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इस लड़के ने खुद को जंजीरों में जकड़ा, 27 घंटे में पूरा किया 18KM का सफर; ‘केशव’ के इस तप की वजह क्या?

प्रसिद्ध बाबा श्याम को हारे का सहारा कहा जाता है. भक्तों की मान्यताओं के अनुसार, अगर बाबा श्याम के दरबार में आकर कोई भक्त मान्यता मांगता है तो वह पूरी हो जाती है. ऐसे में अनेकों भक्त बाबा श्याम को प्रसन्न करने या मनोकामना पूरी होने पर अनोखी यात्रा करके खाटूश्याम जी मंदिर में पहुंचते हैं. ऐसा ही एक अनोखा श्याम भक्त अपने आप को जंजीरों से बांधकर खाटूश्याम जी मंदिर में पहुंचा है. इस भक्त ने दूसरी बार यह कठिन पदयात्रा की है. इस अनोखे श्याम भक्त का नाम केशव सक्सेना है. केशव इससे पहले अप्रैल महीने में अपने हाथ-पैर को जंजीरों से बांधकर खाटूश्याम जी आ चुका है. इस बार उसने हाथ-पैर के अलावा कमर को 10 किलो वजनी 12 लोहे की जंजीरों को बांधकर बाबा श्याम की पदयात्रा पूरी की है.

बाबा श्याम के दर्शन करने के बाद केशव ने बताया कि वह पिछले 12 साल से लगातार खाटूश्याम जी आ रहा है. वाह 9 साल की उम्र में पहली बार खाटू श्याम जी आया था. उसके बाद केशव बाबा श्याम का दीवाना यूं हुआ कि जब मन करता है, तब बाबा श्याम के दरबार में हाजिरी लगाने के लिए पहुंच जाता है. केशव ने बताया कि एक बार उसके पास खाटूश्याम जी आने के पैसे नहीं थे, तब उसने घर से साइकिल उठाई और बिना किसी को बताए खाली जेब लेकर खाटूश्याम जी के लिए चल दिया. तब, केशव श्याम भक्तों के बीच चर्चा का विषय बना था. इसके बाद अब लगातार दो बार से खुद को जंजीरों में जकड़ कर बाबा श्याम की पदयात्रा करने को लेकर भी केशव सोशल मीडिया में चर्चा का विषय बन गया है. श्याम भक्त केशव की पदयात्रा पर बाबा श्याम के भजनों के साथ रील बना रहे हैं.

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27 घंटे में पूरी की 18 किलोमीटर की यात्रा

केशव सक्सेना ने बताया कि सोमवार को ट्रेन से वह नैनीताल से रवाना हुआ था. मंगलवार को दोपहर एक बजे रींगस प्राचीन श्याम मंदिर में पूजा-अर्चना करने के बाद खुद को 12 जंजीरों से जकड़ कर यात्रा की शुरुआत की. इसके बाद आज बुधवार को करीब 4 बजे के आसपास केशव खाटूश्याम जी मंदिर पहुंचा. बता दें कि, रींगस से खाटूश्याम जी मंदिर की दूरी 18 किलोमीटर के आसपास है. यह दूरी तय करने में उसने करीबन 27 घंटे का समय लगाया है. दर्शन के बाद केशव ने खुद को अब जंजीरों से मुक्त कर लिया है. उसने बताया कि बाबा श्याम को प्रसन्न करने के लिए मैंने यह यात्रा की है.

9 साल की उम्र में माता-पिता ने छोड़ दिया था

केशव उत्तर प्रदेश के रामपुर का रहने वाला है. उसने बताया कि 9 साल की उम्र में उसके माता और पिता ने अलग-अलग शादी कर ली. दोनों ने उसे बेसहारा छोड़ दिया. इसके बाद केशव ने बाबा का हाथ थामा. उसने बताया कि बाबा की कृपा से अब मैं अच्छा खासा कमाता हूं. जब भी उसका मन करता है, तब खाटूश्याम जी आ जाता हूं. केशव अभी नैनीताल के पास स्थित एक छोटे से कस्बे में पानी की बोतल बनाने वाली फैक्ट्री में काम करता है.

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