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क्या कोचिंग सेंटर अब बच्चों की प्रतिभा पोच कर रहे हैं? उपराष्ट्रपति ने क्यों कहा कि ये शिक्षा को कर रहे हैं दूषित?

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शनिवार को कोटा में भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (IIIT) के दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कोचिंग संस्कृति, डिजिटल संप्रभुता और शिक्षा व्यवस्था पर तीखी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि “कोचिंग सेंटर अब ‘पोचिंग सेंटर’ बन चुके हैं, जो छात्रों की प्रतिभा को दबाने वाले काले छिद्र बन गए हैं। ये संस्थान अनियंत्रित रूप से फैल रहे हैं और हमारे युवाओं के लिए एक गंभीर संकट बनते जा रहे हैं।”

उपराष्ट्रपति ने कहा कि आज के समय में किसी देश पर हमला सैन्य ताकत से नहीं, बल्कि डिजिटल निर्भरता के जरिए होता है। “सेनाएं अब एल्गोरिद्म में बदल चुकी हैं। संप्रभुता की रक्षा का संघर्ष तकनीक के स्तर पर लड़ा जाएगा।”

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उन्होंने तकनीकी नेतृत्व को देशभक्ति की नई परिभाषा बताते हुए कहा कि “तकनीकी नेतृत्व अब देशभक्ति की नई सीमा रेखा है। भारत को इस क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व निभाना होगा।”

कोचिंग के खिलाफ सख्त संदेश

उपराष्ट्रपति ने कोचिंग उद्योग को शिक्षा व्यवस्था पर बोझ बताते हुए कहा कि “कोचिंग सेंटर राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रवाह के विरुद्ध हैं। ये फैक्टरी की तरह रट्टा शिक्षा को बढ़ावा देते हैं और छात्रों की जिज्ञासा को खत्म कर रहे हैं।”

उन्होंने सलाह दी कि कोचिंग संस्थान अपने बुनियादी ढांचे का उपयोग कौशल विकास केंद्रों में करें ताकि युवाओं को व्यावहारिक और उत्पादक शिक्षा मिल सके।

उन्होंने यह भी कहा कि “पूर्णांक और मानकीकरण के प्रति जुनून ने जिज्ञासा को कुचल दिया है। सीटें सीमित हैं, लेकिन कोचिंग संस्थान हर गली-मोहल्ले में खुल गए हैं। इससे सोचने की शक्ति कम होती है और मानसिक दबाव बढ़ता है।”

डिजिटल संप्रभुता और आत्मनिर्भरता की बात

धनखड़ ने डिजिटल युग में भारत को आत्मनिर्भर बनने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा, “हमें अपनी डिजिटल नियति के निर्माता बनना होगा और अन्य देशों की नियति को भी प्रभावित करना होगा।”

उन्होंने उदाहरण देकर कहा, “एक स्मार्ट ऐप जो ग्रामीण भारत में काम नहीं करता, वह स्मार्ट नहीं है। एक एआई मॉडल जो क्षेत्रीय भाषाएं नहीं समझता, वह अधूरा है।”

भारत को तकनीक का उपभोक्ता नहीं, निर्यातक बनना चाहिए — यही आज की चुनौती है।

शिक्षा को असेंबली लाइन न बनाएं

उपराष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा को फैक्टरी की तरह असेंबली लाइन में तब्दील करना खतरनाक है। “हम रट्टा मारने की संस्कृति के संकट से जूझ रहे हैं, जिसने जीवंत मस्तिष्कों को महज अस्थायी जानकारी के भंडार में बदल दिया है।”

उन्होंने कोचिंग संस्थानों द्वारा भारी विज्ञापन खर्च की आलोचना करते हुए कहा कि यह पैसा छात्रों की मेहनत की कमाई से आता है और इसका इस तरह इस्तेमाल अनुचित है।

राज्यपाल का संदेश: ‘अप्प दीपो भवः’

समारोह में मौजूद राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े ने कहा कि दीक्षांत शिक्षा का अंत नहीं, बल्कि नई शुरुआत है। उन्होंने युवाओं को ‘अप्प दीपो भवः’ यानी “अपना दीपक स्वयं बनो” का संदेश देते हुए आह्वान किया कि वे अपनी प्रतिभा और दृष्टिकोण से देश और समाज को दिशा दें।

उन्होंने डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम, सत्य नडेला, वर्गीस कुरियन जैसे भारतीयों का उदाहरण देते हुए कहा कि युवाओं को रोजगार तलाशने वाले नहीं, बल्कि रोजगार देने वाले बनना होगा।

189 छात्रों को डिग्रियां, दो को स्वर्ण पदक

समारोह में कुल 189 छात्रों को डिग्रियां प्रदान की गईं। इनमें 123 बीटेक (कंप्यूटर साइंस), 62 बीटेक (इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन), और 4 एमटेक (एआई व डेटा इंजीनियरिंग) की डिग्रियां शामिल रहीं।

शैक्षणिक उत्कृष्टता के लिए अंकुर अग्रवाल और ध्रुव गुप्ता को स्वर्ण पदक से नवाजा गया।

कार्यक्रम में शिक्षा मंत्री मदन दिलावर, ऊर्जा मंत्री हीरालाल नागर, संस्थान के निदेशक एन.पी. पाढ़ी, कोटा के जनप्रतिनिधि और अधिकारी उपस्थित रहे।

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