राजस्थान की रेलगाड़ियों में एक बार फिर यात्री सुरक्षा सवालों के घेरे में आ गई है। कोटा से गुजरती एक एक्सप्रेस ट्रेन में टीटीई (ट्रेन टिकट एग्जामिनर) द्वारा एक यात्री की बर्बर पिटाई का वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया पर ताबड़तोड़ वायरल हो रहा है। वीडियो देखकर किसी का भी खून खौल जाए, क्योंकि इसमें एक रेलकर्मी—जो सुरक्षा और सुविधा का प्रतीक माना जाता है—वही खुद हिंसा पर उतर आया है।
वायरल वीडियो में टीटीई जनरल डिब्बे में मौजूद एक यात्री पर टूट पड़ता है। बिना किसी स्पष्ट बहस या चेतावनी के वह उसे लात-घूंसे और थप्पड़ों से पीटता नजर आता है। हैरानी की बात ये है कि इस मारपीट के दौरान पूरा डिब्बा यात्रियों से भरा था, लेकिन कोई भी सामने नहीं आया। कुछ तमाशबीन की तरह देखते रहे, तो किसी ने चुपचाप मोबाइल कैमरे में यह घटना कैद कर ली।
बताया जा रहा है कि यह वीडियो डॉ. अंबेडकर नगर से निजामुद्दीन जा रही ट्रेन का है, और यह वारदात शामगढ़ व भवानी मंडी स्टेशनों के बीच हुई। वीडियो करीब तीन-चार दिन पुराना है, लेकिन अब ये तेजी से वायरल हो रहा है।
टीटीई का कहर, यात्री गायब
वीडियो में टीटीई का चेहरा साफ दिख रहा है, लेकिन जिस यात्री पर हमला हुआ, वह कैमरे की रेंज में नहीं आया। यानी पीड़ित की अब तक पहचान नहीं हो सकी है। यही नहीं, अब तक इस संबंध में किसी थाने या रेलवे बोर्ड में कोई शिकायत भी दर्ज नहीं करवाई गई है।
इस मामले की एक और चौंकाने वाली बात यह है कि टीटीई का यह बर्ताव महज “टिकट चेकिंग” को लेकर हुआ बताया जा रहा है। टिकट मांगे जाने पर कुछ विवाद हुआ, लेकिन विवाद को सुलझाने के बजाय टीटीई ने हिंसा का रास्ता अपना लिया।
रेलवे की चुप्पी खतरनाक
रेलवे प्रशासन की ओर से अब तक इस मामले पर कोई औपचारिक बयान नहीं आया है। न ही यह साफ किया गया है कि आरोपी टीटीई की पहचान हुई है या नहीं। सवाल यह भी है कि अगर यह वीडियो सार्वजनिक हो चुका है, तो रेलवे ने अब तक उसे सस्पेंड या जांच के दायरे में क्यों नहीं लिया?
यह घटना रेलवे में यात्री-सुरक्षा की पोल खोल देती है। अगर एक वर्दीधारी कर्मचारी ट्रेन में कानून को अपने हाथ में ले सकता है, तो आम आदमी कैसे खुद को सुरक्षित महसूस करेगा?
सोशल मीडिया पर फूटा गुस्सा
जैसे ही यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। एक यूजर ने लिखा, “क्या जनरल डिब्बे में इंसान नहीं बैठते? टीटीई को किसने हक दिया कि वो इस तरह हाथ उठाए?” वहीं एक अन्य ने कहा, “रेलवे के नाम पर गुंडागर्दी बंद होनी चाहिए, आरोपी को बर्खास्त करो।”
सवालों के घेरे में रेलवे
1. क्या टीटीई को इतना अधिकार है कि वह यात्री को पीट सके?
2. अगर विवाद था, तो कानूनन कार्रवाई क्यों नहीं की गई?
3. आम यात्रियों को कैसे भरोसा होगा कि ट्रेन में वे सुरक्षित हैं?
रेलवे प्रशासन की ओर से अब भी यदि कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो यह घटना सिर्फ एक ‘वायरल वीडियो’ बनकर रह जाएगी और ‘सिस्टम की चुप्पी’ फिर एक नई गुंडागर्दी को जन्म देगी।
रेलवे ट्रेनों में यात्री और कर्मचारी दोनों को नियम-कानून की जानकारी और मर्यादा में रहना अनिवार्य है। लेकिन जब ड्यूटी पर तैनात अफसर ही अपनी मर्यादा लांघे, तो जवाबदेही तय करना बेहद जरूरी हो जाता है। इस मामले में रेलवे को तत्काल संज्ञान लेते हुए आरोपी टीटीई को सस्पेंड कर जांच बैठानी चाहिए ताकि भविष्य में कोई और ‘टिकट दिखाने से पहले ही पीटा न जाए’।
ट्रेन में सफर कर रहे हर आम आदमी को अब जवाब चाहिए—क्या वर्दी का मतलब अब लात-घूंसे चलाना है?




















