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ऐतिहासिक महारानी कॉलेज में मजार विवाद: हुआ हनुमान चालीसा पाठ, हिंदू संगठनों ने किया हंगामा!

जयपुर के प्रतिष्ठित महारानी कॉलेज में तीन मजारों की मौजूदगी को लेकर विवाद ने एक बार फिर तूल पकड़ लिया है. मंगलवार को धरोहर बचाओ समिति और विभिन्न हिंदू संगठनों ने कॉलेज परिसर में सामूहिक हनुमान चालीसा का पाठ कर मजारों के खिलाफ विरोध दर्ज किया. संगठनों ने मजारों को ‘लैंड जिहाद’ और कॉलेज की जमीन पर अतिक्रमण की साजिश करार दिया है.

महारानी कॉलेज, जो राजस्थान यूनिवर्सिटी का एक प्रमुख गर्ल्स कॉलेज है, अपनी शैक्षणिक उपलब्धियों और 80 साल पुराने इतिहास के लिए जाना जाता है. लेकिन हाल ही में कॉलेज के स्पोर्ट्स ग्राउंड में तीन मजारों के मिलने से विवाद पैदा हो गया. धरोहर बचाओ समिति के अध्यक्ष, एडवोकेट भारत शर्मा ने दावा किया कि इन मजारों का निर्माण सुनियोजित तरीके से जमीन हड़पने और वक्फ बोर्ड में शामिल करने की साजिश का हिस्सा है. उन्होंने इसे ‘लैंड जिहाद’ करार देते हुए तत्काल हटाने की मांग की.
विवाद की शुरुआत जुलाई 2025 की शुरुआत में हुई, जब कॉलेज परिसर में मजारों की मौजूदगी का खुलासा हुआ. कुछ संगठनों ने दावा किया कि ये मजारें ‘रातों-रात’ बनाई गई जबकि कुछ स्थानीय लोगों और कांग्रेस विधायक अमीन कागजी ने कहा कि ये मजारें 100-150 साल पुरानी हैं और कॉलेज की स्थापना से पहले से मौजूद थीं. नवाब खान और जीनत खान, जो मजारों से जुड़े संतों के वंशज बताए जाते हैं, ने जिला कलेक्टर को ऐतिहासिक दस्तावेज सौंपे, जिसमें दावा किया गया कि कॉलेज की जमीन का हिस्सा उनकी परिवार की संपत्ति थी.
इस विवाद को शांत करने के लिए जिला कलेक्टर डॉ. जितेंद्र कुमार सोनी ने एक छह सदस्यीय जांच कमेटी गठित की, जिसमें महारानी कॉलेज की प्रिंसिपल पायल लोढ़ा भी शामिल हैं. कमेटी को चार दिन में अपनी रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है, जो सीसीटीवी फुटेज, पूर्व कर्मचारियों के बयान और छात्रों की गवाही के आधार पर जांच कर रही है. प्रिंसिपल लोढ़ा ने कहा कि मजारें उनके कार्यकाल से पहले बनी थीं और उन्हें इसकी जानकारी नहीं थी. 

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मंगलवार को हिंदू संगठनों ने कॉलेज परिसर में भारी संख्या में एकत्र होकर हनुमान चालीसा का पाठ किया. प्रदर्शनकारियों ने मजारों को हटाने की मांग की और प्रशासन पर कार्रवाई में देरी का आरोप लगाया. धरोहर बचाओ समिति ने चेतावनी दी कि यदि मजारें नहीं हटाई गईं, तो वे उग्र आंदोलन करेंगे. दूसरी ओर, कांग्रेस विधायक अमीन कागजी ने मजारों को 1942 का बताया और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) से जांच की मांग की. वहीं, बीजेपी विधायक गोपाल शर्मा ने शैक्षणिक संस्थानों में धार्मिक ढांचों को अनुचित बताते हुए मुस्लिम समुदाय से स्वयं मजारें हटाने की अपील की.
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