गर्दन और पीठ का दर्द आजकल एक आम समस्या बन चुकी है, खासकर उन लोगों में जो लंबे समय तक बैठकर काम करते हैं या मोबाइल और लैपटॉप का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं. ज्यादातर लोग मानते हैं कि इसका मुख्य कारण बैठने या खड़े होने का गलत पॉश्चर है, लेकिन कई बार दर्द के पीछे कुछ छिपे हुए कारण भी होते हैं जो नजरअंदाज कर दिए जाते हैं. ऐसे में केवल बैठने के तरीके को सुधारना ही काफी नहीं होता है. आइए जानते हैं, गर्दन और पीठ दर्द से शरीर को क्या नुकसान होता है और क्या हैं इसके पीछे की छिपी हुई वजहें.
सर्वोदय अस्पताल में आर्थोपेडिक विभाग में यूनिट वन के प्रमुख डॉ. अंचित उप्पल बताते हैं किलगातार रहने वाला गर्दन और पीठ का दर्द केवल एक असहजता नहीं, बल्कि शरीर के बैलेंस और स्वास्थ्य पर गहरा असर डालता है. जब रीढ़ की हड्डी में खिंचाव या तनाव बना रहता है, तो इससे पूरे शरीर का पोस्चर बिगड़ सकता है, जो आगे चलकर सिरदर्द, थकान, फोकस करने में परेशानी और यहां तक कि नींद की गुणवत्ता में गिरावट जैसी समस्याएं पैदा कर सकता है. दर्द के कारण व्यक्ति अपने सामान्य कामकाज को पूरी एनर्जी के साथ नहीं कर पाता, जिससे जीवन का बैलेंस प्रभावितहोताहै. इसके अलावा, मांसपेशियों में जकड़न और कमजोरी आने लगती है, जिससे शरीर के कामकाज पर असर पड़ता है. लंबे समय तक नजरअंदाज करने पर यह समस्या क्रॉनिक बन सकती है, जिसका इलाज करना और मुश्किल हो जाता है.
गर्दन और पीठ के दर्द की क्या हैं 3 छिपी वजहें?
नींद की कमी:
जब शरीर को पर्याप्त आराम नहीं मिलता, तो मांसपेशियों को रिकवरी का समय नहीं मिल पाता है. रातभर की अधूरी नींद शरीर को थका देती है और रीढ़ की हड्डी को सहारा देने वाली मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं. इसका सीधा असर गर्दन और पीठ पर पड़ता है.
पोषण की कमी:
कैल्शियम, विटामिन डी और मैग्नीशियम जैसे पोषक तत्व हड्डियों और मांसपेशियों के लिए बेहद जरूरी होते हैं. इनकी कमी से मांसपेशियों में कमजोरी और सूजन आ सकती है, जिससे दर्द होना सामान्य हो जाता है. अगर लंबे समय तक खानपान में बैलेंस न हो, तो यह समस्या और बढ़ सकती है.
कैसे करें बचाव?
दिनभर में हर 30-40 मिनट बाद पॉश्चर चेक करें और हल्का मूवमेंट करें.
तनाव को कम करने के लिए ध्यान, योग या सांस लेने की एक्सरसाइज अपनाएं.
कम से कम 7-8 घंटे की नींद जरूर लें.
कैल्शियम और विटामिन डी से भरपूर डाइट लें.
पीठ को सपोर्ट देने वाली चेयर और तकिये का इस्तेमाल करें.
जरूरत हो तो फिजियोथेरेपिस्ट से सलाह लें.



















