अगर सही समय पर एक्सरसाइज, संतुलित आहार, पर्याप्त नींद और एक्टिव दिनचर्या अपनाई जाए, तो जोड़ों के दर्द को रोका या काफी हद तक कम किया जा सकता है. सिर्फ उम्र को दोष देना ठीक नहीं है, बल्कि अपनी जीवनशैली को सुधारना ही असली इलाज है.

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बहुत से लोग मानते हैं कि जोड़ों का दर्द सिर्फ बुढ़ापे की निशानी है, लेकिन आजकल ऐसा नहीं है. अब 30 या 40 की उम्र में ही लोग घुटनों, पीठ, कंधों या हाथ-पैरों के जोड़ों में दर्द की शिकायत करने लगे हैं. ये बदलाव हमारी modern lifestyle और कुछ अनहेल्दी आदतों की वजह से हो रहे हैं, जिनका सीधा असर हमारी हड्डियों और मांसपेशियों पर पड़ता है.

लगातार बैठे रहना

सफदरजंग अस्पताल में स्पोर्ट्स इंजरी सेंटर में डॉ सलभ सिंह बताते हैं कि जोड़ों में दर्द एक बड़ी वजह है लगातार बैठे रहना. आजकल ज्यादातर लोग ऑफिस में घंटों एक ही पोजिशन में बैठकर काम करते हैं, जिससे शरीर का मूवमेंट बहुत कम हो गया है. इससे मांसपेशियों में जकड़न, ब्लड सर्कुलेशन में कमी और धीरे-धीरे जोड़ों में सूजन या दर्द जैसी समस्याएं शुरू हो जाती हैं. शरीर को जितना चलायेंगे, वह उतना ही लचीला और हेल्दी रहेगा.

गलत खानपान

दूसरी मुख्य वजह है गलत खानपान. आज के समय में जंक फूड, तली-भुनी चीज़ें और मीठा ज्यादा खाया जाता है, जबकि हड्डियों को मजबूत करने वाले कैल्शियम, विटामिन D, प्रोटीन और मैग्नीशियम युक्त फूड्स कम लिए जाते हैं. इन पोषक तत्वों की कमी से हड्डियां धीरे-धीरे कमजोर होने लगती हैं और जोड़ जल्दी दर्द करने लगते हैं.

बढ़ता हुआ वजन

तीसरा कारण है बढ़ता हुआ वजन. जब शरीर का वजन ज्यादा होता है तो उसका असर सबसे पहले घुटनों और पीठ पर पड़ता है. जोड़ों को शरीर का वजन संभालने में ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है, जिससे वे जल्दी थक जाते हैं और उनमें सूजन या दर्द की बनने लगता है. खासकर जिन लोगों की लाइफस्टाइल एक्टिव नहीं है, उनके लिए यह खतरा और बढ़ जाता है.

माइक्रो-ट्रॉमा

इसके अलावा बार-बार एक जैसी हरकतें करना जैसे मोबाइल चलाते रहना, एक ही तरह से बैठना, सीढ़ियां बार-बार चढ़ना या भारी सामान उठाना भी जोड़ों पर असर डाल सकता है. ये माइक्रो-ट्रॉमा धीरे-धीरे जोड़ों की हालत बिगाड़ते हैं.

तनाव और नींद की कमी

तनाव और नींद की कमी भी एक बड़ा फैक्टर बन रहा है. जब आप लगातार स्ट्रेस में रहते हैं, तो शरीर में सूजन बढ़ाने वाले हार्मोन सक्रिय हो जाते हैं. इससे मांसपेशियों में खिंचाव आता है और दर्द बढ़ता है. वहीं, अच्छी नींद न मिलने से शरीर खुद को ठीक से रिपेयर नहीं कर पाता और दर्द बना रहता है.

हार्मोनल बदलाव

महिलाओं के लिए हार्मोनल बदलाव भी एक वजह है. मेनोपॉज के बाद शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन कम हो जाता है, जिससे हड्डियों की ताकत घटने लगती है और जोड़ जल्दी कमजोर पड़ते हैं. इन सभी कारणों को समझना जरूरी है ताकि हम समय रहते सतर्क हो सकें.

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