जयपुरः जयपुर जिले का चौमू क्षेत्र बेर की खेती के लिए प्रसिद्ध है. यहां के किसान हाईटेक तरीके से बेर की खेती करते हैं. यहां पर उत्पादित होने वाले बेर की डिमांड जयपुर ही नहीं बल्कि अन्य राज्यों में भी है. यहां बेर की झाड़ियां पर बेर लगते हैं. इस क्षेत्र में बेर के चमेली, पेमली और खट-मीठा बेर की खेती सबसे ज्यादा होती है. यहां के किसानों के लिए यह आमदनी का मुख्य जरिया है.
पिछले 6 साल से बेर की खेती करने वाले किसान राकेश यादव ने बताया कि पारंपरिक खेती में होने वाले नुकसान को लेकर यहां के लोग धीरे-धीरे बेर की खेती करना शुरू कर रहे हैं. यहां के खेतों में उत्पादित होने वाले बेर को किसान चौमू मंडी के व्यापारियों को बेचते हैं. इसके बाद ये बेर भारी मात्रा में गुजरात, हरियाणा, पंजाब, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, हिमाचल सहित अन्य राज्यों में भी बेर की सप्लाई की जाती है.
दो किस्म के बेर की होती है खेती
किसान राकेश यादव ने बताया कि चौमू सहित आसपास के इलाके में भी बेर की काफी खेती की जाती है. यहां किसान सालों से बेर की खेती कर रहे हैं. यहां पर दो स्थानीय किस्म चमेली बेर, जो छोटा व गोल होता है और दूसरा पेमली बेर जो कि मोटा होता है, इसकी खेती अधिक होती है. कुछ किसान हाइब्रिड में थाई एप्पल बेरों की किस्में भी लगा रहे हैं. पेमली बेर को ग्राफ्टेड पेड़ की तरह तैयार किया जाता है. इस किस्म का बेर काफी मोटा और मीठा होता है.
बेर की खेती कर किसान बन रहे लखपति
किसान राकेश यादव ने बताया कि कई परिवारों के लिए तो बेर की खेती ही आमदनी का मुख्य सोर्स है. यहां, एक बड़ी झाड़ी के पेड़ से 50 किलो से डेढ़ क्विंटल तक उत्पादन होता है. बेर स्थानीय स्तर पर 200 रुपए से 50 रुपए प्रति किलो के हिसाब से बिक जाता है. किसानों की मानें तो एक पेड़ से करीब एक क्विंटल के उत्पादन से लेकर दो क्विंटल तक उत्पादन होता है. वहीं, अच्छे और मोटे बेर मंडी में करीब 25 रुपए किलो से लेकर 50 रुपए किलो तक के भाव से बिकते हैं. किसान इन मीठे बेरों की छंटनी करके अलग-अलग रेटों में दुकानदार को बेचते हैं. वहीं दुकानदार करीब 30 रुपए किलो से लेकर 100 रूपए किलो तक के बाजार भाव से बेर बेच रहे हैं. ऐसे में किसान और दुकानदार बेर की खेती से लाखों रुपए की कमाई कर रहे हैं.



















