दौसा. दौसा जिले से होकर गुजरने वाले मनोहरपुर-कोथून नेशनल हाईवे पर लालसोट के पास एक खतरनाक मोड़ लोगों की जान पर बन आया है. लालसोट से दौसा की ओर आते वक्त हाईवे पर एक गांव के समीप सड़क बीच से उभरी हुई है, जो अब ब्रेकर जैसी शक्ल ले चुकी है. यह हालत बीते गर्मियों में सड़क खराब होने के बाद से बनी हुई है. लेकिन हैरानी की बात यह है कि अब तक संबंधित कंपनी या प्रशासन ने इसे ठीक करने की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया है.
गांव के निवासी रामस्वरूप मीणा बताते हैं कि यह सड़क पिछले तीन-चार महीनों से इसी स्थिति में है. महिलाएं सबसे ज्यादा गिरती हैं. जब कोई महिला बाइक के पीछे बैठकर इस हिस्से से गुजरती है तो झटका लगते ही वह गिर जाती है और बाइक आगे बढ़ जाती है. गांव के अन्य लोगों का कहना है कि कई बार उन्होंने वाहन पलटते देखे हैं. वे कई बार संबंधित कंपनी के इंजीनियरों को समस्या दिखा चुके हैं, फोटो भेज चुके हैं, लेकिन हर बार सिर्फ आश्वासन मिला है. स्थिति और गंभीर तब हो जाती है जब लोग डिवाइडर के बीच से सीधे इस खतरनाक मोड़ पर अपने दोपहिया और चारपहिया वाहन लेकर निकल आते हैं. कंपनी ने रास्ता डाइवर्ट कर रखा है लेकिन स्पष्ट मार्गदर्शन और बैरिकेडिंग के अभाव में लोग बार-बार पुराने रास्ते पर आ जाते हैं. इससे दुर्घटना की आशंका कई गुना बढ़ जाती है.
महिलाओं और छात्राओं के लिए सबसे जोखिम भरा स्थान
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह कोई बड़ा निर्माण कार्य नहीं है. सड़क के दोनों ओर केवल दो स्थानों पर ऊबड़-खाबड़ उभार बन गया है, जिसे सामान्य लेवलिंग और रिपेयरिंग से ठीक किया जा सकता है. लेकिन कंपनी की उदासीनता और लापरवाही ने इसे हादसे की घड़ी में बदल दिया है. ग्राउंड रिपोर्ट के दौरान कई महिलाओं ने बताया कि वे खुद गिर चुकी हैं या अपने सामने किसी को गिरते हुए देख चुकी हैं. खासकर स्कूल जाने वाली छात्राओं और रोजाना सफर करने वाली महिलाओं के लिए यह स्थान एक डरावना मोड़ बन चुका है.
अनदेखी बन सकती है बड़ी दुर्घटना का कारण
ग्रामीणों ने प्रशासन से कई बार शिकायत की लेकिन अब तक स्थायी समाधान नहीं मिल पाया है. लोगों का कहना है कि अगर जल्द ही मरम्मत नहीं हुई तो यह स्थान किसी बड़े हादसे का कारण बन सकता है. यह हाईवे अब हादसे की दहलीज पर खड़ा है. एक मामूली तकनीकी लापरवाही कितनी बड़ी जानलेवा साबित हो सकती है, इसका प्रत्यक्ष उदाहरण यही जगह है. अब सवाल यह नहीं है कि हादसा होगा या नहीं, बल्कि यह है कि वह कब होगा और कितनी बड़ी जान लेकर जाएगा.




















