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क्या AI ले सकता है डॉक्टरों की जगह? क्या है एक्सपर्ट्स की राय

आजकल हर क्षेत्र में AI (Artificial Intelligence) की चर्चा है फिर चाहे वो शिक्षा हो, मीडिया हो या हेल्थकेयर. पहले AI का उपयोग मुख्य रूप से वीडियो गेम्स और सॉफ़्टवेयर में देखा जाता था लेकिन अब भारत में भी इसका इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है. AI का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह घंटों का काम मिनटों में कर सकता है. इसके जरिए जहां पहले 10 लोग मिलकर एक टास्क पूरा करते थे, अब AI की मदद से वह काम आसानी से और तेज़ी से किया जा सकता है. इसका यूज अब हर फील्ड में हो रहा है.

 

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AI क्या कर सकता है मेडिकल फील्ड में?

मेडिकल डेटा को तेजी से एनालाइज – AI की मदद से बड़ी मात्रा में मेडिकल डेटा को तेजी से एनालाइज किया जा सकता है. यह किसी मरीज की रिपोर्ट को देखकर बीमारी की पहचान (diagnosis) कर सकता है, इलाज के विकल्प सुझा सकता है और यहां तक कि रिस्क प्रेडिक्शन भी कर सकता है कि किसी मरीज को भविष्य में कौन सी बीमारी हो सकती है. जैसे

Speed और Data Analysis – AI की सबसे बड़ी ताकत है Speed और Data Analysis. Artificial Intelligence की मदद से हजारों रिपोर्ट्स, केस स्टडीज़ और मेडिकल रिसर्च को सेकंड्स में स्कैन किया जा सकता है और लक्षणों के आधार पर संभावित बीमारी और इलाज के विकल्प भी बता सकते हैं. वर्चुअल हेल्थ असिस्टेंट्स, हेल्थ चैटबॉट्स और स्मार्ट वियरबल्स भी लगातार हेल्थ पर नजर रखते हैं और डॉक्टर से पहले चेतावनी दे सकते हैं जैसे-

1 डायग्नोसिस में मदद- जैसे X-ray, MRI, CT Scan जैसे टेस्ट में AI पैटर्न पहचानकर डॉक्टर की मदद करता है.

2 शुरुआती सलाह: कुछ AI चैटबॉट (जैसे Symptom Checker Apps) मरीज को लक्षण के आधार पर शुरुआती जानकारी देते हैं.

3 रिमोट हेल्थ मॉनिटरिंग: स्मार्ट वॉच और फिटनेस बैंड्स AI से जुड़े होते हैं जो BP, हार्ट रेट और ऑक्सीजन लेवल लगातार मॉनिटर करते हैं.

लेकिन क्या AI डॉक्टर की जगह ले सकता है?

इस बारे में पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट डॉ जुगल किशोर कहते हैं कि एआई का अपना रोल है जो बढ़ रहा है, लेकिन भविष्य में कभी भी ये डॉक्टरों की जगह नहीं ले सकता है. क्योंकि इलाज सिर्फ मशीनों से नहीं होता डॉक्टर का अनुभव, इंसान की समझ, संवेदनशीलता (empathy) और मरीज के साथ जुड़ाव बहुत जरूरी होता है. एक डॉक्टर, मरीज की भाषा, मानसिक स्थिति, और पारिवारिक-पारंपरिक पहलुओं को भी समझता है जो AI के लिए अभी संभव नहीं है. एआई सिर्फ अक मशीन है, जबकि मरीज का इलाज भावनात्मक रूप से जुड़कर किया जाता है. रिपोर्ट्स देखने और इलाज सुझाने में तो एचआई मदद कर सकता है, लेकिन ये कभी भी डॉक्टरों का विकल्प नहीं बन सकता है. मरीजों को हमेशा डॉक्टरों की जरूरत ही होगी.

डॉ किशोर के मुताबिक, कुछ तरह की रोबोटिक सर्जरी में एआई की मदद ली जाती है, लेकिन वह भी डॉक्टरों की निगरानी में होता है. कभी भी एआई के भरोसे मरीज का इलाज नहीं छोड़ा जा सकता है. मरीज के लिए हमेशा डॉक्टर की जरूरत थी, है और रहेगी.

AI पर निर्भर रहना गलत

दिल्ली के जीटीबी अस्पताल में मेडिसिन विभाग में डॉ अजीत कुमार कहते हैं कि कुछ लोग बिना डॉक्टर की सलाह के सिर्फ AI पर निर्भर होने लगें. सिर्फ AI पर ही निर्भर रहने में डेटा लीक या गलत इलाज की आशंका रहती है जो मरीज को इलाज के बजाय और गंभीर स्थिति में पहुंचा सकती है. इसके अलावा अगर इंसानी संवेदनाओं और भरोसे की जगह मशीनें ले लें तो नुकसान का लेवल उम्मीद के पार जा सकता है.

AI डॉक्टरों का विकल्प नहीं बल्कि एक सहायक औजार है. तकनीक का उद्देश्य डॉक्टरों को हटाना नहीं बल्कि उनकी क्षमता को बढ़ाना होना चाहिए. अगर सही संतुलन के साथ AI को मेडिकल सिस्टम में अपनाया जाए तो यह निश्चित ही एक वरदान साबित हो सकता है.

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